निर्दोष युवक को थानेदार ने पीट-पीटकर मार डाला, सात लाख रुपये मुआवजा का आदेश
गत 24 नवंबर को पत्नी और दो साल की बच्ची के साथ आ रहे युवक को पुलिस ने अकारण रोक कर पिटाई की। राज्य मानवाधिकार आयोग ने युवक के आश्रितों को सात लाख रुपये मुआवजा देने और थानेदार के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया।
पटना, राज्य ब्यूरो । राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission) ने पुलिस अभिरक्षा (Police custody) में मौत के मामले पर सुनवाई करते हुए आश्रित (dependent) को सात लाख रुपये के मुआवजा का आदेश दिया है। मामला नवगछिया जिले के बिहपुर थाने का है, जहां इसी साल 24 नवंबर को आशुतोष कुमार पाठक को पुलिस ने पीट-पीटकर मार डाला था। 33 वर्षीय आशुतोष झंडापुर ओपी के मंडवा ग्राम के रहने वाले थे। पत्नी और दो वर्ष की बेटी के साथ वह पास के मंदिर में पूजा कर मोटरसाइकिल से लौट रहे थे। रास्ते में झंडापुर ओपी के थानेदार रंजीत कुमार मंडल ने उन्हें अकारण रोक लिया और पिटाई शुरू कर दी। बाद में थाने में ले जाकर भी पिटाई की, जिससे आशुतोष की मौत हो गई।
दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश
सुनवाई में आयोग के सदस्य उज्ज्वल कुमार दुबे ने मामले को सही पाया और मृतक की आश्रित को भरण-पोषण के लिए सात लाख रुपये देने का निर्देश दिया। उन्होंने सरकार को सलाह भी दी है कि वह चाहे तो मुआवजे की राशि की भरपाई दोषी से कर सकती है। आयोग ने सरकार को ऐसे पुलिस अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है, ताकि कोई कानून से मिले अधिकार का गलत इस्तेमाल न कर सके।
एसपी ने भी माना, युवक निर्दोष था
आशुतोष के चाचा प्रफुल्ल कुमार पाठक के आवेदन पर नवगछिया के एसपी ने भी माना कि आशुतोष निर्दोष थे। रास्ते में लौटते वक्त थानेदार रंजीत एवं उसके साथी पुलिस कर्मियों ने अधिकार का इस्तेमाल कर मारपीट की। पत्नी एवं पुत्री के अनुरोध को भी नहीं माना। हाजत में भी लाकर मारा-पीटा गया, जिससे वह बेहोश हो गए। बाद में परिजनों के पहुंचने पर उन्हें इलाज के लिए छोड़ा गया, जहां उनकी मौत हो गई।