हल्दी और अमेरिकन डायमंड से बनी प्रतिमाएं मोह रहीं मन
राजधानी की दुर्गापूजा इस बार कई मायनों में खास है।
पटना। राजधानी की दुर्गापूजा इस बार कई मायनों में खास है। पूजा समितियों ने पंडाल और मूर्तियों को कई तरीके से अनोखा बनाने की कोशिश की है। सप्तमी तिथि को पूजा-अर्चना के बाद मां की प्रतिमाओं के पट खुले, जिसे देखने के लिए भक्तों की भीड़ पूजा पंडालों में उमड़ पड़ी। भंवर पोखर, अमरूदी गली आदि जगहों पर हल्दी, मोती, डायमंड और सूजी से निर्मित प्रतिमाएं पूजा में आकर्षण का केंद्र बनी हैं। इन सभी मूर्तियों का निर्माण करने वाले मूर्तिकार जितेंद्र हैं, जो पिछले सात-आठ सालों से विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का निर्माण कार्य करते आ रहे हैं। मूर्तिकार जितेंद्र की मानें तो इस प्रकार की मूर्तियों को देखने के लिए काफी संख्या में दूर-दराज से श्रद्धालु आते हैं।
हल्दी से बनी है मां की प्रतिमा -
न्यू आर्या एथलेटिक क्लब अमरूदी गली में मां की प्रतिमा लोगों को आकर्षित कर रही है। क्लब की ओर से इस बार हल्दी से भारत माता की प्रतिमा बनाई गई है। क्लब के अध्यक्ष संजय कुमार ने कहा कि बारिश के कारण मूर्ति के निर्माण में काफी परेशानी आई। हल्दी से बनी मां की प्रतिमा छह फीट की है। खेमनीचक में जितेंद्र कुमार कारीगर ने इसका निर्माण किया है। मूर्ति बनाने में 25-30 हजार रुपये का खर्च आया है। पूजा समिति के रवि कुमार नेपाली एवं गोपाल ने कहा कि मूर्ति के निर्माण में 20 किलो हल्दी का प्रयोग हुआ है।
सफेद तिल से मूर्ति का निर्माण -
यूथ इंडिया क्लब भंवर पोखर पूजा समिति की ओर से इस बार मां की प्रतिमा का निर्माण सफेद तिल से किया गया है। इसका निर्माण मूर्तिकार जितेंद्र कुमार ने किया है। मूर्ति के निर्माण में पांच से सात किलो तिल का प्रयोग हुआ है। क्लब के अध्यक्ष राजा कुमार अभिषेक ने कहा कि बारिश के कारण इस बार काफी परेशानी हुई है। इसके बावजूद समिति की ओर से प्रयास कर मूर्ति को स्थापित किया गया।
अमेरिकन डायमंड से मूर्ति का निर्माण -
एएमबीसी क्लब अमरूदी मोहल्ला की ओर से दशहरा के मौके पर अमेरिकन डायमंड से मां की प्रतिमा का निर्माण किया गया है। मूर्ति की ऊंचाई लगभग छह फीट है। पूजा समिति के धीरज बताते हैं कि मूर्ति को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आते हैं। वही मुस्सलहपुर में मोती से निर्मित प्रतिमा का निर्माण किया गया है। वही सूजी की प्रतिमा नयाचक बाइपास में बनाई गई है। इन प्रतिमाओं का दर्शन करने के लिए भक्तों की भीड़ दोपहर से लेकर देर रात तक रही।