इंश्योरेंस कंपनी को ब्याज सहित बीमा की राशि देनी होगी, बिहारशरीफ में फोरम ने दो मामलों में दिया फैसला
जिला उपभोक्ता फोरम ने एलआईसी तथा यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी को अलग-अलग मामलों में दावा राशि ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया है। दोनों ही मामलों में कंपनियों ने विलंब से दावा किए जाने की बात कहते हुए क्लेम देने से मना कर दिया था।
बिहारशरीफ, जागरण संवाददाता। जिला उपभोक्ता फोरम ने एलआईसी तथा यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी को अलग-अलग मामलों में दावा राशि ब्याज सहित भुगतान करने का आदेश दिया है। साथ ही फोरम ने मुकदमा खर्च तथा आवेदकों को हुई मानसिक परेशानी की एवज में भी क्षतिपूर्ति के तौर पर 25 हजार रुपए देने का आदेश दिया है। दोनों ही मामलों में कंपनियों ने विलंब से दावा किए जाने की बात कहते हुए क्लेम देने से मना कर दिया था।
एलआइसी नहीं कर रहा था दावे का भुगतान
पहला मामला गिरियक थाना क्षेत्र के जुनेदी गांव निवासी इंदू कुमारी का है। उन्होंने 2014 में भारतीय जीवन बीमा निगम के बिहारशरीफ शाखा प्रबंधक को विपक्षी करार करते हुए वाद दाखिल किया था। इंदू के पति अवधेश कुमार सिन्हा ने 50 हजार बीमित राशि की एक पालिसी 28 मई 2003 को एलआईसी से ली थी। जिसका सर्टिफिकेट भी था। दुर्भाग्यवश 18 मार्च 2007 को पालिसी होल्डर अवधेश की मृत्यु हो गई। इंदू नोमिनी थी। इसलिए बीमित राशि भुगतान का कागजात समेत दावा किया। परन्तु दावा करने में विलम्ब को आधार बनाकर एलआईसी ने भुगतान से इंकार कर दिया।
तीन साल की बजाय नौ साल में किया दावा
फोरम के अध्यक्ष चन्द्रेखर प्रधान व सदस्य अनीता सिंह ने फैसला सुनाया कि शिकायकर्ता इंदू पति की मृत्यु के बाद असहाय व अकेली थी। मृत्यु प्रमाण पत्र पर भी मृतक के पिता का नाम गलत अंकित था। ऐसे में एक असहाय औरत के लिए सब कुछ इतनी जल्दी कर लेना संभव नहीं था। वहीं एलआईसी के वकील का कहना था कि भुगतान का दावा तीन वर्ष की अवधि में होना चाहिए। इसकी बजाए 9 वर्ष में किया गया। फोरम ने विपक्षी के तर्क को मानने से इंकार करते हुए विपक्षी को 30 दिनों के अंदर बीमित राशि 10 प्रतिशत ब्याज समेत नोमिनी को अदा करने का आदेश दिया।
बाइक चोरी का दावा भुगतान करने से किया था मना
दूसरा मामला बिहार थाना के अलीनगर मोहल्ला निवासी संदीप कुमार का है। जिन्होंने यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस के बिहारशरीफ शाखा प्रबंधक को विपक्षी करार करते हुए शिकायत दर्ज की थी। शिकायकर्ता संदीप नवादा जिला के सीताराम साहू कालेज के गेट के पास अपनी मोटरसाइकिल लगाकर अंक प्रमाण-पत्र लाने कालेज के अंदर गया। वापस आने पर मोटरसाइकिल गायब थी। उसने थाने को तत्काल सूचना दी। मोटरसाइकिल यूनाईटेड इंडिया से बीमित थी। बीमा की राशि 41 हजार 278 रुपए थी। यहां भी विलंब को आधार बनाकर इंश्योरेंस कंपनी ने भुगतान से इंकार कर दिया।
10 दिनों में दी गई थी चोरी की सूचना
बाइक चोरी की सूचना 48 घंटे की बजाए कम्पनी को दस दिनों में दी गई थी। फोरम ने विचारोपरांत फैसला दिया कि यदि विलंब से सूचना दी गई तो इसे नन सलेंडर क्लेम माना जाए, परंतु इसे निरस्त करना सरासर गलत है। इंश्योरेंस कंपनी को 25 प्रतिशत कटौती के साथ बीमा की शेष रकम शिकायतकर्ता को भुगतान करने का आदेश दिया। साथ ही मानसिक तथा आर्थिक क्षति के रूप में 15 हजार रुपए 30 दिनों के अंदर भुगतान करने को कहा गया। समसय भुगतान न करने पर 12 प्रतिशत ब्याज सहित भुगतान करना होगा।