जिस मरीज के पैर काटने की हो चुकी थी तैयारी, वह अब आर्टिफिशियल घुटने के कारण चल पा रहा
जिन दो मरीजों के पैरों को डॉक्टर काटने की सलाह दे चुके थे कस्टमाइज्ड नी ट्रांसप्लांट की मदद से आज वे चल-फिर रहे हैं। बिहार में पहली बार सफल कस्टमाइज्ड घुटना प्रत्यारोपण किया गया है। दस हजार से अधिक सर्जरी कर चुके हड्डी रोग विशेषज्ञ ने दोनों सफल ऑपरेशन किए।
पटना, जागरण संवाददाता। Health Services in Patna: चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में हुई प्रगति ने आम आदमी का जिंदगी काफी आसान कर दिया है। खुशी की बात यह है कि अब पटना के अस्पतालों में भी उन्नत तकनीक और विशेषज्ञ चिकित्सा का लाभ मरीजों को मिलने लगा है। जिन दो मरीजों के पैरों को डॉक्टर काटने की सलाह दे चुके थे, कस्टमाइज्ड नी ट्रांसप्लांट की मदद से आज वे चल-फिर रहे हैं। प्रदेश में पहली बार सफल कस्टमाइज्ड घुटना प्रत्यारोपण किया गया है। दस हजार से अधिक सर्जरी कर चुके हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. निशिकांत कुमार ने दोनों सफल ऑपरेशन किए।
दो साल से बेड पर पड़ा मरीज अब चल सकेगा
आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. निशिकांत कुमार ने बताया कि पटना के गणेश कुमार गंभीर ऑर्थराइटिस के कारण दो साल से बेड पर पड़े थे। घुटने से लगातार साइनस डिस्चार्ज को देखते हुए प्रदेश के बाहर तक के डॉक्टरों ने पैर काटने की सलाह दी थी। उन्होंने मरीज की सहमति से कस्टमाइज्ड नी ट्रांसप्लांट की योजना बनाई। पहले चरण में घुटने के सभी इंफेक्टेड मैटेरियल व हड्डियों को बाहर निकाला और एक माह बाद जर्मनी से मंगाए स्पेशल इंप्लांट लगाए।
आर्थराइटिस के गंभीर मरीज को कर दिया बिल्कुल फिट
मरीज के लिए विशेष तौर पर जर्मनी से मंगाए गए इंप्लांट फेमोरल विड्थ के अनुसार बिल्कुल फिट बैठा। अब गणेश के घुटने बिना दर्द काम कर रहे हैं। इसी प्रकार ट्यूबरकलोसिस आर्थराइटिस से पीडि़त दरभंगा के मदन राय का घुटना 90 डिग्री पर मुड़ गया था। सीटी स्कैन से मरीज की बोन विड्थ देखने के बाद उनको भी विशेष इंप्लांट लगाए गए और अब वे चल-फिर रहे हैं।
राजवशंनीगर में है बोन और न्यूरो का सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल
पटना के राजवंशीनगर में बोन और न्यूरो का सरकारी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल है। यहां मरीजों का इलाज पूरी तरह मुफ्त किया जाता है। यहां सेवा देने वाले सभी डॉक्टर वरिष्ठ और अनुभवी भी हैं। इसे राजवंशीनगर अस्पताल भी कहते हैं, हालांकि इसका पूरा नाम लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल है।