बिहारियों को भी पसंद आया शेयर बाजार, शेयरों में लगायी 73% पूंजी, जानिए
बिहार में भी लोगों का म्युचुअल फंडों में निवेश के प्रति रूझान तेजी से बढ़ा है। पिछले साल बिहार में 15,900 करोड़ की राशि का निवेश हुआ, जिसमें 73 प्रतिशत राशि शेयरों में लगाई गई।
पटना [सुभाष पांडेय]। ऐसा नहीं कि बिहार में सब कुछ नकारात्मक ही है। कुछ चीजें पॉजिटिव भी हो रही है। यहां के लोगों में पूंजी बाजार खासकर म्युचुअल फंडों में निवेश के प्रति रूझान तेजी से बढ़ रहा है। एसोसिएशन ऑफ म्युचुअल फंड ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल बिहार में 15,900 करोड़ की राशि का निवेश हुआ, जिसमें 73 प्रतिशत राशि शेयरों में लगाई गई।
हालांकि महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, तमिलनाडु और दिल्ली की तुलना में बिहार में निवेश की राशि बहुत कम है, लेकिन राज्य में म्युचुअल फंड में निवेश की रफ्तार 50 प्रतिशत से भी अधिक है। दरअसल झारखंड, छत्तीसगढ़, ओड़ीसा, असम, मेघालय और सिक्किम जैसे पूर्वी राज्यों में ही यह रूझान बढ़ा है।
यहां बता दें कि देश में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों द्वारा 23.96 लाख करोड़ रुपये की राशि का प्रबंधन हो रहा है। पिछले साल की तुलना में राष्ट्रीय औसत वृद्धि 37 प्रतिशत की है। इस लिहाज से बिहार की ग्रोथ रेट सराहनीय कही जा सकती है।
इसका एक प्रमुख कारण ब्याज दरों में पिछले कुछ वर्षो में आई गिरावट है। बिहार में लोगों की प्राथमिकता सुरक्षित निवेश की होती थी। यही कारण था कि सार्वजनिक बैंकों में फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में लोग पैसा जमा करना पसंद करते थे। ब्याज दरों के घटकर सात प्रतिशत से भी नीचे आ जाने और स्त्रोत पर आयकर की कटौती की वजह से अब यह आकर्षक नहीं रह गया है।
एएमएफआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ वर्षों से बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में नौकरीपेशा लोगों में सिस्टमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान से पूंजी बाजार में निवेश का प्रचलन बढ़ा है।
राज्य में एचडीएफसी म्युचुअल फंड, रिलायंस म्युचुअल फंड, बिरला सनलाइफ म्युचुअल फंड, फ्रैंकलिन टेम्पेटेशन फंड जैसी 46 एसेट मैनेजमेंट कंपनियां पटना, मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया की कौन कहे छोटे-छोटे जिला मुख्यालयों में भी अपने अपने कार्यालय खोलकर लोगों से एसआइपी के माध्यम से निवेश को प्रोत्साहन देने में जुटी हैं।
आमतौर पर बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट पर सात प्रतिशत के रिटर्न की तुलना में म्युचुअल फंड में औसत 15-16 प्रतिशत का रिटर्न मिलने की वजह से लोग इसकी ओर ज्यादा आकर्षित हो रहे हैं। बिहार में पिछले साल तक एसआइपी के पांच लाख से अधिक खाते चल रहे थे।
इस वर्ष के अंत तक यह खाते बढ़कर आठ लाख से अधिक हो जाने की संभावना है। एएमएफआई के ताजा आंकड़ों के मुताबिक 31 जुलाई तक देश में 2.33 करोड़ से अधिक एसआइपी खातों के माध्यम से पंूजी बाजार में निवेश है। इस लिहाज से बिहार में ऐसे खातों की संख्या कम जरूर है लेकिन ट्रेंड उत्साहजनक है।