बिहारः पटना हाईकोर्ट से BPSC को मिली निराशा, एक फैसले से गई 451 सहायक प्रोफेसरों की नौकरी
पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सरकारी बीएड कॉलेजों में हुई एसिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। यह आदेश डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने रवि कुमार व अन्य की तरफ से दायर हुई तीन याचिकाओं को मंज़ूर करते हुए दिया।
राज्य ब्यूरो, पटना: पटना हाईकोर्ट की एक पीठ ने सोमवार को राज्य के सरकारी बीएड कॉलेजों में हुई असिस्टेंट प्रोफेसरों की बहाली को अवैध करार देते हुए निरस्त कर दिया है। यह आदेश डॉ. अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने रवि कुमार व अन्य की तरफ से दायर हुई तीन याचिकाओं को मंजूर करते हुए दिया। याचिकाकर्ताओं के वकील सुनील कुमार सिंह एवं योगेन्द्र कुमार का कहना था कि नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई थीl
478 की जगह 451 पदों पर हुई नियुक्ति
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि बहाली हेतु जारी विज्ञापन की शर्तों के खिलाफ जाकर नियुक्ति की गई है। विज्ञापन 478 रिक्त पदों के लिए प्रकाशित किया गया था, जबकि नियुक्तियां 451 पदों पर ही हुईं। योग्य उम्मीदवारों जिनमें याचिकाकर्ता शामिल थे, उनके लिए देय आरक्षण में भी गड़बड़ी की गई।
सरकार के ठोस कदम न उठाने पर लिया निर्णय
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कई बार राज्य सरकार को निर्देश दिया की प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में ही बहाली लेने हेतु उचित कदम उठाए जाएं। लेकिन सरकार की तरफ से कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने पर अदालत ने पूरी नियुक्ति को ही रद्द कर दिया। याचिकाकर्ताओं के वकील सुनील कुमार सिंह एवं योगेन्द्र कुमार का कहना था कि नियुक्ति प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर धांधली की गई थी l
कम अंक वालों का चयन ज्यादा नंबर वाले बाहर
बता दें कि बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) ने सरकारी ट्रेनिंग कॉलेजों में व्याख्याता की नियुक्ति के लिए लिखित परीक्षा में 24 अंक प्राप्त करने वाले का चयन कर लिया करके 42 अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को चयन सूची से बाहर कर दिया था। अधिक अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थियों का आरोप था कि साक्षात्कार के लिए उन्हें कॉल ही नहीं किया गया। सूचना के अधिकार से प्राप्त मेधा सूची के अनुसार 316 नंबर पर चयनित अभ्यर्थी ने लिखित परीक्षा में सिर्फ 24 अंक प्राप्त किए। इसपर बीपीएससी के संयुक्त सचिव सह परीक्षा नियंत्रक अमरेंद्र कुमार ने बताया था कि रिजल्ट में किसी तरह की त्रुटि नहीं थी। विज्ञापन में दर्ज शर्तों के अनुसार ही मेधा सूची का प्रकाशन किया गया था। कम अंक वालों को साक्षात्कार के लिए कॉल नहीं जाने के पीछे का कारण विषयवार रिजल्ट था। लिखित परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर अलग-अलग विषयों के लिए अलग-अलग साक्षात्कार का आयोजन किया गया था। मेधा सूची का प्रकाशन भी विषयवार किया गया था। इसी मामले में अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।