पटना से लखनऊ जाना होगा आसान, कुछ एेसा होगा वंदे भारत एक्सप्रेस का रूट
नई दिल्ली से वाराणसी के बीच चलने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस बुलेट ट्रेन का शुरुआती दौर है। जल्द ही यात्रियों को पटना से हावड़ा और लखनऊ जाने में आसानी होगी।
By Edited By: Published: Sun, 17 Feb 2019 01:00 AM (IST)Updated: Sun, 17 Feb 2019 10:31 AM (IST)
पटना, जेएनएन। अब पटना से हावड़ा और रांची चंद घंटों में पहुंचा जा सकेगा। ये तोहफा नई वंदे भारत एक्सप्रेस के परिचालन पर यात्रियों को मिलेगा। रेलमंत्री पीयूष गोयल ने वंदे भारत एक्सप्रेस में यात्रा के दौरान विशेष बातचीत के दौरान कहा कि अगले साल तक इस ट्रेन के 30 नए रैक मिल जाएंगे। इनमें से एक रैक पटना से हावड़ा के लिए तथा दूसरी पटना से रांची के लिए मिलेगी। पटना से लखनऊ के लिए भी नई रैक मिल सकता है।
रेलमंत्री गोयल ने कहा कि जब यह ट्रेन अपनी पूरी लय में पटरियों पर दौड़ने लगेगी तो वाराणसी के आगे पटना तक इसे विस्तार दिया जा सकता है। दीनदयाल उपाध्याय जं.-झाझा रेलखंड की व्यस्तता पर उन्होंने कहा कि इस रेलखंड पर तीसरी रेल लाइन निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बार के बजट में इस रेलखंड के निर्माण की व्यवस्था की गई है।
छह सौ किमी के अंतराल में चलेंगी कई ट्रेनें
गोयल ने कहा कि अगले तीन सालों में इस ट्रेन की 100 रैक का निर्माण कर लिया जाएगा। देश के कोने-कोने में पांच से छह सौ किमी की दूरी पर इस तरह की तेज गति से चलने वाली ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। अभी 16 कोच का रैक बनाया गया है। शीघ्र ही 24 कोच की रैक भी चलने लगेंगी।
एसी स्लीपर श्रेणी की बोगियां भी लगेंगी इस ट्रेन में
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में अभी केवल बैठने की सीटें हैं। इसकी सफलता के बाद रेलवे इस ट्रेन में वातानुकूलित श्रेणी के स्लीपर कोच लगाएगी। इस संबंध में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) के चीफ मेकैनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने बताया कि आइसीएफ में अब वातानुकूलित स्लीपर कोच बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। अगले तीन सालों के दौरान इस तरह के रैक बनने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेन के एक कोच की निर्माण लागत अभी 6 करोड़ रुपये आ रही है। इसमें अभी और कमी की गुंजाइश है। यह 5 करोड़ तक पहुंच जाएगी। अभी एक रैक को बनाने में 98 करोड़ रुपये की लागत आई है।
रेलमंत्री गोयल ने कहा कि जब यह ट्रेन अपनी पूरी लय में पटरियों पर दौड़ने लगेगी तो वाराणसी के आगे पटना तक इसे विस्तार दिया जा सकता है। दीनदयाल उपाध्याय जं.-झाझा रेलखंड की व्यस्तता पर उन्होंने कहा कि इस रेलखंड पर तीसरी रेल लाइन निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इस बार के बजट में इस रेलखंड के निर्माण की व्यवस्था की गई है।
छह सौ किमी के अंतराल में चलेंगी कई ट्रेनें
गोयल ने कहा कि अगले तीन सालों में इस ट्रेन की 100 रैक का निर्माण कर लिया जाएगा। देश के कोने-कोने में पांच से छह सौ किमी की दूरी पर इस तरह की तेज गति से चलने वाली ट्रेनें दौड़ने लगेंगी। अभी 16 कोच का रैक बनाया गया है। शीघ्र ही 24 कोच की रैक भी चलने लगेंगी।
एसी स्लीपर श्रेणी की बोगियां भी लगेंगी इस ट्रेन में
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में अभी केवल बैठने की सीटें हैं। इसकी सफलता के बाद रेलवे इस ट्रेन में वातानुकूलित श्रेणी के स्लीपर कोच लगाएगी। इस संबंध में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) के चीफ मेकैनिकल इंजीनियर शुभ्रांशु ने बताया कि आइसीएफ में अब वातानुकूलित स्लीपर कोच बनाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है। अगले तीन सालों के दौरान इस तरह के रैक बनने शुरू हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि वंदे भारत ट्रेन के एक कोच की निर्माण लागत अभी 6 करोड़ रुपये आ रही है। इसमें अभी और कमी की गुंजाइश है। यह 5 करोड़ तक पहुंच जाएगी। अभी एक रैक को बनाने में 98 करोड़ रुपये की लागत आई है।
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