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FLASHBACK 2016 : बिहार में पूर्ण शराबबंदी, आसान नहीं थी राहें

बिहार के लिए साल 2016 एक एतिहासिक साल के रुप में हमेशा याद किया जाएगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सामाजिक सरोकार पर अपना दायित्व निभाते हुए शराबबंदी का कानून लागू किया।

By Kajal KumariEdited By: Published: Fri, 30 Dec 2016 06:34 PM (IST)Updated: Sat, 31 Dec 2016 10:25 PM (IST)
FLASHBACK 2016 : बिहार में पूर्ण शराबबंदी, आसान नहीं थी राहें

पटना [काजल]। बिहार के लिए यह साल एतिहासिक रहा, राज्य सरकार ने अहम फैसला लेते हुए एक अप्रैल को देसी शराब बंद कराई और उसके बाद पांच अप्रैल को राज्य में पूर्ण शराबबंदी का आदेश जारी कर दिया। नीतीश कैबिनेट ने सर्वसम्मति से शराबबंदी के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी और इस फैसले के बाद बिहार देश का चौथा ड्राइ स्टेट बन गया।

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राजनीतिक मुद्दे से ज्यादा शराबबंदी राज्य के सामाजिक परिवेश के लिए एक सफल साबित हुआ। इस फैसले के बाद उन घरों में जहां शाम में पति शराब पीकर आता था और पत्नी को पीटता था, बच्चों की पढ़ाई के पैसे सबकुछ शराब की भेंट चढ़ जाया करते थे उन घरों से हंसी-खुशी की आवाजें आने लगीं। खालकर निम्न वर्ग की महिलाएं इससे काफी खुश हुईं और नीतीश कुमार को धन्यवाद कहा।

आसान नहीं थी बिहार में शराबबंदी की राह

हालांकि बिहार के लिए शराब को बंद करना आसान काम नहीं था। लोग नशा का शौक पूरा करने के लिए चरस खाने लगे, दवाएं, सीरप जिनसे नशा की तृप्ति होती थी वो दवाएं खाने लगे यहां तक की दर्द निवारक जेल बाम, साबुन जाने क्या-क्या खाकर नशे की लत को संतुष्ट करने लगे। नशा मुक्ति केंद्र में लंबी लाइनें दिखीं, नशे के लतियों की तबियत खराब होने लगी।

यहां तक कि लोग चोरी-छिपे देसी शराब बनाकर पीने लगे और इसी में गोपालगंज में कुछ लोग जहरीली शराब पीकर मौत की भेंट चढ़ गए। लेकिन इन सबके बावजूद शराबबंदी कानून बनाकर लागू कर दिया गया।

शराबबंदी की मुहिम अटल रही और पूर्ण शराबबंदी के बाद दो अक्टूबर को कैबिनेट की आपात बैठक कर नीतीश कुमार ने नया शराबबंदी कानून लागू कर दिया। कैबिनेट से बिहार मद्य निषेध और उत्पाद अधिनियम 2016 को बिहार में लागू करने की मुहर लगते ही इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई।

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बिहार से निकलकर शराबबंदी देशव्यापी मुद्दा बना शराबबंदी बिहार से निकलकर देशव्यापी मुद्दा बन गया और नीतीश कुमार की छवि राष्ट्रीय पटल पर अंकित हो गई। इसकी हर किसी ने सराहना की। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाते हुए सभी एनएच से शराब की दुकानें हटाने का आदेश दिया। जदयू के लिए यह एक बड़ा फैसला साबित हुआ।

पांच अप्रैेल को लागू हुई थी पूर्ण शराबबंदी

पांच अप्रैल से पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद राज्य में शराब बेचना, रखना या पीना पूरी तरह से प्रतिबंधित हो गया। इसके तहत अब राज्य में शराब बेचना, रखना और पीना पूरी तरह प्रतिबंधित हो गया है। शराब पर् प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार को तरह-तरह की आलोचनाओं से गुजरना पड़ा लेकिन अपने निश्चय पर अडिग रहने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस फैसले से अपने कदम नहीं हटाए और इस फैसले ने राज्य की प्रगति के लिए एक गहरी लकीर खींच दी।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बड़ा फैसला - शराबबंदी

नीतीश कुमार के इस बड़े फैसले की सबने आलोचना की, बड़े-बड़े बार, होटल सभी के व्यवसाय पर असर पड़ा। देखते ही देखते शराब की दुकानों में खिलौने और बर्तन की दुकानें खुल गईं और जनता ने इस फैसले पर हैरानी जताई। लोग खुलेआम कहते नजर आए कि एक बार और शराबबंदी की गई थी लेकिन कामयाव नहीं हुई वैसे ही कुछ दिनों बाद ये शराबबंदी भी हवा हो जाएगी।

लागू हुआ नया उत्पाद विधेयक, हाइकोर्ट ने जताया था एतराज

लेकिन राज्य सरकार ने सबकी बोलती बंद कर उत्पाद विधेयक पर मुहर लगाकर नया शराबबंदी कानून लागू कर दिया, जिसकी काफी आलोचना हुई। विपक्ष के साथ ही महागठबंधन में भी कुछ लोगों ने इसे कड़ा कानून कहा। इसके लिए हाई कोर्ट में मुकदमा दायर हुआ, सुनवाई हुई और हाइकोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया था कि कानून में मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, हाइकोर्ट के फैसले पर लगा दी रोक

इसके बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, शराबबंदी कानून को लेकर मचे घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए बिहार सरकार को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार की ओर से पटना हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पटना हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

दूसरे राज्यों से आकर लोगों ने नीतीश को दिया निमंत्रण

नीतीश कुमार की यही इच्छा शराबबंदी के लिए बिहार पूरे देश में उदाहरण बने। इसकी कामयाबी देखकर दूसरे राज्य से आकर लोगों ने मुख्यमंत्री से कहा कि वे उनके राज्य भी आकर लोगों को शराबबंदी के बारे में बताएं। नीतीश कुमार कई राज्यों में गए और लोगों से शराबबंदी को देशलव्यापी अांदोलन बनाने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने शराबबंदी के लिए राज्य के नागरिकों की भागीदारी के लिए उनका धन्यवाद दिया, खासकर राज्य की महिलाओं का तहेदिल से शुक्रिया कहा। नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य में शराबबंदी का बेहतर माहौल है। यहां के लोगों में खुशी का माहौल है।

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ताड़ी पर भी लगाया प्रतिबंध

ताड़ी पर प्रतिबंध के बारे में नीतीश ने कहा कि ताड़ी में भी मादक गुण मौजूद होते हैं। वह भी नशीला पेय है। उसपर भी प्रतिबंध लागू होगा। उन्होंने कहा कि हाट-बाजार में या सार्वजनिक जगहों पर ताड़ी की दुकानें नहीं खुलेंगी। ताड़ी की जगह नीरा को प्रोत्साहित किया जाएगा। नीरा स्वास्थ्यवर्धक होता है उसमें मादकता नहीं होती।

सबों ने किया फैसले का स्वागत

पूर्ण शराबबंदी के इस फैसले पर प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। सभी ने इस फैसले की सराहना करते हुए उम्मीद जताई कि सरकार इसका अनुपालन सुनिश्चित कराने में कामयाब होगी।

डिप्टी सीएम तेजस्वी ने ट्वीट कर पूर्ण शराबबंदी के फैसले का स्वागत किया उन्होंने कहा कि महिलाओं और बच्चों के शराबबंदी के प्रति उत्साह व समर्थन को देखते हुए बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई है। उन्होंने आगे लिखा है, "नशा छोड़ो, समाज जोड़ो...जय हो।

बर्बाद हो जाउंगा, शराबबंदी से समझौता नहीं करूंगा

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि मैं बर्बाद हो जाऊंगा मगर शराबबंदी से समझौता नहीं करूंगा। विपक्ष कहता है कि मैं शराबबंदी के नशे में हूं। हां, मुझ पर शराबबंदी का नशा है। जो पीए बिना नहीं रह सकते वो कहीं और चले जाएं।

चूंकि बिहार में शराब की गुंजाइश नहीं है। जिन्हें जितना मजाक उड़ाना हो, उड़ा लें। हम पीछे हटने वाले नहीं। पता है कि हमने बिड़नी के छत्ते में हाथ डाला है। यह भी पता है कि इसके पीछे कितनी ताकतवर लाॅबी है। पर, हमें इसकी परवाह नहीं।

हां, मुझे शराबबंदी का नशा है...

शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तल्ख तेवर अपनाते हुए विपक्ष पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सामाजिक मुद्दों पर प्रतिबद्धता को अगर आप नशा कहते हैं, तो हां,मुझे नशा है। मुझे शराबबंदी का नशा है।

शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध घटे

पिछले वर्ष की तुलना में संज्ञेय अपराध में 12.7 फीसदी कमी आई है। गांवों में जाइए, शांति है। कोई हल्ला-हंगामा नहीं, मारपीट नहीं। शहरों में लहरिया कट देख रहे हैं कहीं? महिलाएं खुश हैं। 1.19 करोड़ बच्चों के माध्यम से अभिभावकों ने शराबबंदी का संकल्प लिया। क्या यह सब बदलाव नहीं है?

आज बिहार की जनता राज्य में शराबबंदी से काफी खुश है। लोग अपने आस-पास दूसरे राज्यों के लोगों को बताने में गर्व महसूस करते हैं कि हमारे बिहार आओगे तो शराब नहीं मिलेगी। लोग खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। जिनकी तबियत खराब हो रही थी शराब के बिना नहीं रह सकते थे आज उनकी आदत भी छूट गई है। पुलिस और प्रशासन ने इसमें काफी सहयोग किया। अब हम गर्व से कहते हैं कि बिहार में शराब का नाम....भूलकर भी मत लेना।


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