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स्पिनट्रॉनिक्स युग की तैयारी कर रहा आइआइटी पटना

- सुपर स्पीड और विशाल भंडारण क्षमता वाले कंप्यूटर, मोबाइल को साकार करेगा स्पिनट्रॉनिक्स -

By JagranEdited By: Published: Sat, 01 Jul 2017 03:07 AM (IST)Updated: Sat, 01 Jul 2017 03:07 AM (IST)
स्पिनट्रॉनिक्स युग की तैयारी कर रहा आइआइटी पटना
स्पिनट्रॉनिक्स युग की तैयारी कर रहा आइआइटी पटना

- सुपर स्पीड और विशाल भंडारण क्षमता वाले कंप्यूटर, मोबाइल को साकार करेगा स्पिनट्रॉनिक्स

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- संस्थान के भौतिकी विभाग के छात्र इसे मूर्त रूप देने में जुटे

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सुधीर, पटना : वर्तमान युग की गति में क्राति की योजना बना रहे हैं आइआइटी पटना के शोधार्थी। फिजिक्स डिपार्टमेंट के रिसर्च एरिया में स्टूडेंट इस क्राति को मूर्त रूप देने में लगातार लगे हुए हैं। इस क्राति का नाम है स्पिनट्रॉनिक्स। इसके रास्ते में आ रही चुनौतियों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण शोध कर रहा है आइआइटी पटना। वह कुछ ऐसा कर रहा है, जिससे पूरी दुनिया के भविष्य का रास्ता खुल सकेगा। यह मान लिया गया है कि वर्तमान का नाम अगर इलेक्ट्रॉनिक्स युग है तो आने वाले युग का नाम स्पिनट्रॉनिक्स होगा।

दरअसल अब दुनिया को चाहिए सुपर स्पीड और विशाल भंडारण क्षमता वाले कंप्यूटर, मोबाइल आदि। यह वर्तमान तकनीक से संभव नहीं। इसके लिए इलेक्ट्रॉन की स्पिन का इस्तेमाल कर गति और भंडारण की क्षमता हासिल की जा सकती है। इसे स्पिनट्रॉनिक्स नाम दिया गया है। इसके इस्तेमाल में अभी कई चुनौतिया आ रही हैं, जिन्हें दूर करने के लिए आइआइटी में विशेषज्ञों का दल काम कर रहा है।

आइआइटी पटना में विशेषज्ञ कर रहे शोध :

आइआइटी पटना में इसके लिए भौतिकी के विभागाध्यक्ष डॉ. उत्पल राय के नेतृत्व में विशेषज्ञों का एक दल शोध कर रहा है। इस दल में डॉ. सौम्य ज्योति रे और डॉ. जयकुमार बालकृष्णन विशेषज्ञ के रूप में हैं। ये दोनों वहीं के शिक्षक हैं। डॉ. उत्पल ने कहा कि स्पिनट्रॉनिक्स में परंपरागत फेरोमेग्नेट्स और पतली ऑक्साइड की परत दो मुख्य परेशानिया हैं। दरअसल अभी इसके इस्तेमाल में कोबाल्ट, पर्मलॉय आदि परंपरागत फेरोमेग्नेट्स का इस्तेमाल अनिवार्य है। आइआइटी में दो अनूठे पदाथरें पेरोव्स्काइट्स और ग्राफेन की असमान संरचना को पैदा कर दोनों चुनौतियों पर काबू पाने की कोशिश की जा रही है। ग्राफेन अपनी कम परमाणु संख्या के कारण इलेक्ट्रॉन स्पिन को अधिक दूरी तक ढोने में सक्षम है। साथ ही पेरोव्स्काइट्स कक्ष तापमान पर लौहचुंबकीय रचना तैयार कर सकता है। ऐसा होते ही दोनों चुनौतियों पर काबू पा लिया जाएगा। एक बार प्रयोग सफल होते ही भविष्य की तकनीक का बड़ा रास्ता खुल जाएगा।

: वैज्ञानिक शोधों में आएगी तेजी :

ढेर सारी गुत्थिया सुलझाने के लिए वैज्ञानिकों को अधिक तेज, छोटा और मजबूत कंप्यूटर और अन्य डिवाइस चाहिए। यह स्पिनट्रॉनिक्स से ही संभव है। खासकर अंतरिक्ष की गुत्थिया सुलझाने में, पृथ्वी की उत्पत्ति समझने में, मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने आदि से लेकर सुरक्षा उपकरण बनाने में इसकी जरूरत है। कई महत्वपूर्ण आविष्कार हो चुके हैं, लेकिन जरूरत के मुताबिक तेजी से डाटा एनालाइज करने वाले प्रोसेसर नहीं होने के कारण उनका अधिक बेहतर इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। डॉ. उत्पल ने कहा कि पुरानी तकनीक के सहारे चीजों को जितना छोटा कर सकते थे, लगभग कर चुके हैं। भंडारण की क्षमता की सीमा पर पहुंच चुके हैं। स्पिनट्रॉनिक्स ही अब उपाय और भविष्य है।

इन क्षेत्रों में भी हो रहा शोध :

आइआइटी पटना आने वाले दिनों में कई चमत्कारी शोध परिणाम दे सकता है। यहा सिर्फ स्पिनट्रॉनिक्स ही नहीं, बल्कि दूसरे कई महत्वपूर्ण प्रयोग किए जा रहे हैं। अन्य प्रयोगों में ऑर्गेनिक इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर सेल, क्वाटम इन्फॉर्मेशन प्रोसेसिंग, फोटोनिक्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स आदि काफी महत्वपूर्ण हैं। इनमें से कई में निकट भविष्य में बेहतर परिणाम की उम्मीद की जा रही है।


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