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सावधान! बिहार में कैंसर दे रही आंध्र प्रदेश की मछली, बिक्री पर लगा बैन

मछली स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बेहतर है। लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि यह कैंसर भी दे सकती है। हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश से आने वाली मछलियों की, जिनपर सरकार ने बैन लगा दिया है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 30 Sep 2018 08:03 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 09:37 PM (IST)
सावधान! बिहार में कैंसर दे रही आंध्र प्रदेश की मछली, बिक्री पर लगा बैन
सावधान! बिहार में कैंसर दे रही आंध्र प्रदेश की मछली, बिक्री पर लगा बैन

पटना [राज्य ब्यूरो]। बिहार में आंध्र प्रदेश की मछली नहीं बिकेगी। आंध्रा की मछली में केमिकल फॉर्मेलिन के इस्तेमाल के कारण राज्य सरकार ने रोक लगा दी है। सोमवार को आंध्रा की मछली के बिहार में नहीं आने के फैसले पर  मुहर लगा दी गई। इसके लिए पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई।

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बिहार में प्रत्येक साल आंध्र प्रदेश से 50 से 60 हजार टन मछली आती है। आंध्र से आने में चार-पांच दिन का समय लग जाता है। कभी-कभी हफ्ता भी लग जाता है। इससे मछली सडऩे लगती है। मछली को खराब होने से बचाने के लिए 'फॉर्मेलिन' का प्रयोग किया जाता है।

राज्य सरकार को आंध्र प्रदेश से आने वाली मछली में फॉर्मेलिन के इस्तेमाल की शिकायत मिली थी। इसके इस्तेमाल से कैंसर की आशंका रहती है। सरकार ने मछली को जांच कराने के लिए कोलकाता और कोचिन के लैब्‍स में भेजा, जहां शिकायत सही पायी गई। इसके बाद राज्य सरकार ने स्वास्थ्य के लिए घातक होने की वजह से आंध्र की मछली की बिहार में बिक्री पर लगाने की तैयारी कर ली है। विभाग को वहां की मछली पर रोक लगाने के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए हैं।

पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री पशुपति कुमार पारस ने कहा कि मछली में फॉर्मेलिन का इस्तेमाल गलत है। स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ की इजाजत कतई नहीं दी जा सकती है। इसपर विचार के लिए सोमवार को विभाग के अफसरों की बैठक बुलाई गई। बैठक में रिपोर्ट के आधार पर आंध्र की मछली पर रोक पर फैसला किया गया।  रोक तत्काल प्रभाव से लागू कर दी गई है।


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