बिहार में कोरोना के बीच 'ब्लैक फंगस' के मिले पांच मरीज, नाक; आंख और दिमाग पर करता है हमला
बिहार में एक नई परेशानी सामने आ गई है। राज्य में कोरोना संक्रमितों के बीच ब्लैक फंगस ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एम्स पटना में कोविड के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) से पीड़ित चार और आइजीआइएमएस में एक मरीज भर्ती हैं।
जागरण संवाददाता, पटना: बिहार में एक नई परेशानी सामने आ गई है। राज्य में कोरोना संक्रमितों के बीच ब्लैक फंगस ने भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। एम्स पटना में कोविड के साथ ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) से पीड़ित चार और आइजीआइएमएस में एक मरीज भर्ती हैं।
ब्लैक फंगस में मृत्यु दर 50 फीसद है
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) में भर्ती रोगियों की हालत गंभीर है और उन्हें आइसीयू में रखा गया है। कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस नाक, आंख व दिमाग पर सीधा हमला करता है। कई मामलों में तो आंखें तक निकालनी पड़ती हैं। ब्लैक फंगस में मृत्यु दर 50 फीसद है। यह फंगस आसपास की कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ रोगी की हड्डियां तक गला देता है। बताते चलें कि दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश ब्लैक फंगस के मामले सामने आ चुके हैं।
घटाया जा सकता म्यूकर मायकोसिस का खतरा
एम्स में ईएनटी की विभागाध्यक्ष डॉ. क्रांति भावना ने बताया कि कैंसर व खून की समस्याओं से ग्रासित लोगों के अलावा कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में म्यूकर मायकोसिस व एसपरजिलोसिस फंगस के मामले कोविड के पहले भी आते रहे हैं। कोरोना के कारण अचानक अनियंत्रित शुगर स्तर, बिना डॉक्टर के परामर्श के स्टेरॉयड की हाई डोज लेने से ब्लैक फंगस संक्रमण की संभावना बढ़ी है। यदि कोरोना संक्रमित शुरू से ही डॉक्टरों के परामर्श में रहें और बिना उनके परामर्श के खुद से स्टेरॉयड नहीं लें तथा लगातार शुगर स्तर की जांच करते रहें तो काफी हद तक इससे बचा जा सकता है।
जाने क्या है बीमारी के लक्षण
नाक बंद होना, नाक से खून या काला पदार्थ आना। नाक के आसपास काले धब्बे, आंखों में सूजन और दर्द, पलकों का गिरना और धुंधला दिखाई देना। बता दें कि कोविड मरीजों में ब्लैक फंगस नाक, आंख व दिमाग पर सीधा हमला करता है। कई मामलों में तो आंखें तक निकालनी पड़ती हैं।