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गूगल ने इस बिहारी को डेडिकेट किया डूडल, जिसकी 'चंपी' का दीवाना था पूरा यूरोप, जानिए

गूगल ने आज अपना डूडल उस भारतीय शख्स को समर्पित किया है जिन्होंने बिहार के पटना शहर में जन्म लिया और यूरोप में भारतीय व्यंजनों और शैम्पू की शुरूआत की। उनका नाम शेक दीन मोहम्मद था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 01:23 PM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 10:40 PM (IST)
गूगल ने इस बिहारी को डेडिकेट किया डूडल, जिसकी 'चंपी' का दीवाना था पूरा यूरोप, जानिए
गूगल ने इस बिहारी को डेडिकेट किया डूडल, जिसकी 'चंपी' का दीवाना था पूरा यूरोप, जानिए

पटना, जेएनएन। गूगल ने आज अपना डूडल प्रसिद्ध एंग्लो इंडियन बिजनेसमैन शेक दीन मोहम्मद को डेडिकेट किया है। सन् 1759 में बिहार के बक्सर में जन्मे और पटना में पले बढ़े शेक दीन मोहम्मद बड़े ही प्रतिभासंपन्न व्यक्ति थे। भारत-इंग्लैण्ड के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को बढ़ाने में उनका काफी योगदान रहा है। उन्होंने यूरोप में भारतीय व्यंजनों और शैम्पू बाथ की शुरुआत की थी। 

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शेक दीन मोहम्मद ने भारत और इंग्लैंड के बीच सांस्कृतिक संबंध बनाकर खूब नाम कमाया। वह पहले भारतीय लेखक थे जिन्होंने अंग्रेजी में किताब लिखी और इंग्लैंड में भारतीय रेस्टोरेंट खोला और साथ ही सिर की मालिश यानि चंपी को पूरे यूरोप में फेमस कर दिया। 

शेक दीन मोहम्मद के पिता नाई थे और ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे। 10 साल की उम्र में ही शेक दीन मोहम्मद के पिता का निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद उन्हें कैप्टन गॉडफ्रे इवान बेकर के विंग में शामिल कर लिया गया। इवान बेकर एक एंग्लो-आयरिश प्रोटेस्टैंट (विरोध करने वाले) ऑफिसर थे। शेख ईस्ट इंडिया कंपनी की बंगाल रेजिमेंट में सैनिक रहे। 

सन् 1794 में शेख दीन मोहम्मद ने अपना यात्रा वृत्तांत द ट्रेवल्स अॉफ डीन मोहम्मद नाम से प्रकाशित किया। इस किताब में चंगेज खान, तैमूर और पहले मुगर बादशाह बाबर की तारीफ की गई है। इस पुस्तक में भारत के कई अहम शहरों और स्थानीय राज्यों से सैन्य संघर्ष का भी विवरण लिखा है।

काफी दिनों तक सेना में अपनी सेवा देने के बाद शेक मोहम्मद सन् 1782 में ब्रिटेन आ गए। ब्रिटेन में आठ साल रहने के बाद उन्होंने 1810 में वहां पहला भारतीय व्यंजन परोसने वाला एक रेस्तरां खोला। इस रेस्तरां को हिंदुस्तान कॉफी हाउस के नाम से जाना जाता था। उस रेस्त्रां में भारतीय व्यंजनों के साथ ही हुक्का भी उपलब्ध था। हालांकि उनका यह रेस्त्रां उम्मीद के मुताबिक नहीं चल सका। लिहाजा आर्थिक तंगी के बाद उन्हें दो साल के भीतर ही बंद करना पड़ा। 

कुछ सालों के बाद शेक दीन मोहम्मद इंग्लैण्ड के ब्राइटन शहर में बस गए। वहां उन्होंने अपने नाम से एक बाथ स्पा खोला। इस बाथ स्पा में वह अपने ग्राहकों को हर्बल स्टीम बाथ देते थे। इसके साथ ही वह अपने ग्राहकों की चंपी यानी कि सिर की मालिश भी करते थे। इस चंपी को उन्होंने वहां के हिसाब से 'शैंपू' का नाम दे दिया। 

वक्त के साथ मोहम्मद की चंपी पूरे ब्रिटेन और यूरोप में काफी प्रसिद्ध हो गई। इतना ही नहीं उनकी चंपी के बारे में सुन कर सन् 1822 में चौथे किंग जॉर्ज ने उन्हें अपने निजी चंपी सर्जन के तौर पर नियुक्त कर लिया। ऐसा होने के बाद शेक दीन मोहम्मद के कारोबार में काफी बढ़ोतरी हुई। मोहम्मद का शैंपू बाथ और चंपी इतना फेमस हो गया कि हड्डी की बीमारियों से जुड़े मरीज उनके पास इलाज कराने पहुंचने लगे।

शेक मोहम्मद की चंपी का व्यवसाय इतना मशहूर हो गया कि वो अब दीन मोहम्मद से डॉक्टर ब्राइटन के नाम से प्रसिद्ध हो गए। अस्पताल अपने मरीजों को उनके पास भेजने लगे और बाद में किंग जॉर्ज चतुर्थ और विलियम चतुर्थ ने उन्हें अपना शैम्पू सर्जन नियुक्त कर लिया। 

आज भी इंग्लैण्ड के ब्राइटन संग्रहालय में शेक मोहम्मद की एक भव्य तस्वीर मौजूद है और लोग उन्हें दो देशों की संस्कृति को जोड़ने के लिए याद करते हैं। मोहम्मद की मृत्यु 1851 में 32 ग्रैंड परेड, ब्राइटन में हुई। उन्हें सेंट निकोलस चर्च, ब्राइटन के ही एक कब्रिस्तान में दफनाया गया। 


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