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बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में पांच को उम्रकैद

बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को एनआइए की विशेष अदालत ने पांच आरोपितों को सजा सुनाई गई।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 07:14 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 07:14 PM (IST)
बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में पांच को उम्रकैद
बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में पांच को उम्रकैद

पटना । बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में शुक्रवार को एनआइए की विशेष अदालत ने पांच आरोपितों को उम्रकैद की सजा सुनाई। अदालत ने अलग-अलग धाराओं में अलग- अलग सजा सुनाई है। साथ ही अदालत ने आरोपितों के खिलाफ आर्थिक दंड की भी सजा सुनाई है। बिहार में यह एनआइए का पहला मामला है जिसमें फैसला आया है।

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एनआइए के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने दोपहर 12:10 बजे सजा सुनाई। अदालत ने इसके पूर्व 25 मई को सभी आरोपितों को दोषी पाया था। सभी आरोपित अदालत में सजा सुनाये जाने के समय मौजूद थे। उन्हें कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में बेउर जेल से लाकर अदालत में पेश किया गया।

शुक्रवार को बहस के दौरान एनआइए के विशेष लोक अभियोजक ललन प्रसाद सिन्हा ने अदालत से आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा देने का अनुरोध किया। आरोपितों के अधिवक्ता सूर्य प्रकाश सिंह ने आरोपितों की उम्र को देखते हुए कम से कम सजा देने का अनुरोध अदालत से किया।

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: किसे किन धाराओं में हुई कितनी सजा :

रांची जिले के धुर्वा थाना क्षेत्र के सिथियो निवासी इम्तियाज अंसारी, रांची जिले के उरमांझी थाना क्षेत्र के चकला गांव निवासी मुजबुल्लाह अंसारी, औरंगाबाद जिले के मदनपुर थाना क्षेत्र के खिरयामा निवासी हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, छत्तीसगढ़ के रायपुर निवासी उमेर सिद्दिकी और अजहरउद्दीन कुरैशी को आइपीसी की धारा 153ए (धर्म और जाति के नाम पर समाज में कटुता फैलाना) सह पठित 120बी के तहत तीन वर्ष के सश्रम कारावास, गैरकानूनी कार्य निरोधक अधिनियम की धारा 16, 18, 20 और 23 में 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास और सभी धाराओं में 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा तथा जुर्माना नहीं देने पर छह माह अतिरिक्त सजा।

जबकि अलग से इम्तियाज, हैदर और मुजबुल्लाह को आइपीसी की धारा 307 (हत्या की नीयत से हमला कर घायल करने) सह पठित 120बी के तहत 10-10 वर्ष के सश्रम कारावास साथ ही 10-10 हजार रुपये जुर्माने की सजा। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त छह माह की सजा।

इसके अलावा सिर्फ हैदर को आइपीसी की धारा 458 (अवैध तरीके से किसी घटना को अंजाम देने के लिये किसी स्थान पर प्रवेश करना) के तहत 14 वर्ष सश्रम कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना। जुर्माना नहीं देने पर अतिरिक्त छह महीने की साधारण सजा।

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: विशेष अदालत का मंतव्य :

कोर्ट का जजमेंट :

विशेष अदालत ने 65 पेजों में जजमेंट दिया।

गवाहों की संख्या : अभियोजन के 90 गवाहों ने गवाही दी। वहीं बचाव पक्ष ने अपने गवाहों से गवाही दिलवाने से इनकार कर दिया। किस प्रकार के थे गवाह :

मामले में चार प्रकार के गवाहों ने अभियोजन की ओर से गवाही दी। पहला वैसे गवाह जो राज्य सरकार की सेवा में तथा एनआइए की जांच में साथ-साथ रहे। दूसरा पुलिस प्रशासन से जुड़े लोग। तीसरा स्वतंत्र गवाह और चौथा एनआइए से जुड़े लोग।

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अभियुक्तों को पहचाना :

अनेक गवाहों ने अदालत में उपस्थित सभी आरोपितों की पहचान की थी।

विशेष कोर्ट का मंतव्य :

कोर्ट ने रिकॉर्ड के अवलोकन और दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट एक आतंकवादी घटना है। सभी आरोपित आतंकवादी हैं। अदालत ने कहा कि इस तरह के अपराध करने वाले लोगों को यदि पूरी सजा नहीं मिलेगी तो समाज की आत्मा अंधकार में डूब जाएगी। अदालत ने कहा कि यदि पूरी सजा नहीं मिलती है तो ऐसी हालत में आम लोगों का कानून पर जो विश्वास है उसे झटका लगेगा। इस तरह के अपराध करने वालों के साथ कड़ाई से पेश आना चाहिए। ऐसे अपराधियों को जेल के अंदर लंबे समय तक रखे जाने की जरूरत है। विशेष अदालत ने कहा कि 7 जुलाई 2013 का दिन प्राण हरने वाला दिन था। दुर्भाग्य का दिन था। इस दिन स्वर्ग और शांति के स्थान को टेररिस्ट के खेल का मैदान बना दिया गया।

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: घटना :

घटना 7 जुलाई 2013 तड़के की है। बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में रांची से बस में आकर 6/7 जुलाई की रात में मंदिर परिसर और आसपास आतंकियों ने टाइमर बम को जगह-जगह प्लांट कर दिया।

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कहां-कहां बम फटे :

पहला : बोधि वृक्ष के पास जिसमें दो बौद्ध भिक्षु घायल हुए।

दूसरा : मां तारा देवी मंदिर के पास।

तीसरा : एंबुलेंस के नीचे ताकि घायलों को मदद नहीं मिले।

चौथा : रत्न घर के पास। इसी जगह कक्षा केजी से छठे वर्ग के बच्चे आवासीय स्कूल में रहते थे। घटना के वक्त स्कूल आवास में 225 बच्चे थे। चार बम स्कूल आवास के पास फटे। जहां बच्चे खेलते थे उस खेल के मैदान में बम प्लांट किया गया था। अभियोजन के अनुसार आतंकी सभी बच्चों को मार देना चाहते थे। पांचवां : 80 फीट ऊंची भगवान बुद्ध की मूर्ति के पास। यह पूजा करने का मुख्य स्थान है। मकसद था सभी बौद्ध भिक्षुओं की हत्या। छठा : बाईपास के पास जहां एसी बस खड़ी थी। मकसद था घटना के बाद घायलों को अस्पताल ले जाने में असुविधा हो। सातवां : बिजली घर के पास जिससे अंधेरा छा जाए और अफरा-तफरी मचे। इस तरह से कुल नौ बमों का विस्फोट हुआ। वहीं तीन जिन्दा बम बौद्ध मठ के पास, बैजू बिगहा ट्रांसफॉर्मर के पास और तीसरा 80 फीट की भगवान बुद्ध की मूर्ति के पास बरामद हुआ।

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आरोप पत्र :

मामले में तीन प्राथमिकी दर्ज की गई और 2014 में दो बार आरोपपत्र दायर किया गया कुल छह आरोपितों के खिलाफ। छठा आरोपित नाबालिग था जिसे पटना सिटी स्थित जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड से तीन वर्ष की सजा हो चुकी है।

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सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान :

आरोपित उमेर सिद्दीकी और अजहरउद्दीन कुरैशी ने न्यायिक दंडाधिकारी ज्योति प्रकाश के समक्ष 21 दिसम्बर 2013 को अपना-अपना बयान दर्ज कराया था।

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: उमेर का बयान :

उमेर ने अपने बयान में कहा था कि वह 18 वर्ष की उम्र से ही सिमी (छात्र संगठन) का सदस्य था। अक्टूबर 2010 में पहली बार वह हैदर अली से मिला। 2011 में हैदर रायपुर में उससे मिला।

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खुलासा :

29 अगस्त 2013 को असीम भटकल और असदुल्लाह उर्फ हड्डी एनआइए के हत्थे चढ़े तब पूछताछ के क्रम में बोधगया बम ब्लास्ट कैसे हुआ और कौन लोग शामिल थे, का पहली बार खुलासा हुआ। भटकल के ई-मेल से हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी का नाम आया।

इसके बाद 27 अक्टूबर 2013 को पटना जंक्शन पर बम ब्लास्ट हो गया जिसमें इम्तियाज अंसारी पकड़ा गया। पूछताछ में पता चला कि इम्तियाज हैदर का सहयोगी है। इम्तियाज ने मुजबुल्लाह का नाम बताया।

उमेर जब पकड़ा गया तब उसने बोधगया बम ब्लास्ट मामले का पहली बार खुलासा किया कि प्लानिंग कैसे-कैसे बनी। उसने एनआइए को बताया था कि बोधगया बम ब्लास्ट हैदर और उसके प्लान का नतीजा है। उसने हैदर को बम बनाने का सामान मुहैया कराया था। उमेर ने अपने बयान में खुलासा किया कि घटना का कैसे- कैसे अंजाम दिया गया।

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: अजहर का 164 :

उमेर ने ही अजहर को अपने साथ मिलाया था।

प्लानिंग कहां बनी :

बोधगया बम धमाका करने की प्लानिंग रायपुर में बनी थी। रेकी के बाद उमेर और हैदर ने मिलकर बोधगया बम ब्लास्ट के लिहाज से नक्शा बनाया।

कहां छिपे : अजहर जब गिरफ्तार हो गया तब सभी रायपुर में जाकर छिप गये। घटना के बाद बारी-बारी से सभी रायपुर पहुंचे थे। सभी को छिपने में उमेर सिद्दिकी ने रायपुर में मदद की।

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: हैदर अली :

हैदर जांच एजेंसी एनआइए को उन स्थानों पर ले गया जहां-जहां उसने बम प्लांट किया था। इतना ही नहीं उन दुकानों को भी दिखाया जहां-जहां से उसने बम बनाने का सामान खरीदा था। गिरफ्तारी :

19 मई 2014 को हैदर और मुजबुल्लाह गिरफ्तार हुए थे। ये दोनों रांची स्थित एरम लॉज में ठहरा करते थे। अफसोस:

इस घटना से जुड़े अभियुक्तों के आकाओं घटना के बाद अफसोस जाहिर करते हुये सवाल किया था कि घटना में कोई काफिर क्यों नहीं मरा। घटना का कारण:

एनआईए के अनुसार घटना का कारण यह था कि आतंकवादियों को यह महसूस हो रहा था कि म्यांमार में रो¨हगा मुसमानों पर जुल्म हो रहा था। बोधगया बम ब्लास्ट बदले की भावना का नतीजा है।

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मुंह लटकाये रे आतंकी

न्यायालय संवाददाता, पटना

बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट के आरोपित लोगों के चेहरे मुरझाये रहे। करीब 9 बजे दिन से दोपहर 12 बजे तक कोर्ट रूम के बाहर कड़ी सुरक्षा में एक आतंकी लेटा रहा तो चार सिर नीचे कर जमीन को निहारते रहे।

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सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता:

न्यायालय संवाददाता, पटना

शुक्रवार को बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट में आरोपितों को सजा होनी थी। जिसको लेकर पुलिस प्रशासन पटना सिविल कोर्ट में मुस्तैद दिखी। वरीय पुलिस अधिकारी भी सुबह से ही समय-समय पर कैम्पस का निरीक्षण करते दिये। सिविल कोर्ट कैम्पस के चप्पे-चप्पे पर पुलिस कर्मी पहरा दे रहे थे। आज पुलिस कर्मी कोर्ट परिसर में आने-जाने वालों पर पैनी नजर रख रहे थे।


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