भोजपुरी स्टार रविकिशन ने कहा- मैं किसी दायरे में नहीं बंधा
भोजपुरी फिल्मों के अमिताभ बच्चन कहे जाने वाले रविकिशन ने कई बेहतरीन फिल्में की हैं। कई दिग्गज फिल्म निर्देशकों के साथ काम किया है। उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें शेयर कीं।
पटना [काजल]। अपनी नई फिल्म जूली-2 में निभाए गए अपने किरदार के बारे में बताते हुए रविकिशन ने कहा कि मेरी कोशिश होती है कि मैं हमेेशा अलग-अलग तरह के किरदार निभाऊं। मैं एक तरह की फिल्में करना उतना पसंद नहीं करता, ये मेरी आदत और मेरा शौक है। इसके साथ ही रविकिशन ने अपनी कई पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ की बातें jagran.com के साथ शेयर कीं...पेश हैं मुख्य अंश
प्रश्नः- आपने पहले हिंदी फिल्में कीं फिर भोजपुरी फिल्मों की ओर झुकाव, ये कैसे हुआ?
उत्तरः-पहले तो मैं ये बता दूं कि ये सब बस होता चला गया, मैं उत्तरप्रदेश के जौनपुर का रहने वाला हूं। मेरे पिताजी किसान हैं और वो यही चाहते थे कि उनका बेटा खेती किसानी करे या किसी सरकारी संस्थान में क्लर्क बन जाए, लेकिन मुझे एक्टिंग का शौक था और मेरी माई इसके लिए कभी मना नहीं करती थी। मैं नौटंकी में हिस्सा लेता था और पिता जी से छुप-छुपकर एक्टिंग करता है। पिताजी ने एक बार देख लिया और मेरी खूब पिटाई की और कहा था, ब्राह्मण का बेटा है, पूजा पाठ कर ये नौटंकी में औरत बन जाता है, ये सब शोभा देता है क्या? उन्हें डर था कि मैं सेक्सवर्कर ना बन जाऊं।
अपने शौक को मां को बताया कि फिल्मों में काम करना है, तो माई ने पैसे दिए और कहा-मुंबई चला जा। पिता जी को बिना बताए मैं घर से निकलकर मुंबई चला आया और काफी संघर्ष के बाद हिंदी फिल्में की, फिर लगा कि खुद की बोली भोजपुरी की स्थिति खराब है, क्यों ना इसके लिए काम करूं? इस तरह हिंदी और फिर भोजपुरी फिल्मों से मेरी शुरूआत हुई।
प्रश्नः- भोजपुरी की फिल्में करना ज्यादा पसंद है या हिंदी की फिल्में?
उत्तरः- मैं हर भाषा को पसंद करता हूं, भाषा के दायरे में बंधा नहीं। इसीलिए तेलुगु, कन्नड़ सहित कई क्षेत्रीय भाषा की फिल्में भी मैंने की हैं, आगे भी करूंगा। लेकिन अपनी भाषा भोजपुरी मुझे सबसे ज्यादा प्यारी है और इसके लिए हमेशा मेरा प्यार रहा है और रहेगा। जब मैंने भोजपुरी की फिल्में शुरू की थीं, उस वक्त इसकी स्थिति अच्छी नहीं थी, लोग भोजपुरी फिल्में देखना पसंद नहीं करते थे। लेकिन मैंने, मनोज भाई ने, पवन सिंह ने काफी संघर्ष किया और आज लोगों की सोच बदली है, भोजपुरी फिल्में भी अच्छा व्यवसाय कर रही हैं। नवोदित कलाकार भी काफी मेहनत कर रहे हैं, जिसकी वजह से अब इसमें भी अच्छी फिल्में बन रही हैं। काशी अमरनाथ इसका उदाहरण है, जो बिल्कुल अलग तरह की फिल्म है।
प्रश्नः-आपने ट्रांसजेडर का भी किरदार निभाया है, लोगों ने काफी पसंद भी किया।
उत्तरः- हां, वो फिल्म थी रज्जो जिसमें मैंने ट्रांसजेंडर की भूमिका निभाई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था। मैं किसी किरदार में बंधा रहना नहीं चाहता। अभी हिंदी फिल्म जूली- 2 आई है जिसमें मेरा अलग किरदार है और जल्द ही भोजपुरी की चाहीं वांटेड मेहरारू में लोग मुझे लोग देख सकेंगे, जिसमें मैं अबतक का सबसे बोल्ड किरदार निभाने वाला हूं। फिल्म पर बात चल रही है, छह महीने के भीतर यह फिल्म आपलोगों तक पहुंचेगी।
प्रश्नः- क्या कहानी होगी चाहीं वांटेड मेहरारू की, क्या किरदार होगा आपका?
उत्तरः- चाहीं वांटेड मेहरारू की कहानी सबसे अवह है। इस फिल्म में मैं एक एेसे युवक का किरदार निभा रहा हूं जो सच्चे सुख की तलाश में है। वह कई महिलाओं से शारीरिक रिश्ता बनाता है लेकिन उसे पत्नी का प्यार चाहिए होता है, जो अलग सुख है। ये रिश्ते बनाकर वह अपनी शारीरिक इच्छाओं की पूर्ति कर लेता है, लेकिन उसकी सच्चे प्यार की तलाश अधूरी रहती है। यह कहानी बिल्कुल अलग तरह की है, जो भोजपुरी में ही लोग देेख पाएंगे।
प्रश्नः-जूली- 2 के बाद अब अगली हिंदी फिल्म कौन सी है?
उत्तरः- हिंदी में आने वाली मेरी अगली फिल्म बॉक्सर है, जिसे अनुराग कश्यप बना रहे हैं। इसमें मैं एक बॉक्सर के किरदार में हूं। इसके लिए बॉडी भी बनाई है, ये भी बिल्कुल अलग तरह की फिल्म होगी। इसके लिए काफी मेहनत कर रहा हूं, खूब पसीना बहा रहा हूं।
प्रश्नः- भोजपुरी फिल्मों को प्रोमोट करने के लिए क्या कर रहे हैं?
उत्तरः- भोजपुरी मेरी अपनी भाषा है, मैं इसकी फिल्मों को और समृद्ध देखना चाहता हूं। इस छोटी-सी इंडस्ट्री से लाखों लोगों का पेट पलता है, इसके बारे में राज्य की सरकार को सोचना चाहिए। ये फिल्में भी मल्टीप्लेक्स में चलें और लोगों को पसंद आएं तो इसका कारोबार और बढ़ेगा, लोगों को और ज्यादा रोजगार मिलेगा। नवोदित कलाकार काफी मेहनत कर रहे हैं, फिल्में अच्छी बन रही हैं। इसके दर्शक सीमित हैं, गांव-देहात में दर्शकों की संख्या बढ़ रही है।
प्रश्नः-् पर्सनल लाइफ के बारे में बताएं, गांव को कितना मिस करते हैं?
उत्तरः- मैं आज जो कुछ भी हूं, अपनी पिता की डांट और माई के दुलार की वजह से ही हूं। मेरी पत्नी है और चार प्यारे बच्चे हैं जिनका मैं डिस्पलिंड पिता हूं। मैं घर के लिए ज्यादा वक्त नहीं दे पाता, काम की वजह से बहुत कुछ मिस करता हूं। लेकिन खुशी इस बात की है अपने माता-पिता का अच्छा बेटा, अपनी पत्नी का अच्छा पति और बच्चों का अच्छा पिता हूं। गांव को बहुत मिस करता हूं, समय के अभाव की वजह से अब जाना कम ही हो पाता है, लेकिन मेरा दिल अभी भी गांव में ही बसता है।
प्रश्नः- बिहार, खासकर पटना आकर कैसा लगता है?
उत्तरः- बिहार तो मेरे घर जैसा लगता है, अपनी भाषा, अपने लोग। मैं पटना तो आता ही रहता हूं। बीते कुछ सालों में पटना काफी बदल गया है, लेकिन अभी भी महानगरों की तरह प्यार यहां खत्म नहीं हुआ है। यहां के लोगों ने काफी प्यार-दुलार दिया है, जिसका मैं हमेशा ही आभारी रहूंगा। बिहार मेरी अपनी धरती है, आता रहा हूं और आता रहूंगा।
प्रश्नः- फिल्मों के बाद अब राजनीति में भी सक्रियता बढ़ेगी क्या?
उत्तरः- हां, राजनीति पसंद है, मैं इसके जरिए लोगों की समाज की सेवा करना चाहता हूं, वक्त की कमी की वजह से अभी सक्रिय नहीं हूं, लेकिन जल्द ही इस क्षेत्र में भी सक्रियता होगी। काफी कुछ करना बाकी है....