आइजीआइएमएस में सितंबर से कैंसर मरीजों का एक छत के नीचे उपचार, पेट स्कैनर मशीन भी लगी
आइजीआइएमएस में सितंबर से एक छत के नीचे कैंसर का इलाज हो सकेगा। शुरुआती कैंसर की पहचान के साथ यहां उपचार व ऑपरेशन तक की सुविधा मिलेगी।
नलिनी रंजन, पटना। राज्य के मरीजों को इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में बन रहे स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट में एक ही छत के नीचे कैंसर की पहचान से लेकर अत्याधुनिक उपचार व ऑपरेशन तक की सुविधा मिलेगी। यह संस्थान इसी वर्ष सितंबर तक तैयार हो जाएगा। हालांकि राज्य सरकार ने अप्रैल 2020 में ही तैयार करने का लक्ष्य रखा था। ये सुविधा मिलने के बाद राजधानी में दूर-दराज से आए लोगों का इलाज एक छत के नीचे किया जा सकेगा।
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का बंकर बनकर तैयार हो गया है। पोजिट्रॉन इमिशन टोमोग्राफी (पेट स्कैन), ब्रैकीथेरेपी, दो एडवांस लीनियर एक्सीलेरेटर, एमआरआइ आदि मशीनें पहुंच चुकी हैं। सीटी सिम्युलेटर, साइक्लोट्रॉन, स्टेम सेल लैब, ओटी के पांच मॉड्यूलर उपकरण भी दिल्ली पहुंच चुके हैं। जून तक यह संस्थान में पहुंच जाएगा। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि सितंबर से यहां काफी कम खर्च में कैंसर के मरीजों का अत्याधुनिक उपचार एक ही छत के नीचे उपलब्ध हो सकेगा।
इमरजेंसी के बगल में चार फ्लोर का बन रहा भवन
आइजीआइएमएस की इमरजेंसी वार्ड के बगल में बन रहा स्टेट कैंसर संस्थान चार फ्लोर का होगा। पहले फ्लोर पर ओपीडी और दूसरे फ्लोर पर वार्ड होगा। इसमें 100 बेड होंगे। 10 बेड का आइसीयू होगा। ग्राउंड फ्लोर पर ब्रैकीथेरेपी, दो एडवांस लीनियर एक्सीलेरेटर, एमआरआइ व पेट स्कैन होगा। थर्ड फ्लोर पर अत्याधुनिक ओटी होगा। चौथे फ्लोर पर बोन मैरो प्रत्यारोपण के लिए भी ओटी प्रस्तावित है।
हर वर्ष 50 हजार से अधिक पहुंचते हैं मरीज
रेडिएशन कैंसर विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि हर वर्ष आइजीआइएमएस में 50 हजार से अधिक मरीज पहुंचते हैं। इसमें पांच-सात हजार नए मरीज शामिल होते हैं। राजधानी के अन्य अस्पतालों में भी लगभग इतने मरीज पहुंचते हैं। स्टेट कैंसर में ही अत्याधुनिक सुविधाएं मिलने से मरीजों को दिल्ली व मुंबई जाने की जरूरत नहीं होगी।