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पटना में 'ग्रेजुएट चाय वाली' प्र‍ियंका ने किया कमाल, सात दिनों में ही ऐसी चली दुकान क‍ि छा गईं

Startup Idea in Patna पटना में प्रियंका नाम की लड़की के स्‍टार्टअप ग्रेजुएट चाय वाली के चर्चे एक हफ्ते में ही इंटरनेट पर छा गए हैं। प्रियंका पूर्णिया की रहने वाली है और उसने वाराणसी में रहकर स्‍नातक की पढ़ाई की है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 18 Apr 2022 05:44 PM (IST)Updated: Tue, 19 Apr 2022 08:21 AM (IST)
पटना में 'ग्रेजुएट चाय वाली' प्र‍ियंका ने किया कमाल, सात दिनों में ही ऐसी चली दुकान क‍ि छा गईं
Patna News: पटना में अपनी दुकान पर ग्रेजुएट चाय वाली प्र‍ियंका गुप्‍ता। जागरण

प्रभात रंजन, पटना। आरा और पटना का 'आइआइटियन चायवाला' चर्चा में आया तो 'ग्रेजुएट चाय वाली' ही भला क्‍यों पीछे रहती! पटना के सबसे वीआइपी इलाके में एक बेली रोड पर पटना वीमेंस कालेज के ठीक सामने 'ग्रेजुएट चाय वाला' की प्रियंका गुप्‍ता इंटरनेट पर कम वक्‍त में छा गई हैं। केवल सात दिनों में ही उनकी दुकान चल निकली है। और अब वे अपनी दुकान को नई जगह पर विस्‍तार देने की योजना बनाने में भी जुट गई हैं। मजे की बात है क‍ि जब उन्‍होंने यह दुकान खोलने का इरादा क‍िया तो उनके पास कोई पूंजी भी नहीं थी।

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वाराणसी से अर्थशास्‍त्र में किया है स्‍नातक  

उन्‍होंने अर्थशास्त्र से स्नातक किया है। वह मूल रूप से पूर्णिया के बनमनखी की रहने वाली हैं। दो भाइयों से बड़ी 24 वर्षीय प्रियंका 2019 में वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ से अर्थशास्त्र में स्नातक करने के बाद कई सालों तक प्रतियोगी परीक्षा के लिए तैयारी करती रहीं। परीक्षा में लगातार असफलता मिलने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्‍होंने अपने गांव वापस जाने की बजाय पटना में चाय का ठेला लगा कर आत्मनिर्भर भारत का रास्‍ता चुना है। 

'एमबीए चाय वाला' प्रफुल्ल बिलोर से मिली प्रेरणा 

पटना वीमेंस कालेज की छात्राओं से घिरी 'ग्रेजुएट चाय वाली' प्रियंका ने बताया कि चाय बेचने का आइडिया 'एमबीए चाय वाला' प्रफुल्ल बिलोर का वीडियो देखने के बाद आया। प्रियंका की मानें तो यदि अपने जीवन में कुछ अलग करने की ठानी हो और उस लक्ष्य को लेते हुए आगे बढ़ते हैं तो आपको मंजिल जरूर मिलती है। वाराणसी से लौटने के बाद गांव से 30 जनवरी 2022 को पटना आईं। यहां आने के बाद जल्द से जल्द दुकान खोलने की ललक थी। शहर के कई चौक-चौराहों की चाय की दुकानों  पर गईं और चाय बेचने का काम कैसे होता है, इसके बारे में जानकारी प्राप्त की। 

दोस्तों की मदद से खुली दुकान  

चाय की दुकान खोलने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। उन्‍होंने कई बैंकों से संपर्क किया, ताकि प्रधानमंत्री मुद्रा लोन स्कीम के तहत पैसे मिल जाए। उनका दावा है क‍ि किसी बैंक ने कोई मदद नहीं की। इसके बाद दोस्तों से 30 हजार रुपये की मदद लेकर 11 अप्रैल को पटना वीमेंस कालेज के पास चाय की दुकान खोल दी। प्रियंका बताती हैं कि चाय के सबसे बड़ी ग्राहक वीमेंस कालेज की छात्राएं हैं, जो हमें सपोर्ट करने के साथ हौसला भी बढ़ाती हैं। 

स्टाल पर लिखी पंचलाइन करती है आकर्षित 

प्रियंका की दुकान पर कुल्हड़ चाय, पान चाय, मसाला चाय और चाकलेट चाय खास है। इसकी कीमत 15-20 रुपये के बीच है। ग्राहकों को दुकान तक लाने के लिए प्रियंका ने स्टाल के आगे बैनर पर पंचलाइन 'पीना ही पड़ेगा', 'और सोच मत.. चालू कर दे बस', 'लोग क्या सोचेंगे अगर, ये भी हम सोचेंगे, तो फिर लोग क्या सोचेंगे' लिखा है। ये सभी पंचलाइन ग्राहकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। 

कम लागत में अच्छा मुनाफा 

प्रियंका बताती हैं कि पिता प्रभाकर प्रसाद गुप्ता उर्फ जानी की किराने की दुकान पूर्णिया जिले के बनमनखी में है। जब भी गांव जाने का अवसर मिलता है तो पिता के साथ दुकान पर जाती और काम को समझने का अवसर भी मिलता। बिजनेस का माहौल बचपन से ही घर में देखा था। चाय बेचने का कार्य कम लागत में अच्छा मुनाफा देता है। कालेज के सामने  सुबह छह बजे से दोपहर 12 बजे तक दुकान लगाने के बाद प्रतिदिन 12-15 सौ रुपये कमा लेती हैं। उनका इरादा आने वाले दिनों में वे श्रीकृष्ण पुरी पार्क में शाम के समय चाय की दुकान लगाने का है।


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