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Bihar Politics: बिहार विधानसभा में पहली बार ऐसा विरोध, पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक चले गए सदन से बाहर

अग्निपथ पर बहस की मांग के साथ संपूर्ण विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया था। लेकिन इतिहास यह बना कि सत्तारूढ़ दल के विधायक भी सदन में नहीं आए। सत्तारूढ़ दल के 127 में से सिर्फ 25 विधायक आए। इनमें जदयू और हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा के एक भी नहीं थे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 28 Jun 2022 04:55 PM (IST)Updated: Tue, 28 Jun 2022 06:03 PM (IST)
Bihar Politics: बिहार विधानसभा में पहली बार ऐसा विरोध, पक्ष और विपक्ष दोनों के विधायक चले गए सदन से बाहर
बिहार विधानसभा में विरोध करते विधायकगण। -

राज्य ब्यूरो, पटना : विधानसभा के इतिहास में शायद पहली बार सत्तारूढ़ दल के विधायकों की अनुपस्थिति के कारण सदन की कार्यवाही स्थगित हुई। अग्निपथ पर बहस की मांग के साथ संपूर्ण विपक्ष ने सदन का बहिष्कार किया था, लेकिन इतिहास यह बना कि सत्तारूढ़ दल के विधायक भी सदन में नहीं आए। सत्तारूढ़ दल के 127 में से सिर्फ 38 विधायक आए। उनमें जदयू के दो विधायक गोपाल मंडल और राजकुमार सिंह शामिल थे। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) का एक भी सदस्य भी नहीं था। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने इस स्थिति को दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण बता कर सदन की कार्यवाही बुधवार तक के लिए स्थगित कर दी। 

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मंगलवार को विधानसभा की दूसरी पाली की कार्यवाही दोपहर दो बजे शुरू होनी थी। तय समय पर दो-चार विधायक सदन में थे। विधायकों को बुलाने के लिए घंटी बज रही थी। दो बज कर पांच मिनट पर विधानसभा अध्यक्ष आसन पर आए। इससे पहले विधानसभा सचिवालय के अधिकारी सदस्यों की गिनती कर निश्चिंत हो गए थे कि कोरम पूरा हो गया है। 243 सदस्यीय विधानसभा में कोरम के लिए 25 सदस्यों की उपस्थिति अनिवार्य है। कुछ देर के लिए जदयू कोटे के दो मंत्री शीला देवी और सुनील कुमार सदन में आए, मगर जदयू सदस्यों को न देख कर वे दोनों भी पांच मिनट के अंदर निकल गए। 

विशेष बहस का विषय था

उत्कृष्ट विधानसभा एवं उत्कृष्ट विधायक के स्वरूप के निर्धारण पर विमर्श। भाजपा के संजय सराबगी का यह प्रस्ताव था। पहले वक्ता के रूप में वे बोल रहे थे। उसी दौरान जदयू के राजकुमार सिंह ने कोरम पूरा नहीं होने का सवाल उठाया। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि कोरम एक तकनीकी विषय है। यह पूरा है, लेकिन इतने महत्वपूर्ण विषय पर सदस्यों की अरुचि दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने अन्य किसी वक्ता का नाम पुकारने के बदले अपना वक्तव्य दिया और सदन की कार्यवाही बुधवार के लिए स्थगित कर दी।

परिसर में ही थे जदयू के विधायक

सदन में अनुपस्थित रहने वाले जदयू, भाजपा और हम के अधिसंख्य विधायक विधानसभा परिसर में उपस्थित थे। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के कक्ष में जदयू के कई विधायक बैठे थे। सबसे अधिक आश्चर्य भाजपा के विधायकों की अनुपस्थिति को लेकर था। भाजपा के 77 में से 41 विधायक दूसरी पाली की बैठक में नहीं आए। जदयू के 43 और हम के सभी चार विधायकों के अलावा निर्दलीय सुमित कुमार सिंह भी नजर नहीं आए। जदयू विधायक मनोज यादव ने कहा कि हम सब किसी योजना के तहत अनुपस्थित नहीं हुए। यह महज संयोग है कि जदयू के विधायक सदन में नहीं आए।

विशेष बहस को लेकर मतभेद

उत्कृष्ट विधानसभा और उत्कृष्ट विधायक विषय पर विमर्श का प्रस्ताव सोमवार को विधानसभा में आया था। सरकार इस विषय पर बहस के पक्ष में नहीं थी। इसलिए कि बहस का प्रस्ताव लाने से पहले सरकार की राय नहीं ली गई थी। किसी विशेष बहस में सरकार जवाब देती है। इसलिए विषय के चयन पर सरकार की सहमति ली जाती है। जदयू के विधायकों ने कार्यवाही से अनुपस्थित रहकर संभवत: सरकार की नाराजगी से विधानसभा अध्यक्ष को अवगत कराया। 

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