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आइआइटी के छात्रों ने बनाई एेसी गाड़ी जो युद्ध में सेना की करेगी मदद, जानें खासियत

आइआइटी पटना के छात्रों को देश की फिक्र है। यहां के 27 छात्रों की टीम ने एेसी गाड़ी बनाई है जो बालू और गिली मिट्टी में भी सरपट दौड़ सकेगी।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 02:37 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 02:37 PM (IST)
आइआइटी के छात्रों ने बनाई एेसी गाड़ी जो युद्ध में सेना की करेगी मदद, जानें खासियत
आइआइटी के छात्रों ने बनाई एेसी गाड़ी जो युद्ध में सेना की करेगी मदद, जानें खासियत

पटना, जेएनएन। आइआइटी पटना के प्रथम, द्वितीय और तृतीय वर्ष के छात्र भले ही सेना में भर्ती नहीं हुए हैं पर उन्हें देश की चिंता है। वे अपने वीर जवानों के लिए सोचते हैं। इसी के तहत 27 छात्रों की टीम ने एक ऐसी गाड़ी का निर्माण किया है जो युद्ध के हालात में सेना के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है। 27 छात्रों की 'इंविंसिबल टीम' ने ऑल टेरेन व्हीकल (एटीवी व्हीकल) का निर्माण किया है। टीम के कप्तान संपूर्ण कश्यप हैं तो फैकल्टी एडवाइजर की भूमिका डॉ. मो. कलीम खान निभा रहे हैं।

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छह लाख रुपये आई लागत, 10 हॉर्स पावर का लगा है इंजन

छह लाख रुपये की लागत से बने एटीवी का वजन 170 किलोग्राम है। 10 हॉर्स पावर इंजन व सिंगल ड्राइवर से ऑपरेट  होने वाली यह गाड़ी खूबियों का भंडार है। एयर प्रेशर मास्टर स्प्रिंग से युक्त यह गाड़ी बिना किसी जर्क के किसी भी सतह पर आसानी से चल सकती है। मसलन बालू, चट्टान, गीली मिट्टी, कीचड़, बड़ा टीला या उबड़- खाबड़ रास्ता, यह गाड़ी कहीं भी आराम से दौड़ लगा सकती है। एटीवी की अधिकतम स्पीड 54 किलोमीटर प्रति घंटा है। गाड़ी एक लीटर में 15 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है।

युद्ध के समय आर्म्स सप्लाई करने में होगी आसानी

टीम के कश्यप ने बताया कि इस गाड़ी से किसी भी जगह पर युद्ध के समय सेना को रसद व आर्म्स आदि की सप्लाई की जा सकती है। कुछ मामूली परिवर्तन कर इससे खेती के भी काम किए जा सकते हैं। माल लदे ट्रैक्टर व ट्रॉली को खींचने की भी इसमें क्षमता है।

कम खर्च के लिए छात्र कर रहे कोशिश

मल्टीपर्पस व्हीकल के डिजाइन को कंप्यूटर इंजीनियरिंग के छात्रों ने तैयार किया है। मैकेनिकल डिपार्टमेंट के छात्रों ने अपनी वर्कशॉप में इसका निर्माण किया है। कम खर्च में गाड़ी का निर्माण हो, इसके लिए भी काम चल रहा है। अभी अमेरिका से कुछ पाट्र्स मंगाए जाते हैं, इसलिए निर्माण में ज्यादा खर्च आता है। अभी इस खर्च को कुछ एलुमिनी, टीम के सदस्य और स्पॉन्सर वहन कर रहे हैं। फिलहाल इसको पुणे में आयोजित 'एंड्यूरो स्टूडेंट इंडिया' प्रतियोगिता में भेजा जाएगा जहां इसे कई तरह के परीक्षणों से गुजरना है।


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