पटना जू में जिराफ का बढ़ा कुनबा, हीटर के सामने कंबल ओढ़कर सो रहा चिंपैंजी-खा रहा चम्मच से खीर
राजधानी के पटना जू में जिराफ का कुनबा बढ़ गया है। शांति नामक जिराफ ने एक बच्चे का जन्म दिया है। कड़ाके की ठंड से वन्य प्राणी भी प्रभावित हो रहे हैं।
पटना, जेएनएन। मूल रूप से अफ्रीका के जंगलों में पाए जाने वाला जिराफ का कुनबा संजय गांधी जैविक उद्यान यानी पटना जू में बढ़ गया है। बुधवार को दोपहर में शांति नामक जिराफ ने एक बच्चे का जन्म दिया। इसी के साथ भीमा जिराफ पिता बन गया। जू में पहले से ही पांच जिराफ हैं। नए शिशु के जन्म के साथ इनकी संख्या बढ़कर छह हो गई है। नववर्ष पर जिराफ का बच्चा पटना को गिफ्ट में मिला है। वहीं कड़ाके की ठंड से वन्य प्राणी भी प्रभावित हो रहे हैं। चिंपैंजी के नाइट हाउस में तीन हीटर लगे हैं। वह फिर भी कंबल ओढ़कर सोता है। अपने से कंबल बिछाता है और उसको ओढ़कर सो जाता है।
पूरी तरह से स्वस्थ है जिराफ का बच्चा
जिराफ का नन्हा बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है। 2007 में तीन जिराफ अमेरिका के सेंट डियागो जू से लाए गए थे। पटना में जन्मे जिराफ देश के कई चिड़ियाघरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। जिराफ की मांग देशभर में है। पटना चिड़ियाघर में जिराफ का सफल प्रजनन हो रहा है। यह जमीन पर रहने वाला सबसे ऊंचा जानवर होता है। इसकी खूबसूरती बच्चों को काफी आकर्षित करती है। इसकी गर्दन काफी लंबी होती है। यह शाकाहारी होता है। उद्यान निदेशक अमित कुमार ने शिशु जिराफ और उसकी मां की देखरेख के लिए इनके केज पर कर्मचारियों की तैनाती कर दी है। रेंज ऑफिसर आनंद कुमार और चिकित्सक डॉ. समरेंद्र बहादुर सिंह और आरके पांडे कर्मचारियों के साथ देखरेख में जुटे हुए हैं। ठंड से बचाव की भी व्यवस्था कर दी गयी है। शांति को पहले ही बाकी जिराफ से अलग कर दिया गया था।
नाइट हाउस के अंदर लगा हीटर
संजय गांधी जैविक उद्यान प्रशासन ने वन्य प्राणियों को ठंड से बचाव के विशेष व्यवस्था की है। नाइट हाउस में हवा का प्रवेश रोकने के लिए कारगर कदम उठाया गया है। पुआल से केज के अंदर हवा रोकने का प्रयास किया गया है। उसके ऊपर से पुआल लगाकर तिरपाल लगा दिया गया है। साथ ही हीटर से नाइट हाउस के अंदर का तापमान नियंत्रित किया जा रहा है। चिंपैंजी की देखरेख के लिए 24 घंटे कर्मचारी की तैनाती की गई है।
चम्मच से खीर खा रहा चिंपैंजी
चिंपैंजी को प्रतिदिन गर्मागर्म खीर दी जा रही है। कर्मचारी चम्मच से खीर खिलाते हैं। ठंड से बचाव के लिए च्यवनप्राश और शहद भी दिया जा रहा है। फल के रूप में चिंपैंजी को प्रतिदिन अनार, अंगूर, केल, सेब, चना और मूंगफली आदि दिया जा रहा है। सलाद के रूप में प्याज, गाजर, मूली दिया जा रहा है। ठंड से बचाव के लिए नाइट हाउस के निचले भाग में लकड़ी का पटरा लगा दिया गया है।
सांप केज में भी बिछाया गया कंबल
ठंड से सांप भी बचने का प्रयास कर रहा है। उद्यान प्रशासन ने सांप को गर्मी प्रदान करने के लिए उनके केज में कंबल बिछा दिया है। साथ ही ज्यादा वोल्ट के बल्ब लगाकर गर्मी प्रदान की जा रही है। अजगर सहित सभी सांप कंबल का सहारा लिए हुए हैं।
बाघ-शेर खा रहे ब्लोअर की गर्म हवा
बाघ, शेर, भालू और तेंदुआ भी ब्लोअर की गर्म हवा खा रहे हैं। मौसम के अनुसार उन्हें बाहर छोड़ा जा रहा है। ठंड बढऩे पर नाइट हाउस का गेट खुल जाता है। बाहर रहने वाले वन्य प्राणियों के लिए पुआल का छज्जा और पुआल का बेड लगाया जा रहा है। ठंड में वृद्धि के बाद विशेष रूप से निगरानी हो रही है। उद्यान निदेशक अमित कुमार, रेज ऑफिसर आनंद कुमार, चिकित्सक डॉ. समरेंद्र बहादुर सिंह और डॉ. आरके पांडेय सुबह-शाम भ्रमण कर पशुपालकों से वन्य प्राणियों पर रिपोर्ट ले रहे हैं। साथ ही काफी नजदीक से निगरानी की जा रही है।