बिहार में शराबबंदी, कफ सिरप से मिटा रहे नशे की प्यास, जानिए
प टना पुलिस ने गुरुवार को एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया जिसके पास से काफी संख्या में कफ सीरप की बोतलें बरामद की गई हैं। उसने बताया कि उसे एक बोतल दवा के लिए दो रुपये मिलते हैं।
पटना [जेएनएन]। शराबबंदी के बाद पुलिस भी परेशान है। तरह-तरह की चीजों से लोग अपनी नशे की तलब मिटा रहे हैं। शराब के बदले अब खांसी की दवा की तस्करी नशा के लिए की जा रही है। इसका खुलासा उस समय हुआ, जब पटना पुलिस की टीम ने मीठापुर बस स्टैंड में छापेमारी कर मो असलम अंसारी को गिरफ्तार किया।
इसके पास से 600 बोतलें विभिन्न कंपनियों की खांसी की दवा बरामद की गयी हैं। ये दवाएं बनारस में रोहित फार्मा से लायी गयी थीं और इसे अररिया लेकर जाना था।
असलम अंसारी मूल रूप से अररिया का रहने वाला है। वह वहां के एक दवा दुकानदार राकेश कुमार के लिए काम करता है। अंसारी बनारस से ट्रेन से पटना जंकशन पर उतरा और फिर वहां से टेंपो लेकर मीठापुर बस स्टैंड जा रहा था, ताकि बस से वह अररिया जा सके। लेकिन, वह रास्ते में ही चेकिंग में पकड़ा गया।
उसने दवा से संबंधित कोई कागजात नहीं दिखाया। इसके बाद दवाएं जब्त कर ली गयीं। पूछताछ की गयी तो उसने पुलिस को बताया कि वह दवाओं को अररिया ले जा रहा था। उसे एक शीशी दवा पर दो रुपये मिलने थे।पुलिस अंसारी के पकड़े जाने के बाद ड्रग विभाग के अधिकारियों को भी इसकी जानकारी दी।
बताया जाता है कि उक्त दवाओं में कोडिंग फॉस्फेट होता है, जिससे नशा होता है। सभी खांसी की दवाओं में इसका उपयोग किया जाता है।
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80 रुपये की दवा बिकती है 500 रुपये में
खांसी की दवाएं बिना डॉक्टर के प्रिसक्रिप्शन के नहीं दी जाती है। लेकिन, ग्रामीण इलाकों में व बिना किसी डॉक्टर के कागजात के दवा दुकानदार इन दवाओं के लिए 500 रुपये तक वसूलते हैं। जबकि, इन दवाओं के एक बोतल की कीमत 80 रुपये होती है। ये दवाएं छात्रों के बीच काफी लोकप्रिय है।
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