दशमेश गुरु का त्याग व बलिदान समाज के लिए प्रेरणादायक, भटके लोगों को सही मार्ग दिखाया
पटना साहिब गुरु के दरबार में कवि व अभिनेता शैलेश लोढ़ा ने मत्था टेका। मत्था टेकने के बाद कहा कि यह गुरु की कृपा है कि वह उनके दरबार में हाजिर हुए।
पटना [जेएनएन]। पटना साहिब गुरु के दरबार में कवि व अभिनेता शैलेश लोढ़ा ने मत्था टेका। शैलेश लोढ़ा मत्था टेकने के बाद कहा कि यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि हम यहां गुरु के दरबार में मत्था टेकने पहुंचे। यह सब उनकी कृपा है कि मुझे दरबार में हाजिर होना पड़ा। दशमेश गुरु का त्याग व बलिदान समाज के लिए प्रेरणादायक है। सिख पंथ के दसवें गुरु श्री गुरु गो¨वद केवल सिख धर्म के धर्मगुरु नहीं बल्कि विश्व के महान लोकनायक और युग प्रवर्तक महापुरुष थे। उन्होंने भटके लोगों को सही मार्ग दिखाने के लिए धर्म, जाति, देश व भाषा का भेद मिटाया। भावनात्मक एकता स्थापित करने के उद्देश्य से मानस जात की स्थापना किया। उक्त बातें कवि व अभिनेता शैलेश लोढ़ा ने तख्त श्री हरिमंदिर जी पटना साहिब में मत्था टेकने के बाद कहीं। तख्त साहिब के ज्ञानी करतार ¨सह ने लोढ़ा को सिरोपा भेंट कर आशीष प्रदान किया। लोढ़ा ने दरबार साहिब में नवें गुरु श्री तेग बहादुर व दशमेश गुरु के खड़ाऊं के दर्शन किया।
शैलेश लोढ़ा ने कहा कि उनके दिल में दशमेश गुरु के प्रति असीम श्रद्धा व सेवा भाव है। वे जब भी बिहार आते हैं सच्चे बादशाह के दरबार में हाजिरी लगाना नहीं भूलते। उन्होंने बताया कि दरबार साहिब में शबद-कीर्त्तन सुनकर ऊर्जावान महसूस कर रहा हूं। उन्होंने निशान साहिब की सेवा करने का संकल्प लिया। दशमेश गुरु के इतिहास की जानकारी लेते बताया कि गुरुघर का आशीष मिलने के बाद और तरक्की मिलती है। शैलेश के साथ फैंस ने फोटो ¨खचाई और सेल्फी लिया। तख्त श्री हरिमंदिर में प्रबंधक दिलीप पटेल, मंजीत ¨सह, परमजीत ¨सह ¨डपल, सरदार सूरज ¨सह, पपींद्र ¨सह, महाकांत राय समेत अन्य कवि सह अभिनेता लोढ़ा का स्वागत किया।