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बिहार में DNA पर मचा है बवाल, पढ़ें- क्या है DNA, क्यों हो रहा बवाल

डीएनए (डीऑक्सीराइबोज़ न्यूक्लिक एसिड) मनुष्य की कोशिका के गुणसूत्रों में पाया जाने वाला अणु है। इसमें मनुष्य की सभी आनुवांशिक जानकारियां दर्ज होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए विशिष्ट होता है।

By Pradeep Kumar TiwariEdited By: Published: Tue, 11 Aug 2015 02:57 PM (IST)Updated: Tue, 11 Aug 2015 03:01 PM (IST)
बिहार में DNA पर मचा है बवाल, पढ़ें- क्या है DNA, क्यों हो रहा बवाल

पटना। डीएनए (डीऑक्सीराइबोज़ न्यूक्लिक एसिड) मनुष्य की कोशिका के गुणसूत्रों में पाया जाने वाला अणु है। इसमें मनुष्य की सभी आनुवांशिक जानकारियां दर्ज होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति का डीएनए विशिष्ट होता है।

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डीएनए हमारी आंख के रंग से लेकर व्यक्तित्व के गुणों का निर्धारण करता है। दो व्यक्तियों का डीएनए 99.9 फीसद समान होता है। 0.1 फीसद डीएनए की भिन्नता ही एक व्यक्ति को दूसरे से अलग बनाती है।

शरीर की प्रत्येक कोशिका में मौजूद डीएनए समान होता है। इस कारण शरीर के किसी भी हिस्से- त्वचा, बाल, रक्त या किसी अन्य शारीरिक द्रव्य से डीएनए नमूना लिया जा सकता है।

डीएनए विश्लेषण और उपयोग

डीएनए विश्लेषण एक ऐसी तकनीक है जिससे दो सैंपल की तुलना कर देखा जाता है कि क्या दोनों एक ही व्यक्ति से संबंधित हैं। किसी के आनुवांशिक माता-पिता का निर्धारण करने, किसी आपदा या दुर्घटना में मारे गए लोगों की पहचान निर्धारित करने और हत्या या बलात्कार जैसे मामलों में भी इसका प्रयोग होने लगा है।

डीएनए से जुड़े चर्चित मामले

दिल्ली के तंदूर हत्याकांड में डीएनए विश्लेषण की प्रमुख भूमिका थी। वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और उनके जैविक पुत्र रोहित शेखर के मामले में भी डीएनए विश्लेषण की अहम भूमिका रही थी।

मुजफ्फरपुर नवरुणा मामले में भी इस जांच का सहारा लिया गया था।1चर्चित मामले दिल्ली के तंदूर हत्याकांड में डीएनए विश्लेषण की प्रमुख भूमिका थी। वरिष्ठ नेता नारायण दत्त तिवारी और उनके जैविक पुत्र रोहित शेखर के मामले में भी डीएनए विश्लेषण की अहम भूमिका रही थी। मुजफ्फरपुर नवरुणा मामले में भी इस जांच का सहारा लिया गया था।

यह कहा था पीएम ने जो मच गया इतना बवाल

मुजफ्फरपुर में 25 जुलाई को हुई राजग की परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि लालू आज जहर पी रहे हैं। मैंने तो तब ही जहर पीया था। राजनीति में इतनी छुआछूत कि कोई भोजन पर बुलाकर थाली छीन ले। मन में बहुत चोट लगी थी, लेकिन चुप रह गया, लेकिन मांझी पर चोट हुआ, एक महादलित का अपमान हुआ तो लगा कि नीतीश के डीएनए में ही कोई गड़बड़ी है।

नीतीश की यह है मांग

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को पिछले दिनों पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वह अपने शब्द वापस लें। डीएनए पर प्रधानमंत्री की टिप्पणी पूरे बिहार का अपमान है, परंतु गया की परिवर्तन रैली के सिलसिले में रविवार को दोबारा बिहार आए प्रधानमंत्री ने अपने शब्द वापस नहीं लिए।

मुख्यमंत्री ने अब शब्द वापसी के लिए प्रधानमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। शब्द वापसी के लिए हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है और 50 लाख बिहारी प्रधानमंत्री को डीएनए टेस्ट के लिए अपना सैंपल भेजेंगे।

सैंपुल नाखून और बाल के होंगे। जदयू कार्यकर्ता राजधानी पटना के सहित सभी जिला मुख्यालयों पर शब्द वापसी के लिए धरना भी दे रहे हैं। 29 अगस्त को गांधी मैदान में आयोजित स्वाभिमान रैली में महागठबंधन में शामिल सभी दलों के नेता शामिल होंगे।


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