पटना के इस अस्पताल के गेट पर ही गड्ढा, प्यास लगी तो देखना पड़ता बाहर का रास्ता
पटना सिटी का कुष्ठ अस्पताल जर्जर मरीज प्यासे सालों से चापाकल खराब गंदगी से भरा कुआं भी सूखा गुलजारबाग स्थित चालीस वर्ष पुरानी कुष्ठ नियंत्रण इकाई का भवन बदहाल अस्पताल के सुरक्षित और बड़े परिसर में असामाजिक तत्व सक्रिय हरियाली गायब
पटना सिटी, जागरण संवाददाता। गायघाट में स्लम बस्ती चांद कॉलोनी से सटे कुष्ठ रोगियों के अस्पताल में आने वाले मरीजों तथा स्वजनों को पीने के लिए पानी तक नहीं है। परिसर में लगा चापाकल सालों से खराब है। गंदगी के भरे एक कुआं में एक बूंद पानी नहीं है। पटना जिला के विभिन्न इलाकों से यहां आने वाले कुष्ठ रोगियों की सुविधा के लिए यहां कुछ भी नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा के कारण यहां का भवन जर्जर और व्यवस्था चौपट हो गयी है। परिसर में असमाजिक तत्वों का हर समय जमावड़ा होने के कारण मरीज से लेकर कर्मी तक सहमे रहते हैं। एक बड़े परिसर से हरियाली गायब है। झाड़ियां उगी है। प्रवेश गेट पर ही गड्ढा है।
जानकारी के अनुसार वर्ष 1980 से संचालित कुष्ठ नियंत्रण इकाई गुलजारबाग में पटना तथा आसपास क्षेत्रों से मरीज पहुंचते हैं। इन्हें यहां दवाइयां मुफ्त दी जाती हैं। मरीजों ने बताया कि इलाज के लिए यहां चिकित्सा प्रभारी डॉ. सुनीति सिंह हर दिन पूरे समय मुस्तैद रहती हैं। अन्य कर्मी भी जागरूकता से लेकर हर तरह का सहयोग करते हैं। पर, बैठने, धूप-पानी से बचने तथा पीने के लिए पानी तक नहीं है। परिसर को व्यवस्थित करने की आवश्यकता है।
सामान्य रोगियों के लिए हर दिन चलता है ओपीडी
जिला में कुष्ठ रोगियों की संख्या दो अंक में सिमट जाने के बावजूद इसकी उपयोगिता बनी है। यहां सामान्य मरीजों के लिए हरदिन सुबह आठ बजे से लेकर दोपहर दो बजे तक ओपीडी चलाया जा रहा है। सर्दी, खांसी, बुखार की दवाइयां भी मिलती हैं। यहां आने वाले मरीज व स्वजन इस व्यवस्था से खुश हैं लेकिन सुविधाएं बढ़ाने की मांग करते रहे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने दिखायी दिलचस्पी, एनएमसीएच की भीड़ हो सकती है कम
एनएमसीएच में मुख्यमंत्री के निरीक्षण के दौरान उपस्थित सूबे के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कुष्ठ नियंत्रण इकाई गुलजारबाग का महत्व जाना। इस अस्पताल को पीएचसी की तरह विकसित किए जाने से एनएमसीएच के ओपीडी में उमड़ने वाले सामान्य रोग के मरीजों की भीड़ कम हो सकती है। चार डॉक्टरों की प्रतिनियुक्ति और व्यवस्था में सुधार कर सामान्य मरीजों का यहां बेहतर इलाज हो सकता है। अस्पताल का चित्र देखकर स्वास्थ्य मंत्री इस मामले में दिलचस्पी दिखायी। फिलहाल यहां डॉ. सुनीति सिंह प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, मो. अली कुष्ठ पर्यवेक्षक, ललन कुमार लिपिक, सुनील कुमार गवास्कर फार्मासिस्ट, महेंद्र चौधरी बतौर लैब टेक्नीशियन कार्यरत हैं। कई पद रिक्त हैं।