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पुलवामा शहीद संजय का मोहल्‍ला: शहादत से मिली शोहरत और बढ़ी विकास की उम्‍मीदें

पटना के मसौढ़ी स्थित तारेगना मठ मोहल्‍ला की पहचान अब पुलवामा के शहीद संजय कुमार सिन्हा से है। यहां मूलभूत सुविधाओं की बेहद कमी है। इलाके का आंखों देखा हाल पढि़ए इस खबर में।

By Amit AlokEdited By: Published: Fri, 22 Feb 2019 11:10 PM (IST)Updated: Fri, 22 Feb 2019 11:29 PM (IST)
पुलवामा शहीद संजय का मोहल्‍ला: शहादत से मिली शोहरत और बढ़ी विकास की उम्‍मीदें
पुलवामा शहीद संजय का मोहल्‍ला: शहादत से मिली शोहरत और बढ़ी विकास की उम्‍मीदें

पटना [नागेंद्र कुमार सिन्हा]। सड़कें तो कच्ची पहले भी थीं मगर आजकल धूल ज्यादा उड़ रही है। बड़ी-बड़ी गाडिय़ों का काफिला जो पहुंच रहा है। वीआइपी मूवमेंट बढ़ गया है और इसके साथ उम्मीद भी बढ़ गई है शहीद के इस मोहल्ले के संवरने की। हम बात कर रहे हैं पटना के मसौढ़ी नगर परिषद के वार्ड चार स्थित तारेगना मठ की। उसकी पहचान अब पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान संजय कुमार सिन्हा से है। नगर परिषद कार्यालय से यह मोहल्ला महज एक किलोमीटर दूर है, मगर सुविधाओं से दूरी बहुत ज्यादा है।
आने-जाने के लिए कोई सड़क नहीं, रेल ट्रैक का सहारा
रेलवे लाइन इस मोहल्ले को दो दिशाओं (पूरब और पश्चिम) में बांटता है। पश्चिम से पूरब अथवा पूरब से पश्चिम आने-जाने के लिए कोई सड़क नहीं है। मोहल्ले के लोग रेलवे ट्रैक पार कर अथवा रेलवे पुल के नीचे से आते-जाते हैं। बरसात के दिनों में इस रास्ते में पानी भर जाने पर रेलवे ट्रैक से पार करना ही एकमात्र विकल्प बचता है। रेलवे लाइन से होकर जाने वाला रास्ता भी कच्चा ही है।

शहीद संजय के घर तक की सड़क भी कच्ची
शहीद संजय सिन्हा के घर तक जाने वाली सड़क भी कच्ची है। नाली, सड़क, पानी और प्राथमिक विद्यालय जैसी बुनियादी सुविधाएं भी मोहल्ले के लोगों को अब तक नसीब नहीं हो सकी हैं। यह मोहल्ला अपने वार्ड का सबसे उपेक्षित इलाका माना जाता है।
बांस के सहारे आती है बिजली
मोहल्ले में बिजली तो है, लेकिन पोल नहीं है। इस कारण लोग बांस के सहारे घरों तक बिजली का तार लेकर आए हैं। बीते दिनों शहीद संजय के पार्थिव शरीर यहां पहुंचने पर बांस पर टंगें बिजली के तार को देख डीएम ने पोल गाडऩे का आदेश दिया था। गुरुवार को शहीद के घर के आसपास आनन-फानन में कुछ बिजली के पोल लगा दिए गए हैं।
दो चापाकलों के सहारे पूरा मोहल्‍ला
शहीद संजय के पिता महेंद्र प्रसाद सिंह बताते हैं कि मोहल्ले के घरों के चापाकल का पानी भी सूख गया है और पानी की बड़ी किल्लत हो गई है। यहां एक-दो सरकारी चापाकल हैं, जिससे मोहल्ले के लोग अपनी प्यास बुझाते हैं। नगर परिषद द्वारा संचालित नल-जल योजना के तहत यहां अब तक कोई काम नहीं हुआ है।

विद्यालय नहीं होने से पढ़ाई में परेशानी
शहीद संजय के चचेरे भाई गौतम कुमार कहते हैं कि मोहल्ले में प्राथमिक विद्यालय नहीं है। यहां के बच्चे करीब दो किलोमीटर की दूरी तय कर प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित मध्य विद्यालय में पढऩे जाते हैं। बरसात के दिनों में रेलवे पुल के नीचे पानी भर जाने पर जान-जोखिम में डालकर यहां के नौनिहाल रेलवे ट्रैक पार कर ही विद्यालय जा पाते हैं। 

सुविधाओं के अभाव से लोग निराश
यहां सुविधाओं के अभाव से लोग निराश व नाराज हैं। यहां के निवासी कपिलदेव गिरि आक्रोश में दिखे। कहते हैं कि वे लोग नगर परिषद को टैक्स तो देते हैं, लेकिन सुविधा के नाम पर न नाली है और न ही आने-जाने का कोई रास्ता। वार्ड से अबतक तीन पार्षद हो चुके हैं, लेकिन समस्याओं का समाधान नहीं हो सका है।

सुधा देवी को चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध नहीं होने का मलाल है। खांसी-सर्दी होने पर भी अनुमंडल अस्पताल जाना पड़ता है। यहां कोई कम्युनिटी हॉल तक नहीं है। कहतीं हैं, 'अब इतने साहब लोग आ रहे तो उम्मीद है कि कुछ सुविधा बढ़ेगी।'

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