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विजयादशमी: दशहरा में जला बुराई का रावण, देर रात तक होता रहा प्रतिमा विसर्जन

पूरे देश की तरह बिहार में भी दशहरा की धूम रही। शुक्रवार को रावण दहन किया गया। पूजा के बाद माता को धूमधाम से विदाई दी गई। शनिवार देर रात तक प्रतिमा विसर्जन का दौर चलता रहा।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 19 Oct 2018 10:22 AM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 09:30 PM (IST)
विजयादशमी: दशहरा में जला बुराई का रावण, देर रात तक होता रहा प्रतिमा विसर्जन
विजयादशमी: दशहरा में जला बुराई का रावण, देर रात तक होता रहा प्रतिमा विसर्जन
पटना [जेएनएन]। नवरात्र की पूजा के बाद शुक्रवार को दशहरा या विजयादशमी की धूम रही। इस दिन धूमधाम से मां दुर्गा को विदाई दी गई। बंगाली महिलाओं ने सिंदूर की होली खेलकर माता से आशीर्वाद मांगा। बुराई पर अच्‍छाई के विजय के प्रतीक के रूप में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों का भी दहन किया गया। इसके बाद शनिवार की देर रात तक मां की प्रतिमाओं का विसर्जन जारी रहा।
प्रतिमा विसर्जन का दौर जारी
शुक्रवार को मां दुर्गा को विदाई दी गई। मां दुर्गा की प्रतिमाओं को बैंड बाजे और जुलूस के साथ विसर्जन के लिए ले जाया गया। पटना सहित पूरे राज्‍य में पूजा पंडालों से मां की प्रतिमाएं गाड़ियों पर रखकर विभिन्‍न नदियों के घाटों पर ले जाईं गईं। वहां उनका सम्‍मान के साथ विसर्जन किया गया। यह सिलसिला शनिवार देर रात तक जारी रहा।

पटना गांधी मैदान में हुआ रावण वध
देर शाम विजयादशमी के अवसर पर पटना के गांधी मैदान में रावण वध समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह में रामायण के विभिन्‍न प्रसंगों को जीवंत किया गया। इस दौरान लंका दहन, मेघनाद व कुंभकर्ण वध आदि के दृश्‍य जीवंत किए गए। अंत में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार ने तीर चलाकर रावण वध किया।

रावण वध के साथ पटाखों की आवाज के बीच बीच जयश्रीराम से उद्घोष से गांधी मैदान गूंज गया। सूर्यास्त के पहले ही दूधिया रोशनी से गांधी मैदान जगमग हो चुका है।

बंगाली महिलाओं ने खेली सिंदूर की होली
रावण वध के पहले आज बंगाली समुदाय में सिंदूर से होली खेली गई। बंगाली समुदाय में यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा को सिंदूर लगाने के बाद बाद एक-दूसरे को सिंदूर लगाया। इस दिन महिलाएं मां दुर्गा को सिंदूर लगाकर अपने सुहाग की रक्षा की प्रार्थना करती हैं।

सिंदूर खेला मूलत: बंगाली समुदाय की परंपरा है। इसके तहत दशहरा के दिन मां दुर्गा की विदाई के पहले उन्‍हें सिंदूर लगाया जाता है। मान्‍यता है कि दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा अपने मायके आती हैं। दशहरा के दिन उन्‍हें सिंदूर लगाकर मायके से विदाई दी जाती है। इसके बाद वहां महिलाएं सिंदूर की होली खेलती हैं।

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