हरिवंश राय बच्चन का पटना से था गहरा जुड़ाव, पिता के साथ बचपन में अमिताभ आये थे यहां
Harivansh Rai Bachchan देश के विख्यात कवि पद्म विभूषण हरिवंश राय बच्चन की शुक्रवार को जयंती है। उनका पटना से भी गहरा लगाव रहा था। 27 नवंबर 1907 को उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पैदा हुए बच्चन के पटना से लगाव की भी एक कहानी है।
प्रभात रंजन, पटना। देश के विख्यात कवि पद्म विभूषण हरिवंश राय बच्चन की शुक्रवार को जयंती है। उनका पटना से भी गहरा लगाव रहा था। 27 नवंबर 1907 को उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में पैदा हुए बच्चन के पटना से लगाव की भी एक कहानी है। उन्होंने अपने मित्र प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त' के आग्रह पर पत्नी श्यामा बच्चन का इलाज पटना में कराया था।
बचपन में अपने पिता के साथ पटना आये थे अमिताभ
बचपन में अमिताभ बच्चन भी अपने पिता के साथ पटना आए थे। 'मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला, प्रियतम अपने ही हाथों से आज पिलाऊंगा प्याला..', मधुशाला की रचना करने वाले हरिवंश राय बच्चन की प्रफुल्लचंद्र ओझा 'मुक्त' से गहरी मित्रता थी। वे उनके पटना सिटी स्थित घर पर ही रुका करते थे।
प्रफुल्लचंद्र ने बच्चन परिवार से जुड़े रिश्तों को दिया संस्मरण का रूप
प्रफुल्लचंद्र ने अपनी रचना 'कहि न जाइ, का कहिये..' में बच्चन परिवार से जुड़े रिश्तों को एक संस्मरण के रूप में बयां किया है। उनके पुत्र आनंदवर्धन ने बताया कि उनके पिता का बच्चन जी के साथ घरेलू संबंध रहा। उन दिनों वे जब भी पटना आते थे तो वे पिता से मिलने पटना सिटी जरूर आते थे। बच्चन जी की पत्नी श्यामा की तबीयत खराब हुई तो वे इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से पटना आए थे। वे कई दिनों तक पटना में प्रवास पर रहे थे। हालत नहीं सुधरने पर वापस चले गए थे। वहां लौटने के बाद दोनों के बीच पत्राचार होता रहा था।
पटना सिटी की कचौड़ी गली में था प्रफुल्लचंद्र का प्रेस
पटना सिटी की कचौड़ी गली में प्रफुल्लचंद्र का आरती मंदिर प्रेस हुआ करता था, जिसमें हरिवंश राय साहित्यिक पत्रिकाओं को छपते देख प्रसन्न होते थे। आंनद वर्धन ओझा बताते हैं, पिता प्रफुल्लचंद्र की लिखी पुस्तक 'कहि न जाइ, का कहिए..' को केबीसी के मंच पर अमिताभ बच्चन को सौंपने का मौका मिला था। वे बताते है, अमिताभ जब 12-13 वर्ष के थे, तब वे अपने पिताजी के साथ पटना आए थे। उस समय एक दिन के लिए वे हमारे अतिथि बने थे।
बच्चन ने ही कराई कवियों को मानदेय देने की शुरुआत
वरिष्ठ लेखक भगवती प्रसाद द्विवेदी बताते हैं, बच्चन ने ही कवियों को मानदेय दिलाने की शुरुआत कराई थी। बिहार राष्ट्रभाषा परिषद के निदेशक सत्येंद्र कुमार ने बताया कि विभाग की ओर से प्रफुल्लचंद्र ओझा के आलेख को प्रकाशित किया गया है, जिसमें प्रफुल्लचंद्र व हरिवंश से जुड़े संस्मरण समाहित हैं।