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सीएम नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्‍ट 'हर घर नल का जल' योजना से छल करने वाले 373 मुखिया के खिलाफ एफआइआर

नीतीश कुमार के सात निश्‍चय में शामिल हर घर नल का जल योजना में बड़े पैमाने पर अनियमितता उजागर हुई है। इसके बाद 45 ठीकेदार 62 सुपरवाइजर तथा 32 पंचायत सचिव के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 13 प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा 10 पंचायती राज पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 06:22 PM (IST)Updated: Thu, 14 Jan 2021 05:36 AM (IST)
सीएम नीतीश के ड्रीम प्रोजेक्‍ट 'हर घर नल का जल' योजना से छल करने वाले 373 मुखिया के खिलाफ एफआइआर
सूचना के अधिकार के तहत उजागर हुआ बड़े पैमाने पर भ्रष्‍टाचार का मामला, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, दीनानाथ साहनी । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट 'हर घर नल का जल' से छल करने वालों पर कार्रवाई तेज हो गई है। जमीनी स्तर पर प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में बड़े स्तर पर कई तरह की अनियमितताएं उजागर हुई हैं। इसमें मुखिया, संवेदक (ठीकेदार), सुपरवाइजर तथा पंचायत सचिव से लेकर कई अफसर तक बेनकाब हुए हैं। सरकार भी एक्शन में है। अब तक 373 मुखिया पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। जबकि 45 ठीकेदार, 62 सुपरवाइजर, 32 पंचायत सचिव पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश हुआ है। सूचना का अधिकार (Right to Information) कानून के तहत मांगी गई जानकारी से इसका खुलासा हुआ।

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आरटीआइ से उजागर हुआ मामला

जन सुविधा के लिए लागू नल-जल प्रोजेक्ट में जनप्रतिनिधियों के कारनामे सामने आने से सरकार की किरकिरी होने लगी है। पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्य सचिव दीपक कुमार ने प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में पूरी पारदर्शिता लाने और निगरानी बढ़ाने का आदेश सभी जिलाधिकारियों को दिया है। आरटीआइ कार्यकर्ता शिव प्रकाश राय द्वारा ली गई जानकारी में अधिकांश मुखिया पर कमीशनखोरी से लेकर प्रोजेक्ट को पूरा कराने में लेटलतीफी बरतने, काम की गुणवत्ता खराब करने जैसे आरोप हैं। जांच हुई है और आरोप सही पाए गए हैं। अब दोषी तमाम मुखिया को पद मुक्त करने की कार्रवाई होगी। प्रोजेक्ट में निगरानी में चूक करने या लापरवाही बरते वाले अफसरों पर भी कार्रवाई तय है। 13 प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा 10 पंचायत राज पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। जबकि पूरे मामले की जांच जिलाधिकारियों को सौंपी गई है।

प्रोजेक्ट की यूनिसेफ कर चुका है तारीफ

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस ड्रीम प्रोजेक्ट की यूनीसेफ भी सराहना कर चुका है। 2018 में यूनिसेफ की टीम ने वैशाली जिले के मझौली गांव का दौरा किया था, जहां हर घर नल जल प्रोजेक्ट के तहत घर घर नल के जरिए जल पहुंचाया गया है। तब यूनीसेफ की टीम ने इस योजना को लेकर हुए काम बेहद कारगर बताते हुए रिपोर्ट दी थी। इससे सरकार भी गदगद हुई थी।

इन जिलों में मुखिया पर कार्रवाई

पटना में 12, औरंगाबाद में 9, जहानाबाद में 19, नालंदा में 6, गया में 17, मुजफ्फरपुर में 16, भागलपुर में 13, दरभंगा में 13, मधुबनी में 22, सहरसा में 16, बांका में 17, रोहतास में 15, पूर्वी चंपारण में 12, पश्चिम चंपारण में 9, सिवान में 9, सारण में 5, मुंगेर में 19, समस्तीपुर में 13, सुपौल में 11, मधेपुरा में 17, पूर्णिया में 9, अररिया में 12, भोजपुर में 8, गोपालगंज में 12, शेखपुरा में 8, किशनगंज में 18, कटिहार में 14, बक्सर में 13, वैशाली में 17 और सीतामढ़ी में 12।

जांच में पकड़ी गई ये गड़बडि़यां

* घटिया वाटर टंकी से पानी का रिसाव और टंकी का गिरना

* पाइपलाइन बिछाने में मनमानी

* 3 फीट के बजाय 1.25 फीट नीचे  पाइप बिछाना

* खराब पाइप से काम की गुणवत्ता प्रभावित

* पसंद के वार्ड और संवेदक को राशि का आवंटन

* एडवांस में कमीशनखोरी और काम में लेटलतीफी

* प्रशासनिक स्तर पर निगरानी का अभाव

* संवेदक से प्रखंड स्तर से अफसरों की सांठगांठ


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