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मंदिर में भगवान की पूजा तो सुनी होगी, यहां होती है रेलवे ट्रैक की पूजा

मंदिर शिवालय में अापने भगवान की पूजा तो देखी होगी लेकिन बिहार में बाढ़ इलाके की महिलाएं रेलवे ट्रैक की पूजा करती हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 17 Feb 2017 04:12 PM (IST)Updated: Sat, 18 Feb 2017 09:16 PM (IST)
मंदिर में भगवान की पूजा तो सुनी होगी, यहां होती है रेलवे ट्रैक की पूजा
मंदिर में भगवान की पूजा तो सुनी होगी, यहां होती है रेलवे ट्रैक की पूजा

पटना [जेएनएन]। अभी तक आपने लोगों को मंदिर या शिवालय या फिर धामों पर पूरा करते हुए हुए देखा होगा पर पटना के बाढ़ इलाके की महिलाएं रेलवे ट्रैक की पूजा करती हैं। सुनकर आपको अजीब लग रहा होगा लेकिन यह हकीकत है।

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पटना से सटे बाढ़ इलाके की महिलाएं पति के दीर्घायु और बच्चों की लंबी आयु के लिए रेलवे ट्रैक की पूजा कती हैं। इन गांवों की महिलाएं रेलवे ट्रैक पर जल चढ़ाती और फिर सिंदूर लगाकर अगरबती और कपूर से पूजा करती हैं।

गांव की सुमित्रा देवी का कहना है कि गांव की महिलाएं रेलवे ट्रैक को इसलिए पूजती हैैे ताकि ट्रैक पार करते वक्त कोई हादसा न हो। बाढ़ और अथमगोला स्टेशन के बीच गेट (पुल) नंबर 58 के पास के ग्रामीण प्रतिदिन इक्ट्ठा होते हैं और बच्चों को रेलवे ट्रैक पार कराकर स्कूल भेजते हैं।

मिल्की चक, हरौली, धर्मपुरा राजपुरा, सर्वारपुर, नयाटोला, फुलेलपुर, और मेउरा के लोग रेलवे ट्रैक पार कर बाढ़ शहर पहुंचते हैं। दरअसल गेट नंबर 58 के पास एक अंडरग्राउंड पुल था जिसके जरिए लोग दूसरी तरफ जाते थे लेकिन भूंकप के कारण यह पुल बंद हो गया है लिहाजा लोगों को अब मजबूरी में रेलवे ट्रैक पार करना पड़ता है।स्थानीय लोग यहां पर वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग रहे हैं।

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शहर जाने के लिए इन गांवों के लोगों को दूसरे रास्ते से 6 किमी घूमकर जाना पड़ता है। रेलवे ट्रैक पार करते समय हमेशा डर बना रहता है लिहाजा अब इलाके की महिलाएं रेलवे ट्रैक को पूजना शुरु कर दिया है ताकि उनके बच्चे सुरक्षित घर पहुंच सकेंग्रामीण देवनंदन राय का कहना है कि ट्रेन आने पर लोगों को अलर्ट किया जाता है।

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महेश सिंह बताते हैं कि इन गांवोें का शहर से सीधा संपर्क नहीं होने के कारण मजबूरी में रेलवे ट्रैक पार करते हैं।

गांव के लोग कई बार रेलव को पत्र लिखकर गुहार लगा चुके हैं, लेकिन किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई है।रेलवे ट्रैक पर पहले दुर्घटनाएं भी हो चुकी है लेकिन ना तो रेलवे प्रशासन और ना ही बिहार सरकार इनकी सुध ले रहा है।


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