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लोकसभा चुनाव: महागठबंधन के घटक दलों में समन्वय का अभाव, उम्मीदवार परेशान

लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण का मतदान 18 अप्रैल को होना है। फिर तीसरे चरण की तैयारियां शुरू हो जाएंगी। लेकिन महागठबंधन के उम्मीदवार घटक दलों में समन्वय का अभाव होने से परेशान हैं।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 08:43 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 08:43 PM (IST)
लोकसभा चुनाव: महागठबंधन के घटक दलों में समन्वय का अभाव, उम्मीदवार परेशान
लोकसभा चुनाव: महागठबंधन के घटक दलों में समन्वय का अभाव, उम्मीदवार परेशान
पटना, राज्य ब्यूरो। चुनाव से पहले समन्वय समिति न बनने का खामियाजा महागठबंधन प्रचार में भुगत रहा है। मतदान का एक चरण समाप्त होने के बाद भी पांच दलों के बीच समन्वय बनाने के लिए कोई इकाई नहीं बन पाई है। नतीजा है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की गया में आयोजित सभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव नहीं पहुंच पाए।
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के उजियापुर से नामांकन के समय भी तेजस्वी गैर-हाजिर थे। हालांकि वजह अलग बताई जा रही है। उस दिन उनकी सेहत ठीक नहीं थी। कुशवाहा 25 अप्रैल को काराकाट से नामांकन करेंगे। रालोसपा के राष्ट्रीय महासचिव फजल इमाम मल्लिक के मुताबिक उस दिन तेजस्वी यादव मौजूद रहेंगे। 
महागठबंधन में पांच दल हैं। इनमें हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांझी को छोड़कर सभी दलों के पास एक-एक हेलीकॉप्टर है। मांझी जरूरत के मुताबिक सहयोगी दलों के हेलीकॉप्टर की सवारी करते हैं। वीआइपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी का हेलीकाप्टर राजद और हम जैसी पार्टियों के लिए उपलब्ध है। मांझी और मुकेश सहनी साझे में उड़ान भरते हैं। उड़ानों में राजद के प्रदेश महासचिव आलोक मेहता भी साथ रहते हैं।
सोमवार को मांझी और मेहता साथ उड़े। मंगलवार को इस टीम में सहनी भी शामिल रहेंगे। राजद, हम, वीआइपी और रालोसपा की टीम में राज्यसभा सदस्य मनोज झा इकलौते सवर्ण हैं, जिन्हें हेलीकॉप्टर की सवारी का मौका मिलता है।
महागठबंधन के प्रदेश स्तरीय नेताओं में तेजस्वी यादव की मांग सबसे अधिक है। वह एकसाथ माय समीकरण के वोटरों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। अब्दुल बारी सिद्दीकी का नाम स्टार प्रचारकों में शुमार है। मगर, वह खुद अपने क्षेत्र दरभंगा में ही उलझे हुए हैं। लिहाजा अबतक किसी और के लिए वोट मांगने का उन्हें अवसर नहीं मिला।
उत्तर बिहार के कुछ इलाके में प्रभाव रखने वाले मो. अली अशरफ फातमी राजद से नाराज चल रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी पहले चरण के चुनाव में सक्रिय हुईं थीं।
विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव मंच पर महागठबंधन के सभी नेताओं के  एक साथ मौजूद न रहने का कोई अतिरिक्त कारण नहीं मानते हैं। उनके मुताबिक संसदीय क्षेत्र की सामाजिक संरचना के हिसाब से नेताओं को बुलाया जाता है। अलग-अलग मंच होने के बावजूद हम सब एक ही लक्ष्य के लिए काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि एनडीए में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंच पर खड़े रहना मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मजबूरी हो सकती है। ऐसी कोई मजबूरी महागठबंधन के नेताओं के साथ नहीं है। इलाके में प्रभाव के हिसाब से नेता प्रचार के लिए जाते हैं।
वैसे, महागठबंधन में बहुत अधिक नेताओं की मांग भी नहीं है। राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी बेशक सबसे अधिक मांग में हैं। व्यस्तता को देखते हुए सभी क्षेत्रों में उनका जाना संभव नहीं है। हां, फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा की मांग जरूर बढ़ गई है।
इधर महागठबंधन के अन्य दलों में तेजस्वी यादव, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी की मांग सभी क्षेत्रों में हो रही है। लेकिन, कोई समन्वय इकाई न रहने के कारण उम्मीदवारों को इन नेताओं का समय लेने में परेशानी हो रही है। 

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