अब बिना हॉलमार्क के नहीं बिकेंगे सोने के गहने, जानिए क्यों जरूरी है हॉलमार्क
केंद्र सरकार अब सोने के गहनों के लिए हॉलमार्किंग जरूरी करने जा रही है। इसके बाद बिना हॉलमार्किंग वाले आभूषण बेचना अपराध होगा। लेकिन बिहार में हॉलमार्किंग अभी बेपटरी है।
पटना, दिलीप ओझा। हॉलमार्क को अनिवार्य बनाने की तैयारी हो चुकी है। विश्व मानक दिवस पर पिछले माह 16 नवंबर को उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा था कि केंद्र सरकार जल्द ही सोने के गहने पर हॉलमार्किंग को कानूनी रूप से अनिवार्य बनाने जा रही हैै। तिथि की घोषणा शीघ्र होने की उम्मीद है।
बिहार की हॉलमार्किंग की तस्वीर पर अगर नजर डालें तो यह फिलहाल बेपटरी है। सूबे में 25 हजार से अधिक सराफा विक्रेता हैं लेकिन मात्र 766 ज्वैलर्स ही हॉलमार्क निबंधन कराये हैं।
बदलेगी सूरत
फिलहाल स्वर्ण आभूषण पर हॉलमार्किंग स्वैच्छिक है। हॉलमार्किंग अनिवार्य होने के बाद बिना हॉलमार्किंग वाले आभूषण बेचना अपराध की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। बाजार में केवल 14, 18 और 22 कैरेट के गहने ही बेचे जा सकेंगे, जिनके साथ उपभोक्ताओं को प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा।
कितना है शुल्क
हॉलमार्क निबंधन शुल्क में भारी कमी की गई है। अब पांच करोड़ रुपये के टर्नओवर पर 7500 रुपये, पांच से 25 करोड़ पर 15 हजार रुपये, 25 से 100 करोड़ पर 40 हजार और इससे अधिक टर्नओवर पर 80 हजार रुपये शुल्क लगता है। अलावा, दो हजार रुपये निबंधन शुल्क प्रति आवेदन लगता है। यह पांच साल के लिए होता है।
मात्र 766 ज्वैलर्स के पास हॉलमार्क निबंधन
बिहार में फिलहाल मात्र 766 ज्वैलर्स के पास हॉलमार्क निबंधन है। इसमें 680 गोल्ड और 86 सिल्वर हॉलमार्क के ज्वैलर्स शामिल हैं। पाटलिपुत्र सराफा संघ के अध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि बिहार में 25 हजार से अधिक ज्वैलर्स हैं। हॉलमार्किंग के बाद जागरूकता बढ़ रही है। बीआइएस के सूत्रों ने कहा कि प्रति माह 10 से 15 आवेदन मिल रहे हैं।
बिहार में 18 हॉलमार्किंग सेंटर
देश में फिलहाल 653 आंकलन और हॉलमार्किंग सेंटर हैैं। इनमें 18 बिहार में हैं। इनमें पटना में 10, मुजफ्फरपुर में दो और बक्सर, आरा, रोहतास, दरभंगा, बेगूसराय, गया में एक-एक सेंटर हैं। इन सेंटरों पर महज 35 रुपये प्रति आभूषण हॉलमार्क होता है। खरीदार भी अपने आभूषणों की शुद्धता की परख यहां कर सकते हैं।
क्या होता है हॉलमार्क
हॉलमार्क के तहत कुल पांच निशान होते थे। वर्ष 2017 में इसमें से साल के निशान को हटा दिया गया। अब हॉलमार्क के तहत आभूषणों पर चार निशान ही लगाए जाते हैं। इसमें बीआइएस का लोगो, शुद्धता का अंक(916-22 कैरेट, 750-18 कैरेट, 585-14 कैरेट), असेइंग सेंटर का लोगो और विक्रेता शोरूम का लोगो शामिल होता है। इन निशान को मैग्निफाइंग ग्लास से देख सकते हैं क्योंकि यह लेजर मार्किंग मशीन से लगाए जाते हैं।
बीआइएस के सेक्शन अॉफिसर ने कहा...
आभूषण खरीदारी के बाद शुद्धता के उल्लेख के साथ रसीद जरूर लें। अगर गुणवत्ता संबंधी कोई शिकायत हो तो भारतीय मानक ब्यूरो के पटना केंद्र से लिखित शिकायत करें, कार्रवाई होगी।
जीपी सिंह, सेक्शन ऑफिसर, बीआइएस, पटना