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BSEB की विश्‍वसनीयता पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की विश्‍वसनीयता पर एक बार फिर से सवाल उठा है। हाईकोर्ट ने समिति की एक गंभीर गलती को पकड़ते हुए पांच लाख का जुर्माना लगाया है।

By Ravi RanjanEdited By: Published: Wed, 18 Oct 2017 07:06 PM (IST)Updated: Thu, 19 Oct 2017 04:31 PM (IST)
BSEB की विश्‍वसनीयता पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना
BSEB की विश्‍वसनीयता पर उठा सवाल, हाईकोर्ट ने लगाया 5 लाख का जुर्माना

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की विश्वसनीयता पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। पटना हाईकोर्ट ने बुधवार को परीक्षा समिति की एक गंभीर गलती पकड़ी। कोर्ट ने बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से पीडि़त को 5 लाख रुपये हर्जाना देने को कहा है। परीक्षा समिति को तीन महीने में यह राशि देनी है। हर्जाना याचिकाकर्ता को हुई मानसिक प्रताडऩा के लिए दिया गया है।

न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह की पीठ ने प्रियंका सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्क्रूटनी की खानापूर्ति में सुधार लाने के लिए एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया। वैसे छात्र-छात्राएं जो स्क्रूटनी से संतुष्ट नहीं हैं, उनकी कॉपियां इस कमेटी द्वारा जांची जाएंगी।

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क्या है मामला
प्रियंका ने याचिका दायर कर बताया था कि उसके साथ परीक्षा समिति ने नाइंसाफी की है। पुनर्मूल्यांकन में भी न्याय नहीं किया गया। उसे वर्ष 2017 की मैट्रिक परीक्षा में संस्कृत में 4 एवं विज्ञान में महज 29 अंक दिया गया। इतने कम अंक को लेकर कॉपी की स्क्रूटनी के लिए निर्धारित राशि जमा कर दी गई।

स्क्रूटनी के बाद उसे बोर्ड ने संस्कृत में 9 और विज्ञान में 7 अंक दिये। इससे वह संतुष्ट नहीं थी। लाचार होकर उसे याचिका दायर करनी पड़ी।  इस पर कोर्ट ने  पहली ही सुनवाई में कहा कि कि अगर आरोप गलत पाए गए तो उसे 40 हजार रुपये का आर्थिक दंड लगेगा। वह छात्रा इसके लिए भी भी तैयार हो गई। उसने कोर्ट के आदेश से 40 हजार रुपये जमा किये।

याचिकाकर्ता की कॉपी बोर्ड द्वारा कोर्ट में पेश की गई। इसमें उसकी हैंडराइटिंग अलग पाई गई। दरअसल, अदालत में उपलब्ध कराई गई कॉपी उसकी थी ही नहीं। अदालत की सख्ती के बाद उक्त छात्रा की मूल कॉपी अदालत में पेश की गई जिसकी जांच हुई तो उक्त छात्रा को विज्ञान में 80 और संस्कृत में 61 अंक मिले।

कोर्ट ने परीक्षा समिति की कारगुजारी पर कड़ी नाराजगी जताई। याचिकाकर्ता के वकील रतन कुमार ने कोर्ट से कहा कि लेट से रिजल्ट मिलने पर वह अच्छे संस्थान में नामांकन लेने से वंचित रह गई।


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