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बोधगया सीरियल ब्लास्ट: इन पांच आतंकियों को मिली उम्रकैद की सजा

बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में एनआइए कोर्ट की विशेष अदालत में आतंकियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। साथ में 40-40 हजार रपये का जुर्माना भी लगाया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 01 Jun 2018 02:22 PM (IST)Updated: Fri, 01 Jun 2018 02:34 PM (IST)
बोधगया सीरियल ब्लास्ट: इन पांच आतंकियों को मिली उम्रकैद की सजा
बोधगया सीरियल ब्लास्ट: इन पांच आतंकियों को मिली उम्रकैद की सजा

पटना [जेएनएन]। बोधगया सीरियल बम ब्लास्ट मामले में एनआइए कोर्ट की विशेष अदालत में शुक्रवार को सजा की बिंदु पर सुनवाई हुई।

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एनआइए कोर्ट ने सभी दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। इससे पहले गुरुवार को एनआइए के वकील ने अपना पक्ष रखते हुए दोषियों को फासी की सजा की माग की थी। इस मामले में पाच आतंकी को कोर्ट ने दोषी करार दिया था। एनआइए कोर्ट की विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार सिन्हा ने 25 मई को आतकी मानते हैदर अली उर्फ ब्लैक ब्यूटी, अजहरुउद्दीन ,उमर सिद्दकी, इम्तियाज अंसारी और मुजीबुल्लाह को दोषी करार दिया था। 7 जुलाई 2013 को बोधगया में हुए नौ धमाकों में छह आरोपियों के खिलाफ एनआइए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की गई थी।

पटना की राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआइए) अदालत के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सभी पाचों आरोपियों को दोषी करार दिया था। अदालत ने उमर सिद्दिकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, हैदर अली, मुजिबुल्लाह अंसारी और इम्तियाज अंसारी को बोधगया में श्रृंखलाबद्घ बम विस्फोट मामले में दोषी करार देते हुए कहा था कि इनकी सजा के मामले में सुनावाई 31 मई को होगी।

चार साल बाद आया फैसला

बोधगया सीरियल ब्लास्ट मामले में 25 मई को चार साल बाद एनआइए कोर्ट का फैसला आया था। 7 जुलाई 2013 को बोधगया में हुए नौ धमाकों में पाच आरोपियों के खिलाफ एनआइए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनोज कुमार ने फैसला सुनाया। इस धमाके में एक तिब्बती बौद्ध भिक्षु और म्यामार के तीर्थयात्री घायल हो गए थे। पटना सिविल कोर्ट में 2013 में गठित एनआइए कोर्ट का यह पहला फैसला है।

90 गवाहों को किया गया पेश

बोधगया ब्लास्ट में एनआइए ने 90 गवाहों को पेश किया। विशेष न्यायाधीश ने 11 मई 2018 को दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी होने के बाद अपना निर्णय 25 मई तक सुरक्षित रख लिया था। सीरियल ब्लास्ट का सरगना हैदर अली उर्फब्लैक ब्यूटी था। आरोपितों मे इम्तियाज अंसारी, उमर सिद्दीकी, अजहरुद्दीन कुरैशी, मुजिबुल्लाह अंसारी हैं। कुछ राची के रहने वाले हैं और कुछ छत्तीसगढ़ के रायपुर के रहने वाले हैं। ये सभी पटना के बेउर जेल में बंद है।

एनआइए ने मामले की जाच करने के बाद सभी आरोपों पर 3 जून 2014 को चार्जशीट किया था। 7 जुलाई 2013 सुबह 5:30 से 6:00 के बीच महाबोधि मंदिर में एक के बाद एक धमाके हुए थे आतंकियों ने महाबोधि वृक्ष के नीचे भी दो बम लगाए थे। सिलेंडर बम रखा गया था। जिसमे टाइमर लगा हुआ था। एनआइए ने जाच मे यह भी माना है कि रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई का बदला लेने के लिए गया मे ब्लास्ट किया गया था। ब्लास्ट के लिए हैदर ने रायपुर में रहने वाले सिमी के सदस्य उमर सिद्दीकी से संपर्क किया था। हैदर रायपुर गया था। राजा तालाब स्थित एक मकान में जिहाद के नाम पर प्रवचन दिया गया।

हैदर को बम विस्फोट का सामान भी वही दिया गया। हैदर ने ब्लास्ट के पहले बोधगया का पाच बार दौरा किया। वहा की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया था और उसके साथ ही आतंकी संगठन सिमी के सदस्य थे। हैदर ने बौद्ध भिक्षु बनकर मंदिर में प्रवेश किया।

गाधी मैदान में भी किया था ब्लास्ट

आरोपितों को आतंकवादी गतिविधियों के प्रोत्साहन के लिए धन की व्यवस्था करने का भी दोषी पाया है। इसमें कम से कम 7 वषरें की सश्रम कारावास और अधिकतम उम्रकैद की सजा हो सकती है। एक आरोपी नाबालिग था। उसकी सुनवाई जेजे बोर्ड गायघाट में हुई थी। पिछले नवंबर में बोर्ड ने उसे दोषी पाते हुए तीन वर्ष की सजा सुनाई थी। 27 अक्टूबर 2013 को गाधी मैदान की हुंकार रैली ब्लास्ट में भी पाचों आतंकियों पर आरोप है। सुनवाई 4 जून से होगी।

इन पाचों को मिली सजा

हैदर : राची के डोरंडा का है। 2014 से बेउर जेल में बंद है। ब्लास्ट का सरगना है। बौद्ध भिक्षु बनकर किया ब्लास्ट।

मुजीबुल्लाह : राची के ओरमाझी थाने के चकला गाव का निवासी है। 2014 से बेउर जेल में बंद है।

इम्तियाज : राची के ध्रुवा का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। ब्लास्ट करने में इसने हैदर का साथ दिया था।

उमर : छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। इसी के घर पर साजिश रची गई थी।

अजहर : छत्तीसगढ़ के रायपुर का रहने वाला है। 2013 से जेल में बंद है। रायपुर में साजिश रचने में शामिल था।


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