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पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पर कोहरे की मार, दिसंबर से कम हो सकती फ्लाइटों की संख्‍या

पटना एयरपोर्ट पर कोहरे में घट सकती है विमानों की संख्या अभी 44 जोड़ी विमान पटना एयरपोर्ट से भर रहे हैं उड़ान 25 से 30 विमानों का ही हो सकता है परिचालन यहां जानें क्‍या है तैयारी और कब से होगा असर

By Shubh NpathakEdited By: Published: Fri, 06 Nov 2020 07:21 AM (IST)Updated: Fri, 06 Nov 2020 05:57 PM (IST)
पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पर कोहरे की मार, दिसंबर से कम हो सकती फ्लाइटों की संख्‍या
त्‍योहार के बाद फ्लाइट से लौटना हो वापस तो आपको जरूरी पढ़नी चाहिए ये खबर। जागरण

पटना, जेएनएन। दिसंबर के पहले सप्ताह से ही घना कोहरा गिरने की संभावना है। कोहरे के कारण विमानों की उड़ानों पर असर पड़ता है। इससे विजिबिलिटी कम हो जाती है, जिससे लैंडिंग व उड़ान में परेशानी होती है। कोहरे के मौसम में सुबह में विमानों की लैंडिंग नहीं हो पाती है। इसके कारण कई विमानों का परिचालन बंद हो सकता है। अभी जहां 44 जोड़ी विमानों का परिचालन हो रहा है वहीं कोहरे में 25 से 30 जोड़ी ही विमानों का परिचालन किए जाने की संभावना है। बेंगलुरु व मुंबई के विमानों पर बहुत असर नहीं पडऩे की संभावना है।

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घने कोहरे में काफी घट जाती है पटना एयरपोर्ट की विजिबिलिटी

सूत्रों की मानें तो घने कोहरे के कारण विजिबिलिटी का स्तर 200 से 300 मीटर तक पहुंच जाता है। जबकि पटना एयरपोर्ट पर पहले 1200 मीटर की विजिबिलिटी पर ही विमानों की लैंडिंग की जाती थी, परंतु लाइटिंग व्यवस्था दुरुस्त होने के बाद अब विजिबिलिटी 1000 मीटर पर भी रहने पर विमानों की लैंडिंग सुरक्षित तरीके से होने लगी है। कोहरे में 1000 मीटर की विजिबिलिटी दिन में 12 बजे के बाद ही होता है। अधिकांश विमानों का परिचालन 12 बजे से रात 8 बजे के बीच ही होता है। इसके लिए अलग से फ्लाइट शिड्यूल जारी किया जाएगा।

खराब मौसम में खतरनाक हो जाता है पटना एयरपोर्ट का छोटा रनवे

पटना एयरपोर्ट का रनवे बड़े विमानों की लैंडिंग के लिए पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। इसके रनवे की लंबाई को बढ़ाने के लिए कई साल से बातें चल रही हैं, लेकिन काम जरा भी आगे नहीं बढ़ा। छोटा रनवे खराब मौसम के दौरान लैंडिंग के वक्‍त पायलट की मुश्किलें बढ़ा देता है। पटना एयरपोर्ट के एक तरफ च‍िडि़याघर यानी पटना जू और दूसरी तरफ हावड़ा-दिल्‍ली मुख्‍य रेलवे लाइन रनवे के विस्‍तार में बड़ी बाधा है। एयरपोर्ट प्रबंधन और स्‍थानीय प्रशासन के अधिकारी समय-समय पर बैठकें कर इसका निदान निकालने की कोशिशें करते रहते हैं। लेकिन इन बैठकों का आज तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया।


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