IGIMS में बनेगी जेनेटिक लैब, डीएनए टेस्ट के लिए नहीं जाना होगा बाहर Patna News
आइजीआइएमएस में अब राज्य की पहली जेनेटिक लैब बनेगी। लैब के बन जाने से राज्य में जन्मजात बीमारियों को लेकर शोध को और बढ़ावा मिलेगा।
By Edited By: Published: Sat, 24 Aug 2019 01:56 AM (IST)Updated: Sat, 24 Aug 2019 09:47 AM (IST)
नलिनी रंजन, पटना। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस (आइजीआइएमएस) में जेनेटिक लैब बनेगी। लैब के बन जाने से राज्य में जन्मजात बीमारियों को लेकर शोध को और बढ़ावा मिलेगा। साथ ही जन्मजात बीमारियों का भी आसानी से पता चल जाएगा। इस लैब में जन्म से पहले ही भ्रूण की जेनेटिक जाच हो सकेगी। इससे यह पता चल जाएगा कि गर्भ में पल रहा बच्चा किसी प्रकार की जन्मजात बीमारी से पीड़ित तो नहीं है।
इससे समय पर बीमारी का इलाज शुरू हो सकेगा। आइजीआइएमएस की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपाली प्रसाद ने बताया कि बिहार में हर वर्ष लाखों बच्चे जन्म लेते हैं। इसमें करीब चार-पांच बच्चे मानसिक अपंगता, थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर या अन्य किसी जन्मजात बीमारी से पीड़ित होते हैं। यदि जेनेटिक लैब बन जाएगी तो उस बीमारी का इलाज मां के गर्भ से ही संभव हो सकेगा।
इससे नवजात में जन्मजात बीमारियों को रोका जा सकता है। जल्द होगी लैब स्थापित करने की प्रक्रिया आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि जेनेटिक लैब स्थापित करने को लेकर शासी निकाय की ओर से हरी झंडी दे दी गई है। इसके लिए जल्द प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। लैब स्थापित होने के बाद तीन महीने तक के विकृत भ्रूण की जेनेटिक जांच हो सकेगी।
इससे बच्चों की जन्मजात बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। बिहार में एक भी जेनेटिक लैब स्थापित नहीं है। उत्तर प्रदेश के एक-दो अस्पतालों में जेनेटिक लैब की सुविधा है। निजी क्षेत्र में जन्मजात बीमारियों की जांच के लिए मरीजों को 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते है। जबकि सरकारी क्षेत्र में गुणात्मक कम दरों पर जांच संभव होगी। जेनेटिक लैब के स्थापित होने से आनुवांशिक बीमारियों के उपचार व बचाव को लेकर भी शोध किया जा सकेगा।
इससे समय पर बीमारी का इलाज शुरू हो सकेगा। आइजीआइएमएस की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. दीपाली प्रसाद ने बताया कि बिहार में हर वर्ष लाखों बच्चे जन्म लेते हैं। इसमें करीब चार-पांच बच्चे मानसिक अपंगता, थैलेसीमिया, ब्लड कैंसर या अन्य किसी जन्मजात बीमारी से पीड़ित होते हैं। यदि जेनेटिक लैब बन जाएगी तो उस बीमारी का इलाज मां के गर्भ से ही संभव हो सकेगा।
इससे नवजात में जन्मजात बीमारियों को रोका जा सकता है। जल्द होगी लैब स्थापित करने की प्रक्रिया आइजीआइएमएस के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि जेनेटिक लैब स्थापित करने को लेकर शासी निकाय की ओर से हरी झंडी दे दी गई है। इसके लिए जल्द प्रक्रिया आरंभ की जाएगी। लैब स्थापित होने के बाद तीन महीने तक के विकृत भ्रूण की जेनेटिक जांच हो सकेगी।
इससे बच्चों की जन्मजात बीमारियों का पता लगाया जा सकेगा। बिहार में एक भी जेनेटिक लैब स्थापित नहीं है। उत्तर प्रदेश के एक-दो अस्पतालों में जेनेटिक लैब की सुविधा है। निजी क्षेत्र में जन्मजात बीमारियों की जांच के लिए मरीजों को 20 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक खर्च करने पड़ते है। जबकि सरकारी क्षेत्र में गुणात्मक कम दरों पर जांच संभव होगी। जेनेटिक लैब के स्थापित होने से आनुवांशिक बीमारियों के उपचार व बचाव को लेकर भी शोध किया जा सकेगा।
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