छह साल में 45 लाख बिहारी महिलाओं के आंचल में आया अक्षर ज्ञान, जानिए
छह साल की मेहनत और प्रयासों का फल है कि प्रदेश की 45.54 लाख महिलाओं के आंचल में अक्षर ज्ञान पहुंच गया है। किसी भी राज्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि है।
पटना [सुनील राज]। यह सिर्फ छह साल की मेहनत और प्रयासों का फल है कि प्रदेश की 45.54 लाख महिलाओं के आंचल में अक्षर ज्ञान पहुंच गया है। किसी भी राज्य के लिए यह बड़ी उपलब्धि है। कीर्तिमान गढऩे वाले बिहार में निरक्षर महिलाओं का यूं साक्षर हो जाना किसी सपने के पूरे होने जैसा ही है।
केंद्र सरकार की ओर से साक्षरता की कई योजनाओं के बीच करीब छह वर्ष पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक महिलाओं को अक्षर ज्ञान देने की एक परिकल्पना की थी। जनशिक्षा निदेशालय ने इस अक्षर आंचल योजना को आकार दिया। लक्ष्य तय हुआ आठ लाख महिलाओं को साक्षर करने का।
महादलित, दलित एवं अल्पसंख्यक महिलाओं को अक्षर ज्ञान देने की जवाबदेही सौंपी गई टोला सेवकों और तालीमी मरकज को। दायित्व समझा दिया गया कि घर की महिला को अक्षर ज्ञान देते हुए इसके फायदे भी बताने हैं।
2012 दिसंबर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योजना का श्रीगणेश किया। प्रत्येक टोला में योजना एक साथ प्रारंभ हुई। शुरुआत में योजना 15-35 आयु वर्ग की निरक्षर महिलाओं के लिए थी, अब इसमें 15 से 45 आयु वर्ग की महिलाओं को शामिल कर लिया गया है। इसके साथ ही लक्ष्य को भी बड़ा कर दिया गया है। आठ लाख दलित, महादलित परिवार की महिलाओं के साथ ही चार लाख अल्पसंख्यक समुदाय की महिलाओं को योजना को साक्षर किया जा रहा है।
इस योजना का संचालन दो चरणों हो रहा है। छह-छह लाख के दो चरण में एक वर्ष में कुल 12 लाख महिलाओं को साक्षर किया जा रहा है। छह महीने के अंतराल पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपेन स्कूलिंग (एनआइओएस) साक्षरता महापरीक्षा आयोजित करता है। महापरीक्षा में योजना के तहत अक्षर ज्ञान ले रही महिलाएं शामिल होती हैं।
महापरीक्षा में साक्षर हुई महिलाओं का मूल्यांकन होता है और उन्हें प्रमाणपत्र दिया जाता है। छह वर्ष में इस योजना के तहत प्रदेश की कुल 4554154 महिलाओं को साक्षर किया गया है। आज बिहार के 27800 शिक्षा सेवा और तालीमी मरकज कंधे से कंधा मिलाकर निरक्षर महिलाओं को साक्षर बना रहे हैं।
योजना के प्रभावी होने के फायदे
- महिलाओं में जागरूकता आई
- कमजोर-पिछड़े वर्ग की महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ
- मां के साक्षर होते ही बच्चों की शिक्षा के लिए घर में आवाज उठी
- सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की समझ विकसित हुई
- साक्षर होने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं पंचायतों में जनप्रतिनिधि बनी
7 दशक में बिहार में साक्षरता दर
1951
भारत - 18.33
बिहार - 13.49
1961
भारत - 28.30
बिहार - 21.95
1971
भारत -34.45
बिहार - 23.17
1981
भारत - 43.57
बिहार - 32.32
1991
भारत - 52.21
बिहार - 37.49
2001
भारत - 68.43
बिहार - 47.53
2011
भारत - 73.04
बिहार - 61.80
वर्तमान आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 70.32 फीसद पुरूष और 53.57 फीसद महिलाएं साक्षर हैं।