फूल और औषधीय पौधे की खेती किसान को बना रहा आत्मनिर्भर
बिहार कृषि विवि और उद्यान निदेशालय की ओर से आयोजित एक दिवसीय उद्यान-प्रदर्शनी का उद्घाटन राज्यपाल लालजी टंडन ने किया।
- बिहार कृषि विवि और उद्यान निदेशालय की ओर से आयोजित एक दिवसीय उद्यान-प्रदर्शनी का राज्यपाल ने किया उद्घाटन
- सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनी को मिला पुरस्कार, आगे से पांच दिनों तक चलेगी प्रदर्शनी, विभिन्न जिलों के किसानों ने लिया भाग
- 4 फल, 92 फूल,110 सुगंधित और औषधीय पौधों लगी भी प्रदर्शनी
पटना । डहेलिया, अफ्रीकन- फ्रेंच गेंदा के फूल के साथ चंपारण का आलू, बेगूसराय के कदिमा, पूसा के चेरी टमाटर और औरंगाबाद के स्ट्राबेरी सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा था। राजेंद्र मंडप में उद्यान प्रदर्शनी में कुछ ऐसा ही नजारा गुरुवार को देखने को मिला। मौका था बिहार कृषि विवि तथा उद्यान निदेशालय के तत्वावधान में एक दिवसीय उद्यान प्रदर्शनी के आयोजन का। प्रदर्शनी का उद्घाटन राज्यपाल लालजी टंडन ने किया। प्रदर्शनी में उत्कृष्ट फल, फूल, सब्जी व औषधीय पौधे को टंडन ने पुरस्कृत कर किसानों का हौसला बढ़ाया। उद्यान प्रदर्शनी में बिहार के सभी जिलों से किसान शामिल थे। वही प्रदर्शनी में 84 फल, 92 फूल व 110 सुगंधित व औषधीय पौधे के साथ अन्य पौधे सभी का ध्यान आकर्षित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि राजभवन पटना को भी फल, फूल, सब्जी, सुगंधित एवं औषधीय पौधे की खेती के मामलों में एक मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा। अगले वर्ष यह प्रदर्शनी और अधिक बड़े पैमाने पर चार से पांच दिनों के लिए आयोजित होगी।
राजभवन में विकसित होगी कमल वाटिका -
उद्यान प्रदर्शनी के दौरान राज्यपाल ने कहा कि राजभवन परिसर में विभिन्न नक्षत्रों-ग्रहों के अनुसार पौधे लगाकर 'नक्षत्र वाटिका' बनाया गया है। वही विभिन्न प्रकार के कमल लगाते हुए 'कमल-वाटिका' को विकसित किया जाएगा। साथ ही साथ सिंदूर, रूद्राक्ष, बरगद, पीपल, पाकड़ आदि के पौधे भी लगाए जाएंगे जिनसे पर्यावरण शुद्ध होगा।
किसान कर रहे जैविक खाद का प्रयोग का प्रयोग -
राज्यपाल टंडन ने कहा कि रसायनिक खादों की जगह अब किसान अपने खेतों में जैविक खादों का प्रयोग कर रहे हैं। गौ-पालन पर जोर देते हुए कहा कि एक गाय पालने से 10 एकड़ भूमि के लिए जैविक खाद की प्राप्ति होती है। 'जीरो बजट' कृषि का मॉडल भी आज देश में तैयार हो गया है। जिससे जैविक खेती को पर्याप्त बढ़ावा मिल रहा है। जीरो बजट के होने के कारण किसान अपने खेतों में जैविक पदार्थ का प्रयोग कर फसलों के पैदावार को बढ़ा सकते हैं। बिहार में बडे़ पैमाने पर स्ट्राबेरी, मशरूम आदि की खेती हो रही है। किसान पारंपरिक खेती को छोड़ नए सिरे से काम करने में लगे हैं। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होने के साथ सम्मान मिल रहा है। प्रदर्शनी के दौरान बिहार के विभिन्न जिलों से किसान अपने उत्पादों के साथ भाग लिए। बिहार कृषि विवि के कुलपति डॉ. अजय कुमार सिंह ने कहा कि उद्यान प्रदर्शनी में कुल 521 प्रदर्शाें को शामिल किया। जिसमें फलों के 84, फूलों के 92 तथा सुगंधित एवं औषधीय पौधे एवं अन्य के कुल 110 प्रदर्श शामिल थे। प्रदर्शनी में कुल सात समूह बनाए गए थे। जिसमें प्रथम पुरस्कार के रूप में तीन हजार, द्वितीय पुरस्कार के रूप में दो हजार रुपये एवं तृतीय पुरस्कार के रूप में एक हजार रुपये पुरस्कार के रूप में प्रदान किए गए।
इन्हें मिला पुरस्कार -
प्रदर्शनी में ऑर्नामेंटल कैबेज, गुड़हल, डहेलिया, पैंजी, पिटूनिया, गुलाब, बेल एवं नींबू को पहला पुरस्कार मिला। जबकि राकेश कांत को अफ्रीकन गेंदा, रमाकांत को फ्रेंच गेंदा, एसके सिंह को डहेलिया, संजय चौधरी एवं गुलाब मेहता को केला, महेश प्रसाद सिंह को बेर, प्रीतम कुमार को पपीता, मृत्युंजय कुमार सिंह को अमरूद, बृजकिशोर प्रसाद महतो को स्ट्राबेरी, रघुनंदन पोद्दार को फूलगोभी, नागेंद्र सिंह को बंदगोभी, राजेश को ब्रोकली, राघवशरण सिंह को टमाटर, शशिभूषण सिंह को सेम, अजय कुमार शर्मा को बैगन तथा संजय कुमार सिंह को ओल के प्रदर्शन के लिए पुरस्कृत किया गया।
पारंपरिक खेती को छोड़ फल, फूलों की खेती -
कृषि विवि सबौर भागलपुर के उद्यान विभागाध्यक्ष रंधीर कुमार ने कहा कि ऐसे आयोजन होने से किसानों का मनोबल बढ़ने के साथ लोगों को विभिन्न प्रकार के साग-सब्जी, फल एवं फूलों के बारे में जानकारी मिलती है। अब समय के साथ किसान पारंपरिक खेती को छोड़ फल, फूल एवं औषधीय पौधे की खेती कर मुनाफा खूब कमा रहे हैं। सबसे ज्यादा आमदनी किसानों को फूलों की खेती करने से हो रही है। प्रदर्शनी के दौरान कृषि विभाग के प्रधान सचिव सुधीर कुमार, राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह, उद्यान निदेशक नंद कुमार, कृषि वैज्ञानिक, कृषि सलाहकार आदि के साथ चार सौ किसान मौजूद थे ।