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गांधी और अंबेडकर के विचारों का मेल कराकर समाज में काम करने की जरूरत Patna News

इंडिका पटना कबीर के लोग गांधी ज्ञान मंदिर और चिती के तत्वावधान में बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री बाबू जगजीवन राम की 33वीं पुण्यतिथि पर विद्यापति भवन में संगोष्ठी का आयोजन किया

By Edited By: Published: Sat, 06 Jul 2019 12:03 AM (IST)Updated: Sat, 06 Jul 2019 09:38 AM (IST)
गांधी और अंबेडकर के विचारों का मेल कराकर समाज में काम करने की जरूरत Patna News
गांधी और अंबेडकर के विचारों का मेल कराकर समाज में काम करने की जरूरत Patna News

पटना, जेएनएन। दलितों की स्थिति में जो सुधार आया, उसमें गांधी और अंबेडकर का सबसे बड़ा योगदान रहा। गांधी और अंबेडकर के रास्ते भले ही अलग थे, लेकिन उनके विचार एक थे। वे देश में दलितों के प्रति हो रहे भेदभाव, छुआछूत को खत्म करने के साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा में जोड़ने का हमेशा प्रयास करते रहे। ये बातें बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने विद्यापति भवन में कहीं।


इंडिका पटना, कबीर के लोग, गांधी ज्ञान मंदिर और चिती के तत्वावधान में आयोजित बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री बाबू जगजीवन राम की 33वीं पुण्यतिथि पर 'गांधी और दलित' विषय पर संगोष्ठी के आयोजन का। संगोष्ठी का उद्घाटन बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पूर्व केंद्रीय मंत्री व वर्तमान एमएलसी डॉ. संजय पासवान, दिल्ली विवि के प्रो. आनंद कुमार अखिल भारतीय प्रागण प्रवाह के रामाशीष ने किया।

अंबेडकर ने सदन में रखी दलितों के विकास की बात
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अंबेडकर ने लोकसभा और विधानसभा में दलितों को आरक्षण की बात कही थी। मोदी ने कहा कि देश में अलग पाकिस्तान की परिकल्पना की नींव पड़ी, जब अंग्रेजों ने मुस्लिमों को अलग कर निर्वाचन करने को कहा। इसमें उन्हें सफलता मिली। अंग्रेजों ने दलितों को भी देश से अलग करने की नीति बनाई। इसका विरोध गांधी ने किया। गांधी ने पुणे में आमरण अनशन किया। अंबेडकर भी चाहते थे कि देश में दलितों के लिए अलग निर्वाचन पद्धति हो क्योंकि उन्हें विश्वास था कि हिंदू राष्ट्र में दलितों का उत्थान नहीं हो सकता।

गांधी ने जो बोला वे करने दिखाया
गांधी वो शख्स थे जो बोलते थे तो वो करके दिखाते थे। समाज की कुरीतियों को दूर करने के लिए गांधी जीवन भर संघर्ष करते रहे। गांधी और अंबेडकर के विचारों का मेल कराकर समाज में काम कराने की जरूरत है। हर व्यक्ति का लड़ाई लड़ने का तरीका अलग-अलग होता है। गांधी, अंबेडकर और बाबू जगजीवन राम के योगदान को अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग नहीं भूल पाएंगे।
 

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जाति और वर्ण व्यवस्था से बाहर निकलने की जरूरत
गांधी और दलित विषय पर अपनी बातों को साझा करते हुए दिल्ली विवि के प्रो. आनंद ने कहा कि देश में जाति और वर्ण व्यवस्था की जडे़ समाज के अंदर जमी हैं, जिसे उखाड़ने की जरूरत है। प्रो. आनंद ने कहा कि गांधी और दलित एक ऐसा रिश्ता है जो जोड़ने से जुड़ता नहीं तोड़ने से टूटता नहीं। दलितों को समान अधिकार मिले, इसके लिए गांधी जीवन भर संघर्ष करते रहे।

जगजीवन बाबू के नाम स्टडी सेंटर खोलने की जरूरत
प्रो. ने कहा कि दलितों के दिमाग और दिल में एक अंधेरा आज भी है, जिसे दूर करने की जरूरत है। डॉ. संजय पासवान ने कहा कि जगजीवन बाबू के नाम पर देश में स्टडी सेंटर खोलने की जरूरत है। कार्यक्रम का संचालन दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार अमलेश राजू ने किया। राजू ने विषय पर प्रमुखता से प्रकाश डालते हुए कहा आजादी के दौरान गांधी के साथ दलितों का भी प्रमुख योगदान रहा।


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