नेपाल से ग्राउंड जीरो रिपोर्ट- भक्तपुर में जिंदगी के लिए जारी है जिद्दोजहद
काठमांडू वैली के भक्तपुर जिले में सरकारी राहत व बचाव कार्य नाम मात्र का है। भक्तपुर महानगरपालिका के वार्ड नंबर 13 व 15 में की बड़ी तबाही मची है। 20 फीसद घर जमींदोज हो गए हैं और शेष हिल गए हैं।
काठमांडू [संजय कुमार उपाध्याय]। काठमांडू वैली के भक्तपुर जिले में सरकारी राहत व बचाव कार्य नाम मात्र का है। भक्तपुर महानगरपालिका के वार्ड नंबर 13 व 15 में की बड़ी तबाही मची है। 20 फीसद घर जमींदोज हो गए हैं और शेष हिल गए हैं। हालत ऐसी कि तेज हवा भी छप्पर उड़ा ले जाए, लेकिन आबादी को अपने दम का भरोसा है। अपने आशियाने को फिर से खड़ा करने के लिए लोग खुद ही मलबा हटाने लगे हैं।
इंद्रानी सरोकार समाज के शिविर में सैकड़ों लोगों ने आफत के दिन गुजारे। बेशक आज भी कैंप का आसरा है। इंद्रानी सरोकार समाज के अध्यक्ष गंगा राम शिल्पकार बताते हैं कि '25 अप्रैल को भूचाल आया। आंखों के सामने मंगललाल कासुला, रामगोपाल गोरा, मंगलबहादुर गोरा, रवीन्द्र राय व रामकृष्ण कसलवट समेत यहां के कुल घरों में से 20 फीसद ध्वस्त हो गए। बस्ती में 80 फीसद घर दिख रहे हैं, लेकिन वे भी रहने लायक नहीं रहे। नींव तक हिल चुकी है। लकड़ी के खंभे से घर को रोक रखा है। सारे लोग घर से बाहर रह रहे हैैं। न जाने कब मौत बन हमारा ठिकाना गिर पड़े।'
श्री पद्म उच्च माध्यमिक विद्यालय सह पद्मा कॉलेज परिसर में लगे कैंप में मिले रमापति राज शर्मा व लक्ष्मी मल्लाह। कहते हैं, 'अपने घरों में रहना मौत को गले लगाने जैसा है। सरकारी स्तर पर इन मकानों की समीक्षा अब तक नहीं हो पाई है। बस पॉलीथिन की शीट मिली है। पानी व भोजन का इंतजाम सामाजिक स्तर पर किया गया है। हमारे छोटे-छोटे व्यवसाय थे, जो समाप्त हो चुके हैं। अब तो भगवान ही मालिक है। हमारा तो सब कुछ समाप्त हो गया।'
बाहरी जवानों ने की मदद : स्थानीय लोग बताते हैं कि प्रारंभिक तौर पर भारत, जापान, चीन, जर्मनी, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अमेरिका और फ्रांस के जवान यहां आए। थोड़ी-बहुत मदद की। भक्तपुर सैनिक विद्यालय परिसर में पाकिस्तानी सेना और भक्तपुर दरबार स्क्वायर में चीन की सेना ने मेडिकल कैंप लगाया।