बालिका गृह मामला: ब्रजेश ठाकुर पर कार्रवाई हुई तेज, संस्थाओं के फंड पर लगी रोक
बालिका गृह मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर पर सीबीआइ की कार्रवाई तेज हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने फंड रोक दिया है तो वहीं पीआइबी ने उसकी प्रेस आइडी रद कर दी है।
पटना [जेएनएन]। मुजफ्फरपुर बालिका आवास गृह यौनशोषण मामले की जांच कर रही सीबीआइ की टीम गुरुवार को पटना में समाज कल्याण विभाग के निदेशालय पहुंची। टीम ने समाज समाज कल्याण विभाग के डायरेक्टर राज कुमार से मुलाकात की और करीब एक घंटे तक पूछताछ की।
समाज कल्याण निदेशक राजकुमार ने ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ से संबंथित सभी दस्तावेज सीबीआइ को सौंपा।जानकारी के मुताबिक सीबीआई की टीम ब्रजेश ठाकुर के बालिका गृह से जुड़े सभी दस्तावेज अपने साथ जांच के लिये ले गयी है।
पीआइबी ने रद की ब्रजेश के प्रेस की मान्यता
पत्र सूचना कार्यालय (पीआइबी) ने भी कार्रवाई करते हुए ब्रजेश कुमार ठाकुर की प्रेस मान्यता रद कर दी है। पीआईबी ने संबंधित मंत्रालयों और विभागों से भी अनुरोध किया है कि वे पीआईबी कार्ड के आधार पर ठाकुर को उपलब्ध कराई गई सुविधाएं वापस ले लें।
पीआईबी ने एक बयान में कहा है कि 'प्रासंगिक प्राधिकारी की मंजूरी के साथ, प्रात: कमल हिंदी दैनिक के संवाददाता, ब्रजेश कुमार को जारी की गई पीआईबी प्रेस मान्यता कार्ड संख्या 2275 तत्काल प्रभाव से रद करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय उनकी कथित आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता के मद्देनजर लिया गया है।'
इसके बाद आइपीआरडी ने भी ब्रजेश ठाकुर का पहचान पत्र रद कर दिया है और विज्ञापन सूची से उसके अखबार प्रातःकमल का नाम भी हटा दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग ने रोका फंड, सेंटरों को किया ब्लैक लिस्टेड
वहीं, स्वास्थ्य विभाग ने ब्रजेश ठाकुर द्वारा संचालित सभी 30 सेंटरों का फंड रोक दिया है और सभी सेंटरों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। बता दें कि बिहार स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी 6 करोड़ 74 लाख 32 हजार की राशि ब्रजेश ठाकुर सहित कई और सेंटरों को देने वाली थी। लेकिन ब्रजेश ठाकुर से संबंधित एनजीओ पर हो रही कार्रवाई के बाद स्वास्थ्य विभाग ने उसके सभी सेंटरों का फंड रोक दिया है ।
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से मांगी केस डायरी
पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में बिहार सरकार को केस डायरी जमा करने का निर्देश दिया है। इस हाई प्रोफाइल घटना के आरोपी ब्रजेश ठाकुर ने नियमित जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। जिसके बाद जस्टिस अरुण कुमार की कोर्ट ने राज्य सरकार को केस डायरी देने का निर्देश दिया है। केस डायरी के मिलने के बाद ही इस मामले में सुनवाई हो सकेगी।