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ऋण स्वीकृत कराने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़

पटना। कंकड़बाग पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को बेनकाब किया है जो फाइनेंस कंपनी का कर्मी ब

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 07:42 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:42 AM (IST)
ऋण स्वीकृत कराने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़
ऋण स्वीकृत कराने के नाम पर ठगने वाले गिरोह का भंडाफोड़

पटना। कंकड़बाग पुलिस ने एक ऐसे गिरोह को बेनकाब किया है, जो फाइनेंस कंपनी का कर्मी बता पर्सनल लोन स्वीकृति की बात कहकर लोगों को ठगते थे। उनसे किसी तरह मोटी धनराशि ऐंठने के बाद फोन स्विच ऑफ कर लिया जाता था। फोन करने वाले लोग मकान, फ्लैट व गाड़ी खरीदने या कोई कीमती सामान खरीदने के लिए लोन स्वीकृत कराने की बात करते थे। फोन रिसीव करने वाला अगर झांसे में आ जाता था तो सारे कागजात वाट्सएप से मंगवा लेते थे।

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पुलिस ने गिरोह के पांच शातिरों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से मोबाइल के दर्जनों सिम कार्ड, कई आवेदकों के कागजात, कंप्यूटर, लैपटॉप व बड़ी संख्या में रजिस्टर के साथ आठ मोबाइल बरामद किए गए हैं। गिरफ्तार लोगों में उदय कुमार, आनंद किशोर, विवेक कुमार, सुजीत कुमार व विकास कुमार उर्फ विकेश कुमार हैं। पांच में से चार लोग नालंदा जिले के ठगी के लिए मशहूर कतरीसराय के रहने वाले हैं, जबकि पांचवां नालंदा के ही चंडी का रहने वाला है। पांचों कंकड़बाग के पल्स हॉस्पिटल के पास के एक स्कूल के ऊपरी तल पर रहते थे।

पूछताछ के दौरान पांचों ने बताया, वे लोग पढ़ने के नाम पर कैटर स्कूल के भवन के ऊपरी तल पर किराये पर रहते थे। उनके ही गांव के कुछ लोग एटीएम के फर्जीवाड़े के धंधे में लगे हैं। उन लोगों के साथ ठगी का काम शुरू किया था। बाद में खुद ही अपना गिरोह बना फाइनेंस कंपनी के नाम पर ठगी का धंधा करने लगे। वे लोग अचानक कुछ नंबरों पर सिमकार्ड बदलकर फोन करके उनसे लोन लेने की बात पूछते हैं। जो दिलचस्पी दिखाते हैं, उन्हें पूजा के नाम पर गिफ्ट के साथ कम ब्याज पर ऋण लेने का ऑफर देते हैं। उन्हें एक वाट्सएप नंबर देकर उनसे आवेदन के साथ पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक की पासबुक आदि मंगवाई जाती है। उनका ई-मेल आइडी मांगा जाता है। इसके बाद उनसे प्रोसेसिंग शुल्क के नाम पर 3100 से 8000 रुपये तक लिया जाता है। इसके बाद उनसे इनीशियल मनी के रूप में लोन की राशि का 10 से 25 फीसद तक लिया जाता है। इस तरह से एक आदमी से 30 हजार से एक लाख रुपये तक वसूले जाते हैं। उन्हें बताया जाता है कि 15 मिनट में आपका लोन खाते में डाल दिया जाएगा। इसके बाद उस नंबर को हमेशा के लिए बंदकर दिया जाता है। गिरफ्तार पांचों लोगों को शुक्रवार को जेल भेजा जाएगा।


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