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बिहार में हर साल सड़कों पर कोहराम मचाता रहा है कोहरा, टॉप पर ये शहर-इस जिले में कम दुर्घटनाएं

सड़कों पर कोहरे के कारण हर वर्ष सैकड़ों लोग काल का ग्रास बन जाते हैं। खासकर धुंध के कारण सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग पर ज्यादातर हादसे होते हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Mon, 23 Nov 2020 09:42 PM (IST)Updated: Mon, 23 Nov 2020 09:42 PM (IST)
बिहार में हर साल सड़कों पर कोहराम मचाता रहा है कोहरा, टॉप पर ये शहर-इस जिले में कम दुर्घटनाएं
बिहार में सड़क हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है।

पटना, जेएनएन। बिहार की सड़कों पर कोहरे के कारण हर वर्ष सैकड़ों लोग काल का ग्रास बन जाते हैं। खासकर धुंध के कारण सर्वाधिक दुर्घटनाएं होती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग और राज्य मार्ग पर ज्यादातर हादसे होते हैं। नवंबर से लेकर जनवरी-फरवरी में ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। परिवहन विभाग, आपदा प्रबंधन विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पड़ताल में इसकी पुष्टि हुई है।

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सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़े करते हैं तस्कीद

बिहार सड़क सुरक्षा परिषद के आंकड़े भी इस बात की तस्कीद करते हैं। 38 जिलों में सर्वाधिक दस शीर्ष दुर्घटना वाले जिलों में गया जिला शामिल है। उसकी चार सड़कों पर ज्यादातर हादसे होते हैं। उसके बाद भागलपुर, मुजफ्फरपुर, औरंगाबाद, समस्तीपुर और पटना का स्थान है। अगर सड़क की बात करें तो एनएच-31, एच-83, एनएच-02, एनएच-77, एनएच-28 और एनएच-30 है। राजधानी पटना में न्यू बाइपास करमलीचक 70 फीट पर दुर्घटनाएं होती हैं। 

5583 ब्लैक स्पॉट में बिहार के लिए थोड़ी राहत

आंकड़ों की बात करें तो देश में कुल 5583 ब्लैक स्पाट में बिहार के लिए थोड़ी राहत है। यहां महज 94 ब्लैक स्पाट हैं। इस मामले में बिहार देश में 19वें पायदान पर है। कैलेंडर वर्ष 2019 में पटना में 137 लोगों की जान सड़क दुर्घटना में चली गई। वहीं, कोहरे के दौरान गत वर्ष जनवरी में 573, फरवरी में 546, अक्टूबर 491, नवंबर में 612 लोग काल के ग्रास बन गए।

2018 में कुल 6729 ने गंवाई जान

बिहार में 2018 में जहां 6729 लोग कुल मारे गए। वहीं, 2019 में 7205 यह संख्या पहुंच गई थी। 2020 के आंकड़े अभी नहीं आए हैं। पूरे प्रदेश में 2018 में जहां 9600 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, वहीं 2019 में यह संख्या बढ़कर 10,007 पहुंच गई। इसमें लाइसेंस वाले चालकों से 8373 दुर्घटनाएं हुईं, जबकि लर्निंग लाइसेंस वालों से 823 और बगैर लाइसेंस गाड़ी चलाने वालों से 130 दुर्घटनाएं हुईं। शेष दुर्घटनाएं अन्य कारणों से घटी।

सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही

अहम यह है कि भले ही सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है, लेकिन विभिन्न स्तरों पर हो रहे प्रयासों से हादसे में मौत से संबंधित आंकड़ों में कमी आई है। सुप्रीम कोर्ट और सरकार के अलावा विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाओं की पहल से सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रयास भी जारी है। वर्ष 2019 में शहरी क्षेत्र में 2615 और ग्रामीण क्षेत्र में 4116 सड़क हादसे हुए।


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