बिहार में किन्नर खातिर का बा..
बिहार में का बा.. गीत विधानसभा चुनाव में खूब चर्चित है। हर जिले और हर वर्ग के लोग इसका सहारा ले रहे हैं। गुरुवार को मंगलामुखियों (किन्नर) ने भी अपनी बातों को रखने के लिए इसी गीत का सहारा लिया है।
पटना । 'बिहार में का बा..' गीत विधानसभा चुनाव में खूब चर्चित है। हर जिले और हर वर्ग के लोग इसका सहारा ले रहे हैं। गुरुवार को मंगलामुखियों (किन्नर) ने भी अपनी बातों को रखने के लिए इसी गीत का सहारा लिया है।
समाज सेविका रेशमा प्रसाद कहते हैं, चुनाव के समय हर वर्ग के लोगों को कुछ न कुछ सौगात मिल रही है, लेकिन हम मंगलामुखियों के लिए न तो सरकार द्वारा घोषणा की जाती है औ न ही घोषणा पत्र में ट्रांसजेंडरों को स्वीकारा जाता है। अभी तक कोई ऐसी पार्टी नहीं है, जो ट्रासजेंडर के अधिकार और विकास की बात की हो। इसलिए हमने अपनी बात रखने के लिए इस गीत का सहारा लिया है। इसी गीत के माध्यम से अपनी बात सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी बस एक ही मांग है कि कोई भी सरकार आए हम मंगलामुखियों के लिए जरूर सोचे। साथ ही हमें भी हक मिल सके। ----------
गीत पर गीत
बिहार में किन्नर खातिर का बा, ट्रांसजेंडर उम्मीदवार स्वीकार ना बा। घोषणा पत्र में भी ट्रांसजेंडर स्वीकार ना बा, ट्रांसजेंडर के अधिकार कहां बा। ट्रासजेंडर के विकास केहू ना सोची ते बिहार में का बा, सब लोगन आपन आपन दावा रख ले बा। गठबंधन पा गठबंधन बन रहल अपार बा, हमनी के कैसे बुझी बिहार में का बा।