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नियम के विरुद्ध नामांकन करने पर बीएड कॉलेजों के छह हजार छात्रों का अधर में भविष्य Patna News

राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध बीएड कॉलेजों में सत्र 2018-20 में नामांकित छह हजार से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य गलत तरीके से नामांकन करने पर अधर में अटक गया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 02:42 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 02:47 PM (IST)
नियम के विरुद्ध नामांकन करने पर बीएड कॉलेजों के छह हजार छात्रों का अधर में भविष्य Patna News
नियम के विरुद्ध नामांकन करने पर बीएड कॉलेजों के छह हजार छात्रों का अधर में भविष्य Patna News

जयशंकर बिहारी, पटना। राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों से संबद्ध बीएड कॉलेजों में सत्र 2018-20 में नामांकित छह हजार से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में है। उक्त सत्र में नियम के विरुद्ध विभिन्न बीएड कॉलेजों ने लगभग छह हजार छात्र-छात्राओं का नामांकन लिया है।

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पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय ने जांच में 742 विद्यार्थियों को फर्जी पाया था। उनका रजिस्ट्रेशन रद्द कर परीक्षा फॉर्म स्वीकार नहीं किया। मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विश्वविद्यालय में 450 से अधिक फर्जी विद्यार्थी चिह्न्ति किए गए थे। जिनका विश्वविद्यालय ने रजिस्ट्रेशन ही स्वीकार नहीं किया। इसके अतिरिक्त अन्य विश्वविद्यालयों ने नियम के प्रतिकूल नामांकन की जांच नहीं कराई है। पांच हजार से अधिक अवैध नामांकन वाले विद्यार्थी प्रथम वर्ष की परीक्षा में शामिल हो चुके हैं। कई विश्वविद्यालयों ने रिजल्ट भी जारी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2018 में राजभवन ने संयुक्त प्रवेश परीक्षा का आयोजन व काउंसिलिंग की जिम्मेवारी नालंदा खुला विश्वविद्यालय (एनओयू) को दी थी।

पांच कारणों से नामांकन अवैध

दैनिक जागरण में अवैध नामांकन की खबर प्रकाशित होने पर राजभवन ने बीएडसीईटी की नोडल एजेंसी को पत्र भेजकर जानकारी मांगी थी। एनओयू ने सिर्फ पाटलिपुत्र विवि की सूची मिलने की जानकारी देते हुए अवैध नामांकन के पांच कारण बताए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बीएडसीईटी में रजिस्ट्रेशन, बीएडसीईटी क्वालीफाई, निर्धारित शिड्यूल का पालन, काउंसिलिंग में शामिल, काउंसिलिंग में आवंटित कॉलेज में ही नामांकन कराने पर वैध होगा।

ऊहापोह में राजभवन, तीन माह बाद भी अवैध नामांकन पर फैसला नहीं

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में बीएड प्रथम वर्ष की परीक्षा से वंचित छात्रों ने राजभवन से गुहार लगाई। छात्रों के प्रतिनिधिमंडल को राजभवन ने राहत देने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तथा हाईकोर्ट से स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं मिलने के कारण अवैध नामांकन वाले विद्यार्थियों पर अंतिम फैसला तीन माह बाद भी नहीं लिया जा सका है। वहीं, राजभवन ने अवैध नामांकन की सही संख्या के लिए 25 नवंबर तक सभी विश्वविद्यालयों से संबद्ध बीएड कॉलेजों में नामांकित छात्रों की सूची मांगी थी। कितने विद्यार्थी नियम के विरुद्ध नामांकन लिए हैं, इसकी संख्या राजभवन ने सार्वजनिक नहीं किया है।

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना के दायरे में आदेश के विरुद्ध नामांकन

सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभय कुमार ने बताया कि 2018 में अल्पसंख्यक कॉलेजों में नामांकन से छूट के लिए कई अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया था कि आवंटित कॉलेज में ही छात्रों को नामांकन लेना होगा। एनओयू ने भी आधी सीटें रिक्त रहने के कारण सुप्रीम कोर्ट से दोबारा काउंसिलिंग आयोजित करने की इजाजत मांगी थी। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की बेंच ने दोबारा काउंसिलिंग आयोजित करने की इजाजत नहीं दी थी। इस संबंध में बीएडसीईटी के तत्कालीन नोडल पदाधिकारी डॉ. एसपी सिन्हा ने कहा कि फिलहाल वह पद पर नहीं हैं।

तीन अलग-अलग तिथि को कुलपति देंगे नामांकन की जानकारी

राजभवन बीएड तथा अन्य कोर्स में नामांकन प्रक्रिया को लेकर कुलपतियों के साथ छह, सात और आठ जनवरी को बैठक करेगा। सूत्रों के अनुसार, छह जनवरी को पटना विवि, पाटलिपुत्र विवि, ललित नारायण मिथिला विवि, मौलाना मजहरूल हक अरबी फारसी विवि तथा जयप्रकाश विवि, सात को वीर कुंवर सिंह विवि, मगध विवि, मुंगेर विवि, पूर्णिया विवि व एनओयू तथा आठ को बीआरए बिहार विवि, बीएन मंडल विवि, तिलका मांझी भागलपुर विवि, आर्यभट्ट नॉलेज विवि तथा कॉमेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विवि के कुलपति रिपोर्ट के साथ बैठक में शामिल होंगे।


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