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UPSC के टाप-20 की पहली पसंद विदेश सेवा नहीं, तब क्‍या है उनकी प्राथमिकता, क्‍यों आया बदलाव

कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने सिविल सेवा में सफल अभ्यर्थियों की सेवा आवंटन सूची जारी की। टेक्नोलाजी ने दूतावास का काम किया आसान। अभ्यर्थियों में आइएएस का आकर्षण बढ़ा। अब अपने इलाके में कार्यक्षेत्र होने से बनती है विस्‍तृत पहचान।

By Vyas ChandraEdited By: Published: Fri, 19 Aug 2022 06:58 AM (IST)Updated: Fri, 19 Aug 2022 07:02 AM (IST)
UPSC के टाप-20 की पहली पसंद विदेश सेवा नहीं, तब क्‍या है उनकी प्राथमिकता, क्‍यों आया बदलाव
यूपीएससी 2021 में सफल अभ्‍यर्थियों की सेवा आवं‍टन सूची जारी। सांकेतिक तस्‍वीर

जयशंकर बिहारी, पटना। संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा 2021 में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के सेवा आवंटन की सूची कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने जारी कर दी है। चौंकानेवाली बात यह कि इसमें टाप-20 अभ्यर्थियों में से किसी ने विदेश सेवा (आइएफएस) को पहली पंसद नहीं बनाया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की वेबसाइट पर पांच साल की सूची अपलोड है। इसके अनुसार टाप-20 में शामिल 2016 में चार, 2017 व 2018 एक-एक, 2019 में दो तथा 2020 में एक अभ्यर्थी ने आइएफएस को पहली वरीयता दी थी। 

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आइएफएस की जगह आइएएस को प्राथमिकता

यूपीएससी के पूर्व अध्यक्ष अरविंद सक्सेना का कहना है कि यह बदलाव क्यों आया है, इस पर अभी तक कोई स्टडी नहीं है। सिविल सेवा में आने वाले अभ्यर्थियों को पावर सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। पहले विदेश सेवा में ज्यादा आकर्षण था। अब इसका स्थान आइएएस (IAS) पद ने ले लिया है। विदेश सेवा का आकर्षण कम करने में देश में बढ़ती सुविधाएं और तकनीक की बड़ी भूमिका है। पहले राष्ट्र प्रमुखों के बीच समन्वय में विदेश सेवा के अधिकारियों की बड़ी भूमिका होती थी। अब राज्य प्रमुख सहजता से वीडियो काल, ई-मेल आदि के माध्यम से जुड़ जाते हैं। विश्व के किसी भी देश की छोटी से छोटी घटना की जानकारी दिल्ली के पास चंद मिनटों में मिल जाती है।

पसंद में बदलाव के प्रमुख तीन कारण 

1980 बैच के आइएएस व बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) के पूर्व अध्यक्ष शिशिर सिन्हा ने बताया कि जो आकर्षण वर्तमान में आइएएस का है, वही अभ्यर्थियों के बीच 1990 से पहले आइएफएस (IFS) का हुआ करता था। पसंद में बदलाव के उन्होंने तीन प्रमुख कारण बताए। पहला, संचार तकनीक में वृद्धि के कारण दूतावास पर निर्भरता कम होना। अधिकार क्षेत्र में भी कटौती हुई है। दूसरी वजह देश में शिक्षा व जीवन शैली की गुणवत्ता में वृद्धि होने से विदेश में रहने की लालसा कम होना है। तीसरा कारण आइएएस को भी अब सेवा काल में कई बार विदेश दौरा करने का अवसर मिलना है। 

पहचान और काम करने का अवसर करता है प्रभावित 

टाप-20 में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आइएएस) वर्तमान में देश सेवा का सबसे व्यापक अवसर प्रदान करता है। कार्यक्षेत्र विस्तृत होने से पहचान सहज रूप से बनती है। देश के विकास कार्यों में सबसे अधिक भागीदारी आइएएस की होती है। इसके साथ ही आइएएस रहते हुए भी विदेश में सेवा देने का अवसर मिलता है। 

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