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राजनेता धर्म का सम्मान करने लगें तो जनता होती है खुशहाल : देवकीनंदन

बिहार की भूमि महान और पूजनीय है। यह भूमि राजा जनक और मां सीता की भूमि है यह कहा इस संत ने

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 11:59 PM (IST)Updated: Thu, 21 Nov 2019 06:13 AM (IST)
राजनेता धर्म का सम्मान करने लगें तो जनता होती है खुशहाल : देवकीनंदन
राजनेता धर्म का सम्मान करने लगें तो जनता होती है खुशहाल : देवकीनंदन

पटना। बिहार की भूमि महान और पूजनीय है। यह भूमि राजा जनक और मां सीता की भूमि है, जहां पर भगवान श्रीराम के पैर पड़े। बिहार की धरती भक्ति में सर्वोपरि है। यहां रामराज्य है, तभी तो यहां निर्भीक होकर भागवत कथा कहने का अवसर मिला है। जिस राज्य के राजनेता धर्म का सम्मान करने लगें वह राज्य मजबूत होने के साथ वहां की जनता भी प्रसन्न होती है। ये बातें जाने-माने भागवत कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर के श्रीमुख से सुनने को मिलीं।

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गर्दनीबाग के संजय गांधी मैदान में आयोजित कथा के पहले दिन सभी देवी-देवताओं का पूजन करने के साथ आरती कर कथा का शुभारंभ हुआ। देवकीनंदनजी ने 'सुखी बसे संसार दुखिया रहे न कोई..' गीत पर श्रद्धालुओं को झूमने पर विवश कर दिया। विश्व शांति सेवा चैरिटेबल ट्रस्ट एवं विश्व शांति सेवा समिति, पटना के तत्वावधान में 26 नवंबर तक चलने वाली कथा के पहले दिन व्यास पीठ पर विराजमान देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि श्रीमद्भागवत संपूर्ण भक्तों के लिए सरल ग्रंथ है। इसके सुनने मात्र से मनुष्य का चित्त निर्मल होता है। मन सत्कर्म की ओर अग्रसर होता है। इस दौरान विधायक संजीव चौरसिया, एमएलसी संजय पासवान और पटना की मेयर सीता साहू ने भी कथा का आनंद उठाया।

धर्म को छोड़कर जगत में कुछ भी स्थिर नहीं

कथा के दौरान ठाकुर ने कहा कि इस जगत में कुछ भी स्थिर नहीं। सभी नश्वर हैं। यह शरीर, रिश्ते-नाते सभी समय आने पर आपका साथ छोड़ देते हैं। जब कुछ अपना है ही नहीं तो किस बात का घमंड, किस बात की धौंस। अगर इस जगत में स्थिर है तो वह है धर्म। धर्म जन्म से लेकर मृत्यु तक आपका था और आपका रहेगा। ऐसे में लोग दूसरे की भलाई करने के साथ सत्कर्म करें। जितना हो सके गरीबों और दुखियों की सेवा कर सकें। माता-पिता की सेवा करने के साथ बड़ों का आदर करना भी हमारा धर्म है।

कर्म से महान और पतित बनता है आदमी

देवकीनंदनजी ने कहा कि हर इंसान अपने पूर्वजन्म के कर्मो से पैदा होता है और यहां आकर अपने सत्कर्म से महान बनता है। उच्च कुल में जन्म लेने वाले भी अपने कर्म से पतित होते हैं और वहीं नीच कुल में जन्म लेना वाला भी अपने कर्म से समाज में पूजनीय होता है। उन्होंने कहा कि जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य भव सागर से पार उतरना है। संसार गंगा है, उसमें जीव एक यात्री है और माया व मुक्ति दोनों किनारे हैं। माया के घाट पर हम सभी खड़े हैं और मुक्ति के घाट तक पहुंचना है। ऐसे में भागवत नाम और श्रीकृष्ण के नाम से बड़ी कोई नाव इस संसार में नहीं है। जाति-जाति का जाप करने वाले लोगों से परमात्मा प्रसन्न नहीं होते। वे तो भक्ति से प्रसन्न होते हैं।

कर्म की प्रधानता ही हिदुओं की शक्ति -

कथा के दौरान ठाकुर ने कहा कि सच्चा हिदू वही है जो कृष्ण की सुने और उनकी माने। गीता को सुनने के साथ उसका अनुसरण भी करे। वही मां-बाप की सेवा करने के साथ जीवन में अपने कर्म को प्रधानता दे। कर्म करना कृष्ण की सेवा करने के बराबर है। उन्होंने कहा कि पितरों के प्रति श्रद्धा जरूरी है। हमारे कर्म का फल पितरों को भी मिलता है। ऐसे में अपने जीवन में सही कर्म करने की जरूरत है।

श्री राधे-राधे.. से हुई कथा की शुरुआत

श्री राधे-राधे। ठाकुर महाराज की जय, धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो। गौ माता की रक्षा हो। देश की रक्षा हो। भाग्यशाली हैं वे जो श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन से ही पंडाल में कथा सुनने आए हैं। धन्य हैं वो माता-पिता जिनके अच्छे संस्कार के कारण उनकी संतानें यहां कथा का श्रवण करने पहुंची हैं। एक बार सभी अपने हाथ ऊपर करके बोलें राधे-राधे। ऐसे ही सद्वचनों के साथ बुधवार को गर्दनीबाग के संजय गांधी मैदान में जाने-माने कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर के श्रीमुख से कथा का शुभारंभ हुआ।

आज कथा में -

कथा के दूसरे दिन कपिल देवहूती संवाद, सती चरित्र, धु्रव चरित्र पर प्रकाश डाला जाएगा।


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