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नए साल में स्वस्थ बिहार पर सरकार का फोकस, इन जिलों में खुलेंगे मेडिकल कॉलेज

स्वस्थ समाज से ही स्वस्थ बिहार का निर्माण संभव है। अपने इस सूत्र वाक्य के साथ प्रदेश की नीतीश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत है।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Wed, 02 Jan 2019 02:42 PM (IST)Updated: Wed, 02 Jan 2019 02:42 PM (IST)
नए साल में स्वस्थ बिहार पर सरकार का फोकस, इन जिलों में खुलेंगे मेडिकल कॉलेज
नए साल में स्वस्थ बिहार पर सरकार का फोकस, इन जिलों में खुलेंगे मेडिकल कॉलेज

पटना [राज्य ब्यूरो]। स्वस्थ समाज से ही स्वस्थ बिहार का निर्माण संभव है। अपने इस सूत्र वाक्य के साथ प्रदेश की नीतीश सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत है। सरकार का मानना है कि गुणवत्तापूर्ण आधारभूत संरचना, मानव संसाधन, दवाओं और आवश्यक उपकरणों के बगैर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार संभव नहीं। इस वजह से सरकार प्राथमिकता के आधार पर समुचित प्रबंधन करते हुए अस्पतालों को विविध प्रकार की सुविधा से संपन्न करने की नीति पर लगातार काम कर रही है। 

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अस्तित्व में आएंगे नौ नए मेडिकल कॉलेज

सरकार के प्रयासों का फल है कि 2019 में स्वास्थ्य के क्षेत्र में प्रदेश स्तर पर कई बदलाव देखने को मिलेंगे। बीते वर्ष सरकार ने सात निश्चय के तहत प्रदेश में 11 मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसके बाद कई चिन्हित स्थानों पर मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का अधिग्रहण अथवा जमीन चिह्नित करने का काम पूरा हो चुका है। संभावना है कि इस वर्ष नौ नए मेडिकल कॉलेजों को अस्तित्व में लाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। इनमें पूर्णिया, समस्तीपुर, वैशाली, छपरा, मधेपुरा, सीतामढ़ी, सिवान, बक्सर, जमुई में मेडिकल कॉलेज भवन निर्माण की प्रक्रिया शुरू होने की संभावना है। जबकि, बेगूसराय एवं भोजपुर में प्रस्तावित मेडिकल कॉलेज अस्पताल के भवन निर्माण के लिए अभी जमीन चिह्नित करने की प्रक्रिया शुरू होगी। 

आंख जांच से टीबी, एड्स तक के लिए कई कदम 

सरकार की योजना जिला अस्पतालों को और मजबूती प्रदान करना भी है। सरकार ने किडनी मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में अल्ट्रा साउंड और डायलिसिस के लिए आवश्यक उपकरणों की व्यवस्था का फैसला किया है। ताकि जिला अस्पतालों में मरीजों का सहूलियत से डायलिसिस और अल्ट्रा साउंड की सुविधा मिल जाए और उन्हें राजधानी के बड़े या अन्य अस्पताल का रुख न करना पड़े। जिलों के अस्पतालों में आंख जांच के किट के लिए भी सरकार आर्थिक मदद कर रही है। जिला अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं कि वर्ष 2019 में प्रत्येक अस्पताल में आंख जांच की सुविधा की शुरुआत हो जाए और इसके लिए किट की जो कमी है, उसे तत्काल दूर कर लिया जाए। 

टीबी और एड्स जैसी गंभीर बीमारी को लेकर भी इस वर्ष कई नए कदम उठाए जाने हैं। एड्स मरीजों की अधिक से अधिक काउंसिलिंग हो और वह सरकारी अस्पतालों में इलाज और नियमित दवा के लिए आएं इसके लिए काउंसिलर को प्रशिक्षण दिए गए हैं। इसी प्रकार टीबी मरीजों को अधिसूचित करने के लिए भी अस्पतालों को निर्देश दिए गए हैं। साथ ही प्राइवेट अस्पतालों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित किया जा रहा है। 

जिला अस्पताल से पीएमसीएच तक में बढ़ेगी सुविधा

जिला अस्पतालों की इमरजेंसी सेवा को भी इस वर्ष विस्तार दिया जाएगा। इमरजेंसी वार्ड में शय्या की संख्या बढ़ाने के निर्देश स्वास्थ्य विभाग के स्तर पर जिला अस्पतालों को दिए गए हैं। इधर राज्य के सबसे बड़े अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल के कायाकल्प की भी योजना इस वर्ष जमीन पर उतरेगी। प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के लिए पीएमसीएच में इस वर्ष शय्या की संख्या 1535 से बढ़ाकर 2735 करने की योजना है। योजना पर तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा। पीएमसीएच के साथ ही इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में भी शय्या बढ़ाए जाने की योजना है। इस अस्पताल में फिलवक्त साढ़े आठ सौ बेड हैं जिन्हें विस्तारित करते हुए 1200 तक किया जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो इस वर्ष 350 बेड का कैंसर अस्पताल भी अस्तित्व में आ जाएगा।


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