खुफिया रिपोर्ट में खुलासा, पीएम के दौरे के लिए सुरक्षित नहीं उत्तर बिहार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजफ्फरपुर दौरे को लेकर केंद्रीय खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की नींद हराम है। दरअसल, इसके पीछे बड़ी वजह वर्ष 2014 में देश की सभी बड़ी खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई एक ज्वाइंट रिपोर्ट है। इसके अनुसार उत्तर बिहार उनके लिए सुरक्षित इलाका नहीं है।
पटना [राजीव रंजन]। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुजफ्फरपुर दौरे को लेकर केंद्रीय खुफिया व सुरक्षा एजेंसियों की नींद हराम है। दरअसल, इसके पीछे बड़ी वजह वर्ष 2014 में देश की सभी बड़ी खुफिया एजेंसियों द्वारा तैयार की गई एक ज्वाइंट रिपोर्ट है।
रिपोर्ट में स्पष्ट शब्दों में कहा गया है कि उत्तर बिहार देश में सक्रिय प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा (माओवादी) और पड़ोसी देश नेपाल में सक्रिय माओवादियों के बीच एक सेतु का काम कर रहा है। बिहार का यह उत्तरी इलाका सुरक्षा की दृष्टि से प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों और यहां तक कि देश के बड़े नौकरशाहों तक के लिए सुरक्षित नहीं है।
वर्ष 2014 में केंद्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय ने ज्वाइंट इंटिलिजेंस कमेटी (जेईसी) की छह पन्नों की रिपोर्ट जारी की ïथी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि उत्तर बिहार में सक्रिय नक्सली संगठनों के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं होने से उस इलाके में न केवल नक्सली संगठन, बल्कि आतंकी संगठनों ने भी अपनी जमीन तैयार कर ली है।
इस रिपोर्ट को लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल सचिवालय के सचिव ने प्रधानमंत्री से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों और यहां तक कि शीर्ष नौकरशाहों के लिए उत्तर बिहार के दौरों में विशेष एहतियात बरतने की सलाह जारी की थी।
रिपोर्ट में वर्ष 2013 में पटना के गांधी मैदान में नरेंद्र मोदी की 'हुंकार रैली' और बोधगया में हुए आतंकी हमलों की चर्चा की गई है। यह भी कहा गया है कि बिहार की भौगोलिक स्थिति ही कुछ ऐसी है कि उत्तर बिहार नेपाली माओवादियों और प्रतिबंधित आतंकी संगठनों के लिए एक सेतु का काम करता है।
इस ज्वांइट इंटिलिजेंस रिपोर्ट को तैयार करने में इंटिलिजेंस ब्यूरो (आइबी), रिसर्च एंड एनायलिसिस विंग (रॉ) और डायरेक्टोरेट्स ऑफ मिलिट्री (नेवल एंड एयर इंटिलिजेंस) शामिल थे। रिपोर्ट में बिहार में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ की घटनाओं का भी अध्ययन किया गया है।
वर्ष 2013 के दौरान बिहार में नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच कुल छह मुठभेड़ हुई थी। इनमें सुरक्षा बलों के जवान तो शहीद हुए, लेकिन किसी भी नक्सली के मारे जाने की कहीं कोई पुष्टि नहीं हुई थी।
इस रिपोर्ट में केंद्र सरकार से नक्सल प्रभावित इलाकों के विकास के लिए मिलने वाली केंद्रीय राशि के खर्च का भी अध्ययन किया था। इसमें बिहार में जहां केवल 67 प्रतिशत राशि खर्च की गई वहीं मध्य प्रदेश में 78 तथा महाराष्ट्र में 84 प्रतिशत राशि खर्च किए जाने की बात सामने आई, जबकि बिहार के कुल 38 में से 32 जिलों को नक्सलियों से प्रभावित माना गया है।
जेईसी रिपोर्ट में सामने आए तथ्य
घटनाएं ......................................... वर्ष 2012.......... वर्ष 2013
नक्सलियों ने मारे...........................27........................38
मारे गए नक्सली.............................05........................00
गिरफ्तार नक्सली.........................428........................174
नक्सलियों से बरामद हथियार.......151........................47
नक्सलियों ने लूटे हथियार............. 00........................33
मुठभेड़ की घटनाएं........................12.........................06