गंगा का रौद्र रूप जारी, पटना सहित कई जिले जलमग्न, बुलाई गई सेना
गंगा और सोन नदी में अचानक से जलस्तर लगातार बढने के कारण पटना में बाढ का खतरा मंडराने लगा है। गंगा का पानी पटना शहर में घुस गया है। वहीं छपरा का सड़क संपर्क भंग हो गया है।
पटना [वेब डेस्क]। बेकाबू गंगा ने पिछला सारा रिकार्ड तोड़ते हुए राजधानी पटना में प्रवेश करना शुरू कर दिया है। गंगा का पानी LCT घाट के पास अपार्टमेंट में घुस जाने और जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी की सूचना से पूरे शहर में लोगों में बेचैनी है। राज्य जल संसाधन विभाग ने कहा है कि स्थिति नियंत्रण में है घबराने की कोई बात नहीं है।
जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने कहा है कि राज्य सरकार के आग्रह पर बाढ की स्थिति पर नियंत्रण के लिए फरक्का बराज के सभी गेट खोल दिए गए हैं ताकि बाढ का पानी तेजी से निकल जाए।
गंगा नदी ने इस बार 1994 में बढे जलस्तर के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है। वर्ष 94 मेें गंगा का जलस्तर 50.27 था लेकिन अभी गंगा का जलस्तर 50.28 आज ही हो गया है और इसके अभी बढने की स्थिति बनी हुई है। इससे गंगा के किनारे वाले इलाके में बसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने को कहा जा रहा है। नदी के किनारे बने घरों में और सड़कों पर गंगा का पानी बह रहा है।
बाढ की स्थिति के मद्देनजर मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने आपात बैठक कर हालात की समीक्षा की। बाढ़ को लेकर आपदा प्रबंधन के प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा कि सोन और इलाहाबाद से पानी के कारण गंगा में बाढ़ की स्थिति बनी है। उन्होंने कहा कि बाहर से एनडीआरएफ की टीम बुलाई गई है। राहत और बचाव कार्य के लिए प्रशासन ने तैयारी कर ली है। फिलहाल एसडीआरएफ के पच्चीस जवान बाढ प्रभावित जगहों पर पहुंच गए हैं।
केंद्रीय जल आयोग ने भी अलर्ट करते हुए कहा है कि बिहार में बाढ़ से स्थिति गंभीर है और अगले पांच दिनों तक गंगा का पानी और बढने की बात कही गई है। इसके साथ ही बाढ की विभीषिका को देखते हुए एयर फोर्स,सेना को अलर्ट किया गया है।
प्रशासन ने लोगों से धीरज रखने की अपील की है। प्रशासन ने लोगों को दिलासा दिया है कि पटना को बाढ का खतरा नहीं है लेकिन लोगों को गंगा नदी के रौद्र रूप को देखकर चिंता सता रही है। नदी का पानी केंद्रीय जल आयोग के दफ्तर में भी घुस गया है। उधर फ्लोटिंग रेस्तरां तक जाने वाली पुल का शुरुआती हिस्सा तेज धारा के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है।
न केवल राजधानी बल्कि भोजपुर में कोइलवर से लेकर भागलपुर तक हालात गंभीर हैं। छपरा - पटना एनएच19 पर बाढ का पानी आ जाने से छपरा- पटना मुख्य पथ पर वाहनों का आवागमन रुक गया है। छपरा में मौना चौक तक पानी आ जाने से बाजार बंद है। इस बीच सोनपुर के पास गंगा में तीन बच्चों के डूबने से यहां अफरातफरी के हालात हैं।
सारण में डोरीगंज, सिंगही और डुमरी गाँव के सामने मुख्य पथ पर लगभग तीन से चार फीट पानी बह रहा है। छपरा शहर में भी बुरा हाल है। पानी शहर के मोना चौक तक पहुंच गया है। सरकारी बाजार जलमग्न हैं। सोनरपट्टी, सरकारी बाजार, खनुआ, मौना चौक तिनकोनिया के पास तक पानी पहुंच गया है।
गांधीघाट व दीघाघाट पर प्रति घंटा चार सेमी बढ़ रहा जलस्तर
पटना के गांधीघाट में गंगा का जलस्तर रिकॉर्ड तोड़ने की ओर बढ़ रहा है। नदी का जलस्तर प्रति घंटे चार सेंटीमीटर की गति से बढ़ रहा है। दीघाघाट में भी गंगा खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है। नदी किनारे स्थित गंगा अपार्टमेंट का ग्राउंड फ्लोर जलमग्न हो गया है।
गंगा के बेकाबू होने और इससे पहले ही पटना में बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन ने गंगा में गिरने वाले नालों को बंद करा दिया है। प्रशासन ने लोगों को धैर्य रखने को कहा गया है। लोगों को सतर्कता बरतने की हिदायत दी जा रही है।राजधानी में गंगा के बढ़ते जलस्तर का निरीक्षण करने के बाद जिलाधिकारी संजय कुमार ने कहा है कि स्थिति को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह से चौकस है।हालात के मद्देनजर एऩडीआरएफ की पांच टीमें बुलाई गई हैं।
जिलाधिकारी ने खुद किया निरीक्षण
पटना के जिलाधिकारी संजय कुमार ने बाढ की स्थिति का निरीक्षण किया है। वे गांधी घाट पहुंचे हैं और अास-पास के लोगों को धैर्य रखने और एहतियात बरतने की बात कर रहे हैं। वहीं सभी घाटों के गेट को बोरे से सील कर दिया गया है और लोगों को आस-पास आने -जाने से मना कर दिया गया है। लोगों को सावधानी बरतने की अपील की जा रही है। पटना के एनआइटी के पास गंगा का पानी पहुंच चुका है।
पटना के मनेर, दानापुर, अथमलगोला, खुसरुपुर, हरदसबिघा और बिन्दटोली सहित कई इलाके जलमग्न हो गए हैं। एनएच 31पर भी नदी का पानी बह रहा है।
इसके साथ ही मिल रही जानकारी के मुताबिक बेगूसराय में भी स्थित बिगड़ गई है। खगड़िया से एसडीआरएफ की टीम बुलाई गई है। गंगा का जलस्तर बक्सर, भागलपुर में भी खतरे के निशान से पार हो गया है।
इंद्रपुरी बराज से छोड़ा गया था 11 लाख क्यूसेक पानी
शुक्रवार रात 2:45 बजे इंद्रपुरी बैराज से सोन नदी में 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिसके चलते सोन के किनारे बसे गांवों में बाढ़ का पानी घुसने लगा है। सोन नदी गंगा में मिलती है, जिससे गंगा के जलस्तर में और वृद्धि होने की आशंका है। बाढ़ के चलते छपरा का पटना से सड़क संपर्क टूट गया है। डोरीगंज के पास NH पर 3-4 फीट ऊंचा पानी बह रहा है। छपरा शहर में भी बाढ़ का पानी घुसने लगा है। नवीनगर के कई गांवों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है।
निचले इलाकों में अलर्ट जारी
गंगा और सोन नदी के किनारे बसे जिलों के निचले इलाकों में बाढ़ की आशंका से अलर्ट जारी किया गया है। पटना, वैशाली एवं गोपालगंज में एनडीआरएफ तथा पटना एवं भागलपुर में एसडीआरएफ को अलर्ट कर दिया गया है। लोगों को खतरे से बाहर निकालने के लिए नावों की संख्या बढ़ाई जा रही है। पटना में अभी 65 नाव तथा भोजपुर में 69 नावों को लगाया गया है।
खगडिय़ा, बक्सर, वैशाली व समस्तीपुर जिलें में अतिरिक्त नाव भेजी जा रही है। राहत शिविरों में भी सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। डाक्टरों की अतिरिक्त टीम प्रभावित इलाकों में भेजी गई है। गंगा पहले से ही लबालब है। ऐसी स्थिति में किनारे के जिलों में पानी का फैलाव खतरनाक हो सकता है। मनेर, कोइलवर, बड़हरा, आरा एवं पटना के निचले इलाकों में सर्वाधिक खतरा है।
गंगा किनारे के सभी जिलों में अलर्ट घोषित
केंद्रीय जल आयोग ने पूर्व से ही बक्सर से भागलपुर तक खतरे के निशान से ऊपर बह रही गंगा के जलस्तर में लगातार वृद्धि की आशंका व्यक्त की है। सूचना मिलते ही किनारे के सभी जिलों को अलर्ट कर दिया गया है। इस बीच, इंद्रपुरी बराज से दस लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़े जाने से सोन नदी में उफान आ गया है। 1975 के बाद यह सर्वाधिक डिस्चार्ज है।
इंद्रपुरी बराज पर तैनात चीफ इंजीनियर रामेश्वर प्रसाद के मुताबिक मध्य प्रदेश में वाण सागर डैम से भी सोन नदी में साढ़े पांच लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सूचना दी गई है। बिहार में यह पानी भी शनिवार शाम तक पहुंचेगा। अमरकंटक क्षेत्र से बिहार तक सोन नदी में उत्तरी कोयल एवं कनहर समेत कई छोटी-छोटी नदियां मिलती हैं, जिससे बारिश के मौसम में इस नदी में उफान आम बात है।
आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अनिरुद्ध कुमार के मुताबिक गंगा पहले से ही खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। जलस्तर में लगातार वृद्धि के कारण शुक्रवार को पटना, बक्सर, भोजपुर, मुंगेर, सारण, वैशाली, भागलपुर एवं समस्तीपुर जिले के निचले क्षेत्रों में पानी प्रवेश कर गया है। आपदा प्रबंधन विभाग ने स्थिति को नियंत्रण में बताया है।
पांच जिलों में सोन से खतरा
इंद्रपुरी बराज से डेहरी के पास सोन नदी में दस लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया है। इससे सोन के किनारे वाले जिलों में खतरे की आशंका बढ़ गई है। प्रशासन ने रोहतास, कैमूर, औरंगाबाद, आरा, बक्सर व पटना को जिलों को अलर्ट किया है। पिछले हफ्ते में भी आठ लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की बात कही गई थी, मगर अधिकतम 4.99 लाख क्यूसेक ही छोड़ा गया, जिससे खतरा खत्म हो गया था।
1975 में 14 लाख क्यूसेक पानी छूटा था
पटना में 40 वर्ष पहले भयानक बाढ़ को अभी तक लोग भूल नहीं पाए हैं। तब सोन नदी में उफान के चलते ही पटना खतरनाक तरीके से बाढ़ की चपेट में आया था। 1975 में 14 लाख क्यूसेक पानी सोन में छोड़ा गया था। सोन का पानी दानापुर की तरफ से आकर आर्मी कैंट में घुसने लगा तो सेना ने पानी को छितराने के मकसद से पटना वाली नहर को काट दिया था, जिसके बाद भयानक स्थिति उत्पन्न हो गई थी।