डॉक्टर के पुर्जे और जांच रिपोर्ट साथ लेकर चलने की नहीं होगी जरूरत, एक नंबर आसान करेगा काम
आपकी सेहत की कुंडली बन जाएगा एक नंबर स्वस्थ बिहार की एक ओर सरकार का एक बेहतर कदम दो अस्पतालों में परीक्षण के बाद सभी में लगाने की कवायद शुरू विकसित देशों की तरह पहली बार का पंजीयन नंबर में एकत्र होता जाएगा पूरा विवरण।
पटना [पवन कुमार मिश्र]। हम आप कभी न कभी छोटे-मोटे रोग के इलाज के लिए अस्पताल तो जाते ही हैं लेकिन बचपन से अबतक उनका रिकॉर्ड मांगा जाए तो हमारे होश उड़ जाएंगे। किसी को नहीं पता कि उसे कब क्या रोग हुआ था और जांच में क्या निकला था और क्या दवाएं दी गई थी। लेकिन अब सरकार राज्य के हर निवासी के रोग, उपचार, जांच व क्या दवाएं दी गई थीं, इसका पूरा हिसाब रखेगी। इसके लिए विगत कई वर्षों से संचालित हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम को अपडेट किया गया है। इसमें तहत एक बार किसी व्यक्ति ने किसी भी सरकारी अस्पताल में अपना पंजीयन कराया तो वह उसका यूनिक आइडी नंबर बन जाएगा। वह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से चाहे सेकेंडरी कैटेगरी यानी सदर हॉस्पिटल जाए या टर्शियरी कैटेगरी के मेडिकल कॉलेज या सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल। उनका पहले हॉस्पिटल का पंजीयन नंबर आते ही किसी भी सरकारी-निजी अस्पताल का डॉक्टर व्यक्ति के रोग, जांच रिपोर्ट व उपचार की पूरी जानकारी प्राप्त कर सकेगा।
नई एजेंसी को सौंपी गई जिम्मेदारी
बताते चलें कि अमेरिका-कनाडा के हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम की तर्ज पर सभी रोगियों का पूरा विवरण रखने के लिए सरकार ने वर्षों से चल रहे संजीवनी हॉस्पिटल मैनेजमेंट सिस्टम को अपग्रेड कराया है। इसके संचालन की जिम्मेदारी भी उर्मिला नामक एक नई एजेंसी को सौंपी गई है। हर अस्पताल में इसके अपने डाटा ऑपरेटर आैर साफ्टवेयर सिस्टम होगा। हर डॉक्टर को भी इंटरनेट सुविधा के साथ एक लैपटाप मिलेगा। इसमें वह संजीवनी पोर्टल में हर रोगी का पंजीयन नंबर डाल कर यह जान सकेगा कि उसने कब-कब, किस-किस अस्पताल में किस डॉक्टर से किस रोग का उपचार कराया है। साथ ही उस समय कौन सी जांच कराई गई थीं, क्या रिपोर्ट थी और डॉक्टर ने क्या दवा दी थी। इतनी हिस्ट्री पता होने के बाद डॉक्टर आगे के इलाज की सही योजना बनाकर बेहतर उपचार कर सकेंगे।
गुरु गोविंद सिंह व फुलवारीशरीफ अस्पताल में किया गया परीक्षण
सरकारी अस्पतालों में रोगी को सरल, सहज एवं जल्दी सेवा दिलाने वाले इस हॉस्पिटल मैनेजेंट सिस्टम का लागू करने के पहले इसका परीक्षण किया गया है। पटना के सदर अस्पताल श्रीगुरु गोविंद सिंह अस्पताल और फुलवारीशरीफ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में इस सॉफ्टवेयर का परीक्षण किया गया। सही ढंग से कार्य करने के बाद उर्मिला एजेंसी को सभी सरकारी अस्पतालों में स्थापित करने के आदेश दे दिए गए हैं हालांकि एजेंसी अभी तक यह कार्य पूरा नहीं कर सकी है। बताते चलें कि पीएमसीएच के सभी विभागों, पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी को लखनऊ के किंग जॉर्ज हॉस्पिटल की तर्ज पर जोड़ने की पहल हुई थी लेकिन बाद में उस योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका था। नतीजा आज भी मरीज जांच कराने और रिपोर्ट लेकर डॉक्टरों से अगले दिन परामर्श करने को मजबूर हैं।
यूनिक आइडी नंबर के ये होंगे फायदे
- संजीवनी पोर्टल पर पंजीयन नंबर डालकर मरीज या उनके स्वजन कहीं भी अपनी जांच रिपोर्ट ऑनलाइन देख सकेंगे।
- पोर्टल पर रोगी ने किस अस्पताल में किस तारीख को किस रोग का किस डॉक्टर से इलाज कराया, जांच रिपोर्ट व क्या दवाएं दी गईं इसका पूरा विवरण रहेगा। उसी आइडी नंबर को दूसरे अस्पताल में डॉक्टर देख सकते हैं।
- जांच रिपोर्ट, सुझाई गईं दवाओं आदि की जानकारी पोर्टल पर होने से रोगी को पूर्व के उपचार के कागजात सहेजने या उन्हें दोबार एकत्र करने के लिए हीं दौड़-भाग नहीं करनी पड़ेगी।
- रोगी जरूरत होने पर यदि दूसरे राज्य के अस्पताल भी जाता है तो अपने इलाज से संबंधित सभी विवरण ऑनलाइन विशेषज्ञ डॉक्टर को मिनटों में दिखा सकता है।