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पटना में महिला कॉलेजों के बाहर 'डर्टी पिक्चर'

पटना के महिला कॉलेजों के बाहर प्रतिदिन छात्राएं ईव टीजिंग की शिकार होती हैं। छात्राओं को इससे निजात दिलाने के नाम पर कुछ नहीं। महिला कॉलेजों की डर्टी पिक्चर को दर्शाती रिपोर्ट

By Kajal KumariEdited By: Published: Sat, 06 Jan 2018 03:18 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jan 2018 11:03 PM (IST)
पटना में महिला कॉलेजों के बाहर 'डर्टी पिक्चर'
पटना में महिला कॉलेजों के बाहर 'डर्टी पिक्चर'

पटना [अंकिता भारद्वाज]। राजधानी के महिला कॉलेजों के बाहर का नजारा एेसा होता है कि कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं को कॉलेज आते-जाते काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। तरह-तरह की फब्तियां और गाने सुनने की विवश ये छात्राएं रोज 'ईव टीजिंग' का शिकार होती हैं।

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एक तरफ कॉलेज प्रशासन अपनी जवाबदेही कैम्पस तक ही मानकर छात्राओं की परेशानी से पल्ला झाड़ लेता है, तो दूसरी ओर कॉलेज के आसपास छात्राओं की सुरक्षा को लेकर पुलिस भी उतनी मुस्तैदी नहीं दिखाती है। कॉलेज के बाहर पुलिस वाले भी कम ही दिखते हैं। छात्राओं के लिए खोला गया फोन बूथ भी किसी काम का नहीं है। कॉलेज की डर्टी पिक्चर पर पढ़ें ये रिपोर्ट....

गेट के पास लगा रहता है लड़कों का जमावड़ा

मगध महिला कॉलेज का नजारा सुबह 11:45 मिनट का जब  छात्राएं क्लास करने के लिए जा रही हैं। कुछ असामाजिक तत्व कॉलेज के गेट पर लड़कियों पर फब्तियां कसते नजर आए। कुछ छात्राओं ने तो उन्हें सिर उठाकर देखा मगर ज्यादातर बिना कुछ बोले चलीं गईं।

इस कॉलेज के मेन गेट पर गार्ड बैठा है। कुछ लड़के, लड़कियों को छोडऩे के लिए अंदर भी जाना चाह रहे हैं। गार्ड ने जानकारी लेने के बाद उन्हें अंदर जाने की अनुमति भी दे दी है। लड़कियां गेट के पास ही लगे चाट-पकौड़ों के स्टॉल पर खड़ी हैं। वहीं पर कुछ लड़के भी खड़े हैं। कुछ लड़कियों को लड़कों का खड़ा होना नहीं पसंद आ रहा है। वे झिझक कर चल दे रहीं हैं। 

मगध महिला कॉलेज का गेट बिल्कुल रोड पर है। इसके कारण अधिकतर लोग कॉलेज गेट के बाहर ही बस पकडऩे के लिए खड़े होते हैं। इसमें लड़कों की संख्या अधिक होती है। 

शिक्षकों के ड्राइवर कॉलेज के भीतर बजाते हैं तेज आवाज में गीत

मगध महिला कॉलेज के अंदर ही टीचर की गाडिय़ा लगती हैं। ड्राइवर भी गाड़ी में ही रहते हैं। छात्राओं का कहना है कि ड्राइवर गाड़ी में तेज-तेज आवाज में गाने बजाते हैं। आना-जाना तो दूर आस-पास बैठने वाली लड़कियों को भी परेशानी होती है। 

शिकायत पेटी बनी छात्राओं का सहारा

बीबीए की एक छात्रा दोपहर में कॉलेज के गेट पर अपने दोस्तों का इंतजार कर रही थी। उसी समय कुछ लड़के आए और छात्रा पर अश्लील कमेंट करने लगे। कुछ देर तो छात्रा ने लड़कों की बातों को अनसुना किया मगर बात बढऩे पर वापस कॉलेज गई और शिकायत पेटी में अपना पत्र डाला।

गार्ड बोला, मेरी जिम्मेदारी कॉलेज गेट तक ही

मगध महिला कॉलेज के गेट के बाहर बैठे गार्ड ने बताया कि सुबह से शाम तक हमारी गेट पर ड्यूटी है। लड़कों को अंदर जाने की अनुमति देने से पहले पूरी जानकारी ली जाती है। कॉलेज के गेट के बाहर क्या होता है उससे हमें कोई मतलब नहीं। हमारी जिम्मेदारी कॉलेज गेट तक ही है।

कहा -मगध महिला कॉलेज की प्राचार्या ने

कॉलेज के अंदर ड्राइवरों को मैंने खुद डांट लगाई है। गेट के बाहर ठेले वालों को हटा दिया गया है। छात्राओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मैंने पुलिस विभाग से छुट्टी के समय मदद भी मांगी है। आने वाले समय में कॉलेज के गेट पर महिला पुलिस भी तैनात हो जाएगी।

- डॉ. शशि शर्मा, प्राचार्या, मगध महिला कॉलेज 

कॉलेज से ग्रुप  में बाहर निकलती हैं छात्राएं

पटना वीमेंस कॉलेज की छात्राएं क्लास खत्म कर 12:45 बजे दूसरे विभाग में जा रही हैं। कुछ का काम खत्म हो चुका है तो वे बाहर निकल रही हैं। उसी समय कॉलेज गेट पर कुछ लड़कों की चहल कदमी बढ़ जाती है। बाहर लगे खाने के स्टॉल पर लड़के जानबूझकर बाइक खड़ी करके दूसरे लड़कों से बातें कर रहे हैं। 

पत्रकारिता की एक छात्रा बताती है कि कुछ हफ्ते पहले एक लड़के ने उसका कॉलेज गेट से हॉस्टल तक पीछा किया। उसने ये बात अपनी रूम पार्टनर और अपनी बहन को बताई। छात्रा बताती है कि उस दिन से मैं जब भी निकलती हूं तो लड़कियों का ग्र्रुप साथ रहता है। 

गार्ड बोला, गेट के अंदर के लिए जवाबदेह

पटना वीमेंस कॉलेज गेट के बाहर तैनात गार्ड बताते हैं कि  कॉलेज के समय में पूरा ध्यान गेट पर और कॉलेज की छात्राओं की सुरक्षा को लेकर रहता है। कॉलेज गेट के बाहर छात्राएं किसी से भी मिलें इस पर हम रोक नहीं लगा सकते। 

गाड़ी खड़ी कर देर-देर तक बात करते हैं लोग

यहां भी परेशानी वही है कॉलेज के गेट के एकदम नजदीक ही मुख्य सड़क का होना। इस कारण कई लोग अपनी गाड़ी तो पार्क करते ही हैं वहीं खड़े होकर देर-देर तक बात भी करते हैं। ऑटो और बस वालों को भी लोग पटना वीमेंस कॉलेज गेट पर उतरने के लिए बोलते हैं। लिहाजा गाड़ी भी कॉलेज गेट पर ही रुकती है। इस कारण लड़कियां असहज महसूस करती हैं। 

कहा-थानाध्यक्ष, महिला थाना ने

महिला थाना में आए दिन लड़कियों के फोन आते हैं। सबसे ज्यादा छेड़-छाड़ के मामले ही होते हैं। मामला नजदीक का होता है तो हम तुरंत घटना स्थल पर पहुंचते हैं। अन्य जगहों के लिए स्थानीय पुलिस से संपर्क किया जाता है। 

-विभा कुमारी, थाना अध्यक्ष महिला थाना

कॉलेज के गेट के बाहर खड़ी रहती हैं बाइक

जेडी वीमेंस कॉलेज में दोपहर 1: 30 बजे का नजारा-कॉलेज में कुछ लड़कियां फोन पर बात करने में बिजी थी तो कुछ अपने दोस्तों के साथ फोटो लेने में। कुछ कॉलेज के गेट के बाहर अपने दोस्तों के इंतजार में खड़ी थीं।

कुछ देर में वहां पर कुछ कार और बाइक आकर खड़ी होती है और एक लड़की कॉलेज से निकल कर बाइक पर अपने दोस्त के साथ निकल जाती है। कुछ लड़कों की भीड़ कॉलेज के गेट से थोड़ी दूर पर देखने को मिल रही है।

जीवविज्ञान की छात्रा वर्षा बताती है कि कुछ महीने पहले वो अपनी स्कूटी से कॉलेज आ रही थी। कुछ लड़कों ने बदमाशी में स्कूटी का पीछा करना शुरू किया और कुछ गलत बातें भी बोलने लगे। मैंने बिना डरे, अपनी स्कूटी की रफ्तार तेज की और कॉलेज की तरफ तेजी से बढ़ गई। घर में तो किसी को नहीं बताया पर डर के कारण कुछ दिनों तक कॉलेज नहीं आई। 

गार्ड बोले, कॉलेज के बाहर रहते हैं लड़के

गार्ड सत्येंद्र बताते है कि छुट्टी के समय में यहां पर भीड़ देखने को मिलती है। कुछ लड़के कॉलेज के बाहर रहते हैं इससे हमें या हमारे कॉलेज को कोई भी मतलब नहीं होता है। अगर लड़कियां कॉलेज के गेट के बाहर जाकर किसी से भी मिलती हैं तो उससे गार्ड को कोई मतलब नहीं होता है। हमारा काम कॉलेज के गेट तक ही है, उसके बाद नहीं। 

कहा-जेडी वीमेंस कॉलेज की प्राचार्या ने

कॉलेज की सुरक्षा पर हमारा हमेशा ध्यान रहता है। सारे समय हमारे गार्ड कॉलेज के गेट पर खड़े रहते हैं। छात्राओं की सुरक्षा के लिए हमलोगों ने कॉलेज के अंदर दो कैंटीन की सुविधा भी शुरू कर दी है।

- मीरा कुमारी, प्राचार्या, जेडी वीमेंस कॉलेज 

फोन बूथ में जमा है धूल की परत

हर महिला कॉलेज के गेट के पास पटना पुलिस द्वारा एक फोन बूथ बनाया गया था। इसका रिसीवर उठाते ही सीधे नजदीकी पुलिस स्टेशन में फोन लग जाता पर ये सुविधा शुरू होने से पहले ही बंद हो गई। टेलीफोन सेट पर धूल की परत जमी है।

छुट्टी के समय पुलिस की तैनाती नहीं

हर कॉलेज के गेट पर महिला थाना, महिला हेल्पलाइन, सिटी एसपी और स्थानीय पुलिस स्टेशन का नंबर दिया जाना था पर वो काम भी आज तक नहीं हुआ है। इसके अलावा महिला कॉलेजों की छुट्टी के समय स्थानीय पुलिस की एक टीम मौजूद रहनी थी मगर वो भी देखने को नहीं मिलती। 


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